• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

देवभूमि नकली दवा के धंधेबाजों के लिए राज्य सॉफ्ट टारगेट बन गया

20/07/25
in उत्तराखंड, क्राइम, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
4
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

 

डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में नकली दवाओं का जाल फैलता जा रहा है या यूं कह लीजिए कि नकली दवा के धंधेबाजों के लिए राज्य सॉफ्ट टारगेट बन गया है। यहां निरंतर ऐसे मामले पकड़ में आ रहे हैं। खासकर रुड़की और इसके आसपास के क्षेत्र में यह धंधा खूब फूल-फल रहा है। दूसरी तरफ, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन इन धंधेबाजों का नेटवर्क भेद पाने में नाकाम साबित हो रहा है। पकड़ी गई नकली दवा फैक्ट्री के प्रकरण से विभाग की कार्यप्रणाली फिर सवालों के घेरे में आ गई है। सवाल यह भी है कि क्यों विभाग को ऐसे गंभीर प्रकरणों की भनक नहीं लग पाती। क्या विभाग का काम सिर्फ लाइसेंस जारी करना है? यह कौन देखेगा कि जिसे लाइसेंस दिया गया है, वह प्रतिष्ठान मानकों के अनुरूप काम कर भी रहा है या नहीं। इसके अलावा जिस निगरानी को विभाग में विजिलेंस सेल गठित की है, वह क्या कर रहा है। जाहिर है कि औषधि नियंत्रक विभाग का विजिलेंस तंत्र सिर्फ कागजों में सक्रिय है। नकली दवा ही नहीं, प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री रोकने को लेकर भी विभाग निष्क्रिय है। इसी वर्ष सात मई को प्रेमनगर पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर से 68 हजार प्रतिबंधित कैप्सूल और 12 हजार गोलियां बरामद की थीं। जिसके बाद विभाग ने कुछ दिन तक मेडिकल स्टोरों की जांच को लेकर सक्रियता दिखाई और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यही नहीं, एक पखवाड़ा पहले पुलिस की ओर से दवा की दुकानों पर की गई छापेमारी को अधिकार क्षेत्र में उलझाने का प्रयास हुआ। नकली दवा बनाने की फैक्ट्री का मामला सामने आने के बाद औषधि नियंत्रक से पूरे प्रदेश में दवाओं की जांच के लिए अभियान शुरू करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी वरिष्ठ औषधि निरीक्षक और औषधि निरीक्षकों को फील्ड में उतरकर दवाओं की जांच करने के लिए कहा है। दवाओं की जांच में लापरवाही बरतने वाले औषधि निरीक्षकों को निलंबन की चेतावनी दी गई है। औषधि नियंत्रक ने कहा कि दवाओं की जांच में लापरवाही करने वाले औषधि निरीक्षकों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे। यह भी कहा कि सोमवार से नियमित रूप से इस अभियान की निगरानी की जाएगी। इसके अलावा विभाग की विजिलेंस सेल को भी सक्रिय करने के निर्देश उन्होंने दिए हैं। आमतौर पर इस तरह की दवा बनाने वाले जालसाज कुरियर का भी इस्तेमाल करते हैं। ताकि, जीएसटी व अन्य चेकपोस्ट पर माल न पकड़ा जा सके। पिछले साल हरिद्वार में हुई इस तरह की कार्रवाई में इस बात का खुलासा हुआ था। मंगलौर में दवा बनाते पकड़े गए आरोपियों ने खुलासा किया था कि वे छोटे-छोटे पार्सल को कुरियर के माध्यम से विभिन्न राज्यों को भेजते हैं। ऐसे में उन्हें न तो टैक्स देना पड़ता है और न ही यह कारोबार किसी की निगाह में आता है। जाहिर है कि औषधि नियंत्रक विभाग का विजिलेंस तंत्र सिर्फ कागजों में सक्रिय है। नकली दवा ही नहीं, प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री रोकने को लेकर भी विभाग निष्क्रिय है। इसी वर्ष सात मई को प्रेमनगर पुलिस ने एक मेडिकल स्टोर से 68 हजार प्रतिबंधित कैप्सूल और 12 हजार गोलियां बरामद की थीं। जिसके बाद विभाग ने कुछ दिन तक मेडिकल स्टोरों की जांच को लेकर सक्रियता दिखाई और फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया। यही नहीं, एक पखवाड़ा पहले पुलिस की ओर से दवा की दुकानों पर की गई छापेमारी को अधिकार क्षेत्र में उलझाने का प्रयास हुआ। उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर फल-फूल है नकली दवाओं का कारोबार और शासन-प्रसाशन मूक दर्शक मना हुआ है। शासन-प्रसाशन की इस लापरवाही का नतीजा आम जनता भुगतना पड़ रहा है।नकली दवाओं का यह खेल दशकों से चल रहा है। धीरे-धीरे यह गोरखधंधा अब मार्डन भी होता जा रहा है। आज कल ऑनलाइन दवाईयां मंगाने का दौर चल रहा है इस दौर में भी गोरखधंधे बाज ब्रांडेड कंपनियों के रैपर पर नकली दवाई आम लोगों को सप्लाई कर रहे है। जिन 76 कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है उनमें सबसे अधिक उत्तराखंड की 45, मध्य प्रदेश की 23 और बाकी हिमाचल की कंपनियां हैं। इन सभी कंपनियों पर नकली दवाओं के निर्माण के आरोप लगे थे। पिछले दिनों डग्र कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से दवाओं के मामले में अमेजन और फ्लिपकार्ट को भी नोटिस भेजा गया था। दोनों पर ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के उल्लंघन का आरोप लगा था। भारतीय कंपनियों की ओर से बनाए गए कफ सिरप पीने से गांबिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों के मौत की खबरें आई थी। इस प्रकरण के बाद से भारतीय दवा कंपनियां सवालों के घेरे में आ गईं थी। दवा कंपनियों के खिलाफ सरकार की ओर से की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई को उसी से जोड़कर देखा जा रहा है। सरकार ने दवाओं के निर्माण मामले में कोई भी ढिलाई नहीं बरतने के संकेत दिए हैं। ऐसे में विभाग इन धंधेबाज का नेटवर्क तोड़ पाने में नाकाम रह जाती है. इसका एक बड़ा कारण संसाधनों का अभाव है. संसाधनों की बात छोड़िए अफसर और रिश्ता भी उंगलियों में गिनने लायक है. राज्य में नकली दवाओं को पकड़ने का जिम्मा जिस विभाग को दिया गया है. वहां ड्रग इंस्पेक्टर व कर्मचारियों का भारी टोटा है.सरकार ने नए ढांचे को मंजूरी दी थी पर अभी तक नई भर्ती नहीं हो पाई है. स्थिति यह है कि राज्य में जिलों की संख्या के बराबर भी ड्रग इंस्पेक्टर नहीं है. ऐसे में नशीली व नकली दवाओं को रोकने के लिए कार्य योजना तमाम बनती है लेकिन इस पर सही ढंग से काम नहीं किया जाता। वर्तमान में फील्ड में केवल 6 ही अधिकारी है वरिष्ठ औषधि निरीक्षक के पास सहायक औषधि नियंत्रक व लाइसेंस अथॉरिटी गढ़वाल का प्रभाव है. औषधि निरीक्षक बीच के पास अल्मोड़ा, बागेश्वर , चंपावत और पिथौरागढ़ का जिम्मा है. वहीं वरिष्ठ औषधि निरीक्षक चंद्रप्रकाश नेगी के पास भी उत्तरकाशी, पौड़ी , रुद्रप्रयाग एवं चमोली का जिम्मा है. वरिष्ठ औषधि निरीक्षक नीरज कुमार देहरादून ,उधम सिंह नगर देख रहे हैं और के पास कम से कम हरिद्वार एवं रुड़की की जिम्मेदारी है.कहने को तो 200 मेडिकल स्टोर व 50 फार्मा कंपनियों पर एक औषधि निरीक्षक का मानक है. राज्य में 6 वरिष्ठ औषधि निरीक्षक वाह 33 निरीक्षक के पद स्वीकृत है. मुख्यालय देहरादून हरिद्वार उधमसिंह नगर में 55 नैनीताल में तीन पौड़ी में दो और बाकी जिलों में एक-एक औषधि निरीक्षक होना जरूरी है. पर धरातल पर स्थिति बहुत ज्यादा बुरी है. ऐसे में नशीली दवा के धंधे वालों के हौसले बुलंद हो गए हैं।। *लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।*

ShareSendTweet
Previous Post

मतदान की तारीख नजदीक आते ही प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंकी

Next Post

इनरव्हील क्लब के तत्वावधान में राजकीय कन्या इंटर कालेज परिसर में किया वृहद वृक्षारोपण

Related Posts

उत्तराखंड

इनरव्हील क्लब के तत्वावधान में राजकीय कन्या इंटर कालेज परिसर में किया वृहद वृक्षारोपण

July 20, 2025
3
उत्तराखंड

मतदान की तारीख नजदीक आते ही प्रत्याशियों ने पूरी ताकत झोंकी

July 20, 2025
6
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में सुलेखन (कैलीग्राफी) कक्षाओं का शुभारंभ

July 19, 2025
6
उत्तराखंड

दून पुस्तकालय में सुलेखन (कैलीग्राफी) कक्षाओं का शुभारंभ

July 19, 2025
3
उत्तराखंड

महासंघ ने की प्रो ओoपीoएसo नेगी, कुलपति, मुक्त विवि के कार्यो की सराहना

July 19, 2025
15
उत्तराखंड

स्वाधीनता संग्राम का पहला बिगुल, अपने साहस से कंपा दी थी अंग्रेजी सरकार की रूह

July 19, 2025
4

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

इनरव्हील क्लब के तत्वावधान में राजकीय कन्या इंटर कालेज परिसर में किया वृहद वृक्षारोपण

July 20, 2025

देवभूमि नकली दवा के धंधेबाजों के लिए राज्य सॉफ्ट टारगेट बन गया

July 20, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.