• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

देहरादून से उत्तरकाशी तक बढ़ा भूकंप का खतरा

02/12/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
8
SHARES
10
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/11/Video-60-sec-UKRajat-jayanti.mp4

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड को भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन-छह में शामिल किया गया है। इससे पहले राज्य के जिलों को जोन चार और पांच में विभाजित किया गया था। अब भारतीय मानक ब्यूरो ने डिजाइन भूकंपीय जोखिम संरचनाओं के भूकंपरोधी डिजाइन के मानदंड रीति संहिता-2025 में नया भूकंपीय क्षेत्रीकरण मानचित्र जारी किया है। इसमें उत्तराखंड समेत अन्य हिमालीय राज्यों को भी भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील जोन छह में रखा गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इससे पूरे राज्य में निर्माण कार्यों के लिए लोगों को अधिक सजग होना होगा।देश का 61 प्रतिशत भू-भाग अब मध्यम से अत्यधिक भूकंपीय जोखिम में आ गया है। पहले यह आंकड़ा 59 प्रतिशत था। और सबसे डराने वाली बात यह है कि हमारी 75 प्रतिशत आबादी अब उन इलाकों में रहती है जहां जमीन कभी भी हिल सकती है। भुज 2001, कश्मीर 2005, नेपाल 2015 हमें चेता चुके हैं। अब विज्ञान ने साफ-साफ बता दिया है कि अगला बड़ा झटका कहां लगेगा।सवाल सिर्फ इतना है। क्या हम फिर इंतज़ार करेंगे कि जमीन हिले, इमारतें गिरें, हजारों जिंदगियाँ चली जाएं और फिर आँसू बहाएं? या इस बार विज्ञान की भाषा को समझकर अपने शहरों को भूकंप-रोधी बनाएँगे? नक्शा बदल चुका है। अब हमारी तैयारी, हमारी सोच और हमारे शहरों का भविष्य बदलने की बारी है। हिमालय पृथ्वी की सबसे सक्रिय टेक्टोनिक टक्कर सीमा पर स्थित है। भारतीय प्लेट हर साल लगभग 5 सेंटीमीटर की रफ्तार से उत्तर दिशा में यूरेसियन प्लेट के नीचे धँस रही है। इसी टक्कर ने हिमालय को जन्म दिया और आज भी यह पर्वत श्रंखला ऊपर उठ रही है। इस प्रक्रिया में चट्टानों में भारी तनाव जमा हो रहा है।वैज्ञानिकों ने हिमालय में कई ‘सिस्मिक गैप’ चिह्नित किए हैं – वे लंबे खंड जहाँ पिछले 200-500 वर्षों में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया। मिसाल के तौर पर मध्य हिमालय (उत्तराखंड-नेपाल सीमा क्षेत्र) में 1803 के बाद कोई सतही फटने वाला महाभूकंप नहींआया।इसका मतलब है कि वहां अपार ऊर्जा जमा है, जो कभी भी मुक्त हो सकती है।bहिमालय के नीचे तीन प्रमुख फॉल्ट सिस्टम हैं मेन फ्रंटल थ्रस्ट मेन बाउंड्री थ्रस्ट और मेन सेंट्रल थ्रस्ट ये सभी 8.0 या उससे बड़े भूकंप पैदा करने में सक्षमहैं।नया मानचित्र पहली बार इन फॉल्ट्स के दक्षिण की ओर फैलने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखता है। इसका मतलब है कि देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश जैसे शहरों पर खतरा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गया है। वैज्ञानिक बताते हैं कि मध्य हिमालय में पिछले दो सौ साल से कोई बड़ा सतही भूकंप नहींआया।इसे सिस्मिक गैप कहते हैं। मतलब वहां ऊर्जा का भंडार भर चुका है। जब यह फूटेगा तो एक साथ सैकड़ों किलोमीटर तक फॉल्ट फट सकता है। नया मानचित्र इसी खतरे को पहली बार पूरी गंभीरता से स्वीकार करता है। प्राकृतिक और मानवजनित आपदा की चुनौती और जटिलता बढ़ रही है। ऐसे में आपदा के जोखिम को कम करने के लिए विश्व के सभी हितधारक, देश, संस्था, वैज्ञानिक सभी मिलकर एक दिशा में समन्वय के साथ काम करें। समुदायों की आवाज और परंपरागत ज्ञान को भी अधिक तरजीह दी जाए। सम्मेलन में कई अनुशंसा भी की गई। आपदा के खतरे का सामना करने के लिए सहयोग, समन्वय, तकनीकी ज्ञान की भूमिका बढ़ रही है, पूर्व चेतावनी प्रणाली क्षमता और सूचनाओं के अदान प्रदान को बढ़ाना होगा। हिमालय में आपदा के मद्देनजर एक अंतरराष्ट्रीय स्तर के केंद्र की स्थापना हो, जहां पर आपदा न्यूनीकरण और भविष्य कर चुनौतियों से निपटने के लिए ज्ञान, अनुभव और उभरती प्रौद्योगिकियों को साझा किया जाए। समुदायों को सशक्त बनाने की जरूरत है। इसमें आपदा योद्धा बनाने के लिए सामुदायिक जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित हो। इसमें स्थानीय भाषा, परंपरागत ज्ञान आदि को शामिल किया जाए। आपदा जोखिम कम करने के लिए नवाचार और सिक्किम मॉडल जैसी क्षेत्रीय और श्रेष्ठ पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाए। भारत का पहला भूकंप मैप 1935 में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने तैयार किया था. तब देश को तीन श्रेणियों में बांटा गया था- गंभीर, हल्का और मामूली खतरे वाले क्षेत्र. इसके बाद BIS ने समय-समय पर मानचित्र में बदलाव किया. 