फाइल फोटो- राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में प्रेम हिन्दवाल को प्रथम पुरस्कार से नवाजते छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। हिमालय की लोक कलाओं व वाद्य यंत्रों के सरंक्षण एवं संवर्धन तथा यहाॅ की लोक कलाओं को राष्ट्रीय मंचों तक पहंुचाने पर विगत तीन दशक से लगातार कार्य कर रहे लोक कलाकार प्रेम हिन्दवाल वास्तव में राष्ट्रीय पुरस्कार पदमश्री के हकदार हैं। हाॅलाकि केन्द्र मंे मोदी सरकार के आने के बाद पदमश्री पुरस्कारों का बेहतरीन चयन हो रहा है और आज तक की सरकारों की नजरों से दूर अनेक समाजसेवियांे को इस प्रकार के पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उत्तराखंड के सीमांन्तवासियों को भी उम्मीद है कि गत तीस वर्षों से प्रेम हिन्दवाल द्वारा सीमांत क्षेत्रों मंे निवासरत भोटिया जनजाति की संस्कृति के संरक्षण के लिए निरंतर कार्य करते हुए यहाॅ की लोक कलाओं व वाद्य यंत्रों का राष्ट्रीय मंचों पर शानदार प्रस्तुतीकरण किया है।
लोक कलाकार श्री हिंन्द्रवाल ने विलुप्त होते लोक वाद्य यंत्र ढोल-दमाऊ पर उत्कृष्ठ कार्य तो किया ही है, ’’गुरू शिष्य परंपरा योजना’’ के तहत इन्होंने उत्तराखड राज्य के साथ ही अन्य राज्यों के युवावों को भी ढोल-दमाऊ का प्रशिक्षण दिया है। संस्कृति के संरक्षण पर निंरन्तर कार्य करने की जिज्ञासा को देखते हुए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा श्री हिन्दवाल को फैलोशिप अवार्ड से नवाजा गया। ये राज्य के एक मात्र लोक कलाकार है जिन्है फैलोसिप अवार्ड दिया गया। सीमांन्त क्षेत्रों के भोटिया जनजाति के पांरपरिक आवास की प्रदर्शनी मे री हिन्दवाल को इंन्दिरा गाॅधी राष्टीय मानवा संग्रहालय द्वारा भी सम्मानित किया गया है।
उत्तराखंड के लोक कलाकार प्रेम हिन्दवाल अब तक विकास खंड स्तर से राष्ट्रीय स्तर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुके है। गत वर्ष छत्तीस गढ मे आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव मे प्रेम हिन्दवाल की टीम ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया और लोक नृत्य मे राष्ट्रीय स्तर पर पहला स्थान हासिल कर उत्तरांखड का नाम रोशन किया।
लोक कलाकार प्रेम हिन्दवाल के लोक कला के लिए पिछले तीन दशकों से समपर्ण को देखते हुए नीती-माणा घाटी कल्याण समिति व पर्वतीय शिल्पकार कल्याण सभा, देव भूति स्पार्टस एवं वैलफेयर सोसाइटी उत्तराख्ंाड व उर्गम घाटी के देवग्राम के प्रधान देवेन्द्र रावत द्वारा पहले ही राज्यपाल व मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर प्रेम हिन्दवाल को पदमश्री सम्मान देने की संस्तुति करने का आग्रह कर चुके है। अब जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष राज्यमंत्री रामकृष्ण सिंह रावत, बदरी-केदार मंदिर समिति के निर्वतमान अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने प्रेम हिन्दवाल को राष्ट्रीय सम्मान पदमश्री की पैरवी करते हुए कहा कि वे शीध्र ही मुख्य मंत्री से भेंट कर प्रेम हिन्दवाल को इस सम्मान के लिए संस्तुति अग्रसारित करने का आग्रह करेगे ।
तीन दशकों से लगातार हिमालय की संस्कृति के संरक्षण व सवंर्धन के लिए किए जा रहे अथक प्रयासों को देखते हुए श्री हिन्दवाल पदमश्री सम्मान के हकदार तो है पर देखना होगा कि सीमांत जनपद चमोली के सीमावर्ती विकास खंड जोशीमठ के इस लोक कलाकार पर चयनकर्ताओं की नजर कब तक पंहुचती है इस पर सीमांत वासियों की नजरें रहेगी ।