उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था किस हाल में है ये तो हमें हाल ही में हुई, बागेश्वर जिले के बास्ती गांव में हुई फूड प्वाइजनिंग की घटना से पता लग चुकी है। साथ ही हम यह भी जानते हैं सरकार इस मामले में बहुत कदम उठा रही है, लेकिन कहां उठा रही इसका पता नहीं है। जहां अस्पतालों में डॉक्टर्स की भारी कमी है तो कहीं डॉक्टर्स ही नदारद हैं, कोई लम्बी छुट्टी पर है तो कोई अपनी नौकरी से खुश नहीं है। हाल ही में एक प्रतिष्टित अखबार ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि कुमाऊं मंडल के बड़े-छोटे कुल 161 सरकारी अस्पतालों में 71 डॉक्टर गायब हो चुके हैं। दरअसल, ये डॉक्टर्स लम्बी छुट्टी पर हैं, एक महीने से गैरहाजिर चल रहे इन डॉक्टर्स का खुलासा इसलिए भी बेहद ख़ास था क्योंकि हाल ही हुई फूड प्वाइजनिंग की घटना में 4 लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी थी, जिसमे दो मासूम बच्चे भी सामिल थे।
इस घटना के बाद मरीजों को कांडा, बेरीनाग, बागेश्वर, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के सरकारी अस्पतालों तक में ले जाया गया था लेकिन कहीं भी उन्हें उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिल सकी। आखिरकार, कई गंभीर मरीजों को हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल लाना पड़ा। पहाड़ के अस्पतालों में ही यदि समय से डॉक्टर और उचित इलाज मिल जाता, तो शायद चार लोगों की जान बच जाती।