फोटो-पिंजरे में कैद हुआ गुलदार ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। कडी मशक्कत के बाद आदमखोर गुलदार हुआ पिंजरे में कैद। नगर पालिका जोशीमठ क्षेत्र्रान्तर्गत पैका गाॅव के 70 वर्षीय बुजुर्ग गंगा सिंह को निवाला बनाने वाला गुलदार कड़ी मशक्क्त के बाद पिंजरे में कैद हो ही गया। उसे रैस्कूय सेेंटर हरिद्वार ले जाया जाऐगा।
जोशीमठ-बदरीनाथ हाई वे पर बलदौडा व पैंका में दो वारदातंे कर चुके गुलदार को मंगलवार तडके पिंजरे में कैद कर लिया गया। बीते रोज पैका गाॅव के गंगा सिंह को इस गुलदार द्वारा अपना निवाला बनाए जाने के बाद पूरे क्षेत्र में वन महकमे के खिलाफ भारी आक्रोष देखा गया था। ग्रामीणों ने तो देर सायं तक गंगा सिंह के क्षत-विक्षत शव पर वन कर्मियों को हाथ तक नहीं लगाने दिया। बाद में आलाधिकारियों के पंहुचने व गुलदार को पकडने का आश्वासन देने के बाद ही शव को हाथ लगाया जा सका। वन विभाग ने बीती रात्रि को ही पिंजरा लगाकर उसमे बकरी को बाॅध दिया था और पिंजरे को ढक भी दिया था। लेकिन चालाक गुलदार रात्रि को पिंजरे के पास तो पंहुचा लेकिन फॅस नहीं सका। सुबह वन विभाग की टीम मौके पर पंहुची तो उन्हांेने पिंजरे को बडी-बडी टहनियों से ढका तब जाके करीब सवा नौ बजे गुलदार पिंजरे में कैद हो सका।
वन विभाग ने ट्रैंकुलाइजर गन से उसे बेहोश किया और रैस्कूय सेंटर हरिद्वार भेजा गया। देर सायं को बेहोश करने की कार्यवाही की गईं क्योकि यहाॅ विभाग के पास ट्रैकुलाइजर गन तो थी पर बेहोश करने की दवाईयाॅ कैटोबिन व जेलेजिक उपलब्ध नहीं थी, जिसे गोपेश्वर से मंगाया गया। और उसी के बाद गुलदार को बेहोश करने की कार्यवाही अमल मे लाई गई। इस दौरान जोशीमठ रैंज के वन क्षेत्राधिकारी विजय लाल आर्या सहित गोविंदघाट रैज के अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक नंदा बल्लभ शर्मा के अनुसार गुलदार को कैद करने के बाद अब उसे रैस्क्ूय सेंटर हरिद्वार ले जाया जा रहा है। उन्होने कहा कि गुलदार का पकडा जाना बेहद जरूरी था। हाॅलाकि इसी क्षेत्र मे गुलदार द्वारा दो लोगो को निवाला बनाने के बाद उनके स्तर से गुलदार को आदमखोर घोषित करने के लिए पत्राचार भी शुरू कर दिया गया था।
गौरतलब है कि बीती 17सिंतबंर को बदरीनाथ हाईवे पर बलदौडा के पास सडक निर्माण का कार्य कर रही कंपनी के एक मजदूर नैन सिंह जिसकी उम्र महज 35वर्ष थी गुलदर ने उसे भी अपना निवाला बना लिया था। तब भी यदि पिंजरे लगाने व आदम खोर घोषित किए जाने की कार्यवाही होती तो शायद गंगा सिंह गुलदार का निवाला होने से बच सकते थे।