धारी देवी(लक्ष्मण सिंह नेगी) (श्रीनगर गढ़वाल) उत्तराखंड हिमालय में कई मंदिर और कई स्थान रहस्य से भरे हुए जिनकी खोज आज भी वैज्ञानिक करते रहे हैं। चाहे कैलाश पर्वत हो केदारनाथ, बद्रीनाथ जैसे प्राचीन स्थानों के बारे में धार्मिक ग्रंथों में कई प्रकार के रहस्य का वर्णन आज भी मिलता है। उसी तरह अलकनंदा के तट पर स्थित धारी देवी मंदिर जो श्रीनगर गढ़वाल शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, इस मंदिर के बारे में कई लोग बताते हैं की भगवती की मूर्ति विग्रह का हर दिन 3 वार रुप बदलता है।
प्रातः मां का रूप ऐसा लगता है कि जैसा बच्ची की तरह रूप हो, दिन में एक युवती और रात्रि में वृद्धावस्था का स्वरूप दिखाई देता है। हो सकता है कि आध्यात्मिक चिंतन और उसकी गहराई के कारण इस तरह की घटना होती हो। प्राचीन सिद्ध पीठों में धारी देवी का भी नाम आता है। अलकनंदा के तट पर स्थित यह स्थान आज धीरे-धीरे व्यापक प्रचार-प्रसार के बाद यहां देश-विदेश की सैकड़ों लोग यात्रा के लिए आते हैं और यहां पर 30 प्रसाद की दुकाने और चाय पानी की दुकाने चलती है। जिससे यहां के लोगों का आजीविका का एक मुख्य स्रोत बनता जा रहा है।
2013 में इसी स्थान पर मां भगवती के स्थान को एक निजी कंपनी के द्वारा अपने पावर प्रोजेक्ट के लिए भगवती का मूल स्थान से ऊंचाई की तरफ उठा दिया गया था और उसी दिन केदारनाथ की आपदा की महा त्रासदी से लोगों को जूझना पड़ा था कुछ लोगों का मानते हैं कि यह भगवती महाकाली का शक्तिपीठ रहा है जब जब इस तरह की छेड़खानी होगी तब तक महाप्रलय होंगे। इन तथ्यों पर कितनी सच्चाई है किंतु आस्था के साथ खिलवाड़ तो नहीं किया जाना चाहिए यहां पर मां भगवती की महाकाली शक्तिपीठ के रूप में पूजा होती है और माता के साथ काल भैरव की भी पूजा का विधान यहां पर रहा है हर दिन लोग अपनी मननत लेकर यहां आते हैं और जब उनकी मन्नत पूरी हो जाती है तो तो वह लोग मां भगवती को छोटी सी घंटी चढाते है। पुरे मंदिर परिसर में सैकड़ों सैकड़ों घंटी से भरा हुआ है। अब यहां पर अलकनंदा के तट पर पावर प्रोजेक्ट के कारण झील बन गई है जहां पर नौका विहार अच्छा हो सकता है और लोग राफ्टिंग का भी आनंद ले रहे हैं।