फोटो.कुमाऊं के कुंवारी गांव की तलहटी में हों रहे भूस्खलन का दृश्य।
वीडियो. देवाल पिंडर एवं कैल संगम स्थल की स्थिति कैल नदी जोकि नीली निर्मल होