कोरोना से जंग की मुहिम में पर्यावरण संस्थान अल्मोड़ा के वैज्ञानिक भी पीछे नहीं है। अपने अथक प्रयासों से शोधार्थियों और वैज्ञानिको की टीम ने दो ऐसे यौगिकों को खोला है जो कोविड.19 के जनक सार्स.कोवी.2 के दुश्मन बन सकते हैं। पर्यावरण संस्थान कोसी.कटारमल अल्मोड़ा से कोरोना वायरस की वृद्धि एवं संक्रमण को रोकने वाली एक सुखद खबर सामने आई है, जिनमें शोधार्थियों द्वारा किये गये शोध से ऐसे दो यौगिकों का चयन किया गया है, जो कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने में मददगार साबित हो सकते हैं। ये दोनों ही यौगिक पूर्व में एच0आई0वी0.1 बीमारी के संक्रमण को रोकने में उपयोगी थे, इस शोध प्रक्रिया में 1528 एच0आई0वी0.1 यौगिकों के समूह को कंप्यूटर विधि से जांचने परखने के पश्चात् 356 ऐसे यौगिकों को चुना गया, जिसमें कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने की संभावना दिखाई दी। इसके बाद 84 ऐसे यौगिकों को चुना गया, जो विषाणु रोधक होने के साथ.साथ अवशोषण, वितरण, पाचन एवं उत्सर्जन प्रक्रिया को प्रभावित न करते हो। औषधीय गुण रखने वाले 40 ऐसे यौगिकों को माॅलिकुलर डाॅकिंग विधि से कोरोना वायरस के 3.सीएलसी प्रोण्;3.काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज एंजाइम के विरूद्ध सक्रिय पाये गये।
ज्ञातव्य है कि कोरोना वायरस में पाये जाने वाले 3.सीएलसी प्रोण् 3.काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज नामक एंजाइम कोरोना वायरस में वृद्धि के लिए उत्तरदायी हैं। अतः कोरोना वायरस की वृद्धि को रोकने के लिए 3.सीएलसी प्रोण् 3.काइमोट्रिपसिन लाइक प्रोटिएज नामक एंजाइम को निष्क्रिय करना आवश्यक है। टीम ने अब 22 ऐसे यौगिकों को औषधीय मात्रा आई0सी0.50 के आधार पर चुना है तथा इसी सूची में से समान रासायनिक संरचना रखने वाले 12 यौगिकों कोे चुना जो कि कोरोना वायरस को रोकने में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकते हैं। अंततः मौलिकुलर डाॅयनेमिक्स एवं सिमुलेशन विधि द्वारा दो ऐसे यौगिकों का चयन किया गया जो कोरोना वायरस के खिलाॅफ प्रभावी ढंग सक्रिय पाये गये।
इस शोध की उच्च स्तरीय गुणवत्ता होने के कारण इस शोध को लंदन से प्रकाशित होने वाले प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है। इस शोध को प्रकाशित करने वाली टीम के सदस्यों में डॉ0 महेशानंद, डॉ प्रियंका मैती, श्री तुषार जोशी डॉ0 वीना पांडे, डॉ0 सुभाष चंद्रा, डाॅ0 एम0 ए0 रामाकृष्णन और डाॅ0 जेण्सीण् कुनियाल शामिल हैं। इस शोध से वैज्ञानिक व शोधार्थी अत्यधिक उत्साहित हैं और वे चाहते हैं कि कोई भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनी इसके आधार पर कोविड की दवा बनाकर जनहित करे। कोविड के खिलाफ प्रभावी यौगिकों को पहचानने के बाद वनस्पति जगत में भी इसकी उपलब्धता को ज्ञात करने का प्रयास किया जाएगा। इन यौगिकों की उपलब्धता वाली वनस्पतियों से भी इस बीमारी का उपचार संभव है। हालांकि इस शोध से निकले दो यौगिकों को पुनः क्लीनिकल ट्रायल और पेटेंट फाइल करने की सम्भावना है। इस मौके पर सभी टीम के सदस्यों को पर्यावरण संस्थान के निदेशक डाॅ आर0एस0 रावल, इं0 किरीट कुमार एवं केंद्र प्रमुखाें ने बधाई दी है तथा शोधार्थियों ने इनविस सचिवालय एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार का शुक्रिया अदा किया ।