हल्द्वानी। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के संयोजन में शनिवार को हुई गोष्ठी में उत्तराखंड के बीस साल, क्षेत्रीय अस्मिता एवं विकल्प के सवाल पर लोगों ने विचार विमर्श किया। वक्ताओं की एकराय रही कि सभी प्रश्नों का समाधान राजनीतिक है इसलिए बिना राजनीतिक हस्तक्षेप से क्षेत्रीय अस्मिता को नहीं बचाया जा सकता है। इसके लिए क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टियों को एकजुट होकर समाधान करना होगा।
नगर निगम सभागार में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने गोष्ठी की अध्यक्षता की। ‘घिरे हैं हम सवाल से’ हमें जवाब चाहिए’ व हिमाल तुमको धत्यूंछ, जागो जागो मेरो लाल जनगीत से गोष्ठी का शुभारंभ हुआ। अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि उपपा आओ मिले जुले बदले कार्यक्रम के तहत प्रदेश की जनता छात्र, व्यापारी, कर्मचारी, महिला मजदूर बुद्धिजीवियों संगठनों के प्रतिनिधियों सहित संवाद कर उत्तराखंड की अस्मिता को बचाने के लिए एकजुट होकर आगे आने की अपील कर रही हैं। क्षेत्रीय राजनीतिक संगठनों से बातचीत कर रहे हैं तथा क्षेत्रीय राजनीतिक विकल्प को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। गोष्ठी में स्वतंत्र पत्रकार इस्लाम हुसैन ने कहा कि उत्तराखंड की अस्मिता को बचाने के साथ साथ देश की विविधता व लोकतंत्र को भी बचाने की जरूरत है।
स्थानीय मुद्दों एवं संस्कृति को बचाने के लिए सतत संघर्ष जारी रखने की जरूरत है। आधारशिला के संपादक वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर भट्ट ने कहा कि सत्ता में बैठे जनप्रतिनिधियों का सवालों से बचना खतरनाक है। जनता का यह अधिकार है कि उन्हें उनके सवालों का जवाब मिले। भट्ट ने कहा कि दिल्ली से आ रही हवा और राजनीति दोनों ही प्रदूषित हैं जो उत्तराखंड के पर्यावरण एवं राजनीति को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली हीरा जंगपांगी ने आज महिलाओं के कानूनी अधिकारों की बात करनाएउनके लिए आवाज उठाने पर सरकार प्रशासन के जरिए मुकदमा दर्ज कर रही है। तराई के वंचित समुदाय थारू, बोक्सा व वनराजि जाति के लोगों को मिलने वाले अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं। प्रांतीय उघोग व्यापार के अध्यक्ष नवीन चंद्र वर्मा ने कहा कि राज्य गठन के बीस वर्षों में राज्य की परिकल्पना को पूरी तरह खत्म कर दिया है। इन बीस वर्षों में सत्ता पर काबिज पार्टियों ने विकास की उल्टी गंगा बहाई।
हिमालयी क्षेत्रों से विकास की गंगा बहाने के बजाय तराई से विकास की जो योजनाऐं बनाई वे योजनाऐं पहाड़ों की जड़ पर आकर ही दम तोड़ गई हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों का न उभरना उत्तराखंड के लिए दुर्भाग्यपूर्ण रहा। यूकेडी;डेमोक्रेटिक के वरूण तिवारी ने कहा कि जो समाज अपनी अस्मिता व संस्कृति को सहेज कर नहीं रख पाता है वह समाज चिरायु नहीं रह पाता है। उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट होने की आवश्यकता है। महिला नेत्री जानकी रैंगाई ने कहा कि जंगली जानवरों का शिकार बन रही महिलाओं का दर्द समझने के लिए किसी राजनैतिक दलों के पास समय नहीं हैं। गंगागिरी गोस्वामी ने पहाड़ों को रेल नेटवर्क से जोड़ने पर जोर दिया और टनकपुर.बागेश्वर रेल लाइन के लिए बजट अवमुक्त करने की मांग उठाई।
गोष्ठी को रेखा धस्माना, आनंदी वर्मा, मतलूब अहमद, मोहन राम, लालमणि, सुरेश उनियाल, मोहन बिष्ट, सुनील कांडपाल, प्रकाश उनियाल, प्रियंका सिंह ने भी विचार रखे। संचालन राज्य आंदोलनकारी उपपा के प्रभात ध्यानी ने किया। बैठक में बीडी फुलारा, नंदा वल्लभ तिवारी, सुनील पर्नवाल, जय प्रकाश पांडे, राजू गिरि, चतर सिंह, बिशन दत्त सनवाल, राहुल जोशी, त्रिवेन्द्र जोशी, किरन, अशोक पंत, गोपाल राम आदि उपस्थित रहे।