सत्यपाल नेगी/रुद्रप्रयाग
जनपद रुद्रप्रयाग सहित सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में आपदा प्रबन्धन विभाग में तैनात कर्मचारी 24/7 के तर्ज पर कठिन मेहनत के साथ बड़ी से बड़ी आपदाओं में अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाने, सहायता में ईमानदारी से लगे रहते हैं। मगर जमीनी सच्चाई भी हम आपको बता रहे हैं कि उत्तराखण्ड जिस प्रकार से आपदाओं के लिए खतरनाक जोन रहा है, ऐसे में इन आपदा कर्मचारियों की सुध क्यों नही ले रही सरकार?
आपदा कर्मचारियो ने जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग के माध्यम सूबे के मुख्यमंत्री को अपनी माँगों का पत्र प्रेषित किया। आपको बता दे कि दैवीय, बरसाती? भूकंम्प, बाढ़, सड़क हादसे जैसे दुर्घटनाओं में जनता की जान बचाने के लिए आपदा प्रबन्धन के अधिकारी एवं कर्मचारी 24 घण्टे रात.दिन तैयार रहते हैं, यहां तक कि खतरनाक घटनाओं में जहाँ कोई जाने को राजी नहीं होते वहाँ आपदा कर्मचारी अपनी जान की परवाह किये बगैर लोगों की जाने बचाने में लगे रहते है। यहां तक कि जिला आपदा कंट्रोल रूम, चुनाव के दौरान व वीआइपी के आने तक महत्वपूर्ण ड्यूटी निभाते है।
आज इन्ही खतरों के खिलाडियों के साथ सौतेला व्यवहार राज्य में किया जा रहा है, जिससे नाराज आपदा कर्मचारियों ने भी अपने भविष्य को देखते हुई सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए एकदिवसीय कार्य बहिष्कार करके जल्द समाधान की आवाज उठाई है।
आपदा कर्मचारियों का कहना है कि हम लम्बे समय से शासन/प्रशासन से गुहार लगाते आ रहे हैं, मगर अभी तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई, जिससे नाराज होकर हमें मजबूरन कार्य बहिष्कार की राह चलना पड़ रहा है।
वही आपदा प्रबन्धन कर्मचारी संगठन के जिलाध्यक्ष सन्तोष प्रकाश नोडियाल का कहना है कि हमारी विगत कई वर्षो से 9 प्रमुख माँगे है जिनका समाधान नही किया जा रहा हैएअगर सरकार ने 21अक्टूबर तक उचित समाधान नही किया तो 22 अक्टूबर से पूरे प्रदेश के आपदा प्रबन्धन कर्मचारी अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले जायेगे।
जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी नन्दन सिह रजवार एंव प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र खत्री का कहना है कि आपदा जैसे विभाग मे अधिकारी भी स्थायी रूप से नियुक्त नही है, आपदा प्रबन्धन जैसे जोखिम कार्य में संविदा पर अधिकारी व कर्मचारियों को रखा गया है।
आपदा प्रबन्धन कर्मचारीयो की मुख्य माँगो मे….
- आपदा प्रबन्धन विभाग में तैनात संविदा/आउटसोर्स/पीआरडी के माध्यम से विगत 10 वर्षों से तैनात कार्मिकों में विभागीय एकरूपता के दृष्टिगत कार्मिकों का विनियतिकरण किया जाये।
- आपदा प्रबन्धन मे तैनात कर्मचारीयो के अवकाश का प्राविधान समान रूप से किया जाए।
- आपदा प्रबन्धन मे तैनात किसी भी कार्मिको के साथ कार्य के दौरान किसी अप्रिय घटना/दुर्घटना होने पर उचित बीमा व मुआवजा दिया जाये।
- आपदा प्रबन्धन अधिकारी व कर्मचारीयो के कार्य क्षेत्र मे आने वाले नियमोएसरकारी फाइलोए प्राधिकरण के अधिकार पूर्व शासनादेशों के तहत स्वतन्त्र रूप से दिया जाये।
आपदा की दृष्टि से सबसे सम्वेदनासील जनपद रुद्रप्रयाग हैएजहाँ केदारनाथ जैसी दैवीय आपदा, ऊखीमठ आपदा, भुकंम्प मे आपदा कर्मचारियो ने ही रेस्क्यू किये थे। साथ ही सड़क हादसों व अन्य घटनाओं में भी आपदा कर्मचारी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
हाल ही मे तपोवन जलविधुत आपदा के दौरान भी नदी किनारो से खतनाक स्थिति मे इन कर्मचारियो ने मृतको को खोजबीन करके सराहनीय कार्य किये थे। मगर आज सबसे कम मानदेय व बिना अवकाश के आपदा प्रबन्धन कर्मचारी जीवन गुजर रहे हैं।
सरकार को भी आपदा जैसे महत्वपूर्ण विभाग की सुध लेनी होगीएताकि इन सभी कर्मचारीयो का मनोबल बढ़ता रहे ओर ये लोग और मेहनत से कार्य करते रहे।
एकदिवसीय कार्य बहिष्कार करने वालो मे जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी नन्दन सिह रजवार, जिलाध्यक्ष सन्तोष प्रकाश नोडियाल, देवेंद्र खत्री, मुंनशी चोंमवाल, भगवान रौथाण, सुरेंद्र कप्रवाण, बृजेश नेगी, सुनील राणा, राजविंद्र रावत, अनिल बुटोला, राकेश रावत आदि मौजूद रहे।