1962 में 6 जोन, 1966 में 7 जोन और 1970 में 5 जोन (I से V) बनाए गए. लेकिन पुराने नक्शे केवल उन क्षेत्रों पर आधारित थे, जहां पहले भूकंप आए थे. नए 2025 मैप में अब पूरी तरह वैज्ञानिक डेटा, फॉल्ट लाइनों की सक्रियता और कंप्यूटर मॉडलिंग पर ध्यान दिया गया है. पुराने मैप में चार जोन (II, III, IV, V) थे, जबकि नए मैप में पांच जोन (II, III, IV, V और नया VI) शामिल किए गए हैं. नए मैप के अनुसार पूरे हिमालय क्षेत्र को सबसे अधिक जोखिम वाला Zone-VI माना गया है. इस बदलाव के बाद उत्तराखंड में निर्माण, शहरी योजना और इन्फ्रास्ट्रक्चर सुरक्षा में एक नया युग शुरू हो गया है. अब इंजीनियर और शहरी योजनाकार पुराने अनुमान पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि वैज्ञानिक आधार पर सुरक्षा मानक लागू होंगे. सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास कहते हैं कि भूकंप की आशंका के दृष्टिगत सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। हाल में भूकंप को लेकर मॉक डि्रल कराई गई है। इसके अलावा भूकंप को लेकर सायरन और सेंसरों की संख्या बढ़ाई जाएगी। जन जागरूकता को लेकर भी कदम उठाए जाएंगे। पहले भूकंप की दृष्टि से राज्य को दो जोन में रखा गया था। इसमें सबसे अधिक संवेदनशील जोन पांच में रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर और पिथौरागढ़ थे। जबकि जोन चार में उत्तरकाशी, टिहरी गढ़वाल, देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल शामिल थे। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने उत्तराखंड में आपदा की बढ़ती घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि पिछले एक दशक में उत्तराखंड में जल-मौसम संबंधी खतरे तेज़ी से बढ़े हैं, जिसमें 2013 केदारनाथ में बादल फटने और 2021 की चमोली जैसी आपदा की बड़ी घटनाएं शामिल हैं. वैज्ञानिक विश्लेषण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, तेज़ी से पीछे पिघलते ग्लेशियरों, ग्लेशियर-झील के फटने के खतरे, कमज़ोर होते हिमालय पर्वत प्रणाली, जंगलों की कटाई और प्राकृतिक जल निकासी मार्गों को बाधित करने वाले मानव निर्मित अतिक्रमणों के संयोजन की ओर इशारा करते हैं. साथ ही, केंद्रीय मंत्री ने भारत में अचानक बादल फटने की घटनाओं का विश्लेषण करने के लिए एक विशेष हिमालयी जलवायु अध्ययन कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य संवेदनशील जिलों के लिए पूर्वानुमानात्मक संकेतक तैयार करना है. इसी हफ्ते गृह मामलों पर संसदीय स्थायी समिति ने मानसून सीजन – 2025 के दौरान उत्तराखंड में आपदा की घटनाओं की तीव्रता पैमाने और संख्या में बढ़ोतरी के कारणों की कई घंटे समीक्षा किया था.सूत्रों के मुताबिक, संसदीय समिति को उत्तराखंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारीयों द्वारा बताया गया कि उत्तरकाशी के धराली में आयी बड़ी आपदा के कई कारण हो सकते हैं, और इस भयवाह आपदा के प्रमुख कारण के रूप में किसी एक कारक को चिन्हित करना कठिन है. उत्तराखंड के हरिद्वार, पंतनगर और औली में जल्द ही तीन नए मौसम रडार स्थापित किए जाएंगे, जिससे इस क्षेत्र की वास्तविक समय में मौसम पूर्वानुमान की क्षमता मजबूत होगी.वैज्ञानिक विश्लेषण जलवायु परिवर्तन के प्रभावों, तेज़ी से पीछे पिघलते ग्लेशियरों, ग्लेशियर-झील के फटने के खतरे, कमज़ोर होते हिमालय पर्वत प्रणाली, जंगलों की कटाई और प्राकृतिक जल निकासी मार्गों को बाधित करने वाले मानव निर्मित अतिक्रमणों के संयोजन की ओर इशारा करते हैं. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं*

Share3SendTweet2
Previous Post

जनता दर्शन में उमड़ा जनसैलाव : 130 फरियादियों ने समस्याओं के समाधान की जताई उम्मीद

Next Post

रजत जयंती पर मसूरी में होगा विंटर कार्निवाल का भव्य महोत्सव।

Related Posts

उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को साधली, बडा़ेदरा, गुजरात में सरदार@150 यूनिटी मार्च में हुए शामिल

December 2, 2025
12
उत्तराखंड

रजत जयंती पर मसूरी में होगा विंटर कार्निवाल का भव्य महोत्सव।

December 2, 2025
22
उत्तराखंड

जनता दर्शन में उमड़ा जनसैलाव : 130 फरियादियों ने समस्याओं के समाधान की जताई उम्मीद

December 2, 2025
6
उत्तराखंड

पिरूल, रिंगाल से बन रहे उत्पाद, स्वरोजगार का बन रहा जरिया

December 2, 2025
34
उत्तराखंड

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का हरिद्वार आगमन — गन्ने का भाव ऐतिहासिक रूप से बढ़ाने पर किसानों ने किया भव्य स्वागत

December 1, 2025
8
उत्तराखंड

दूरस्थ क्षेत्र के अंतिम छोर पर निवासरत बुजुर्ग, महिला, बच्चे, सरकार, जिला प्रशासन के लिए प्रथम: डीएम

December 1, 2025
19

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67518 shares
    Share 27007 Tweet 16880
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45762 shares
    Share 18305 Tweet 11441
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38037 shares
    Share 15215 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37427 shares
    Share 14971 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37306 shares
    Share 14922 Tweet 9327

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी मंगलवार को साधली, बडा़ेदरा, गुजरात में सरदार@150 यूनिटी मार्च में हुए शामिल

December 2, 2025

रजत जयंती पर मसूरी में होगा विंटर कार्निवाल का भव्य महोत्सव।

December 2, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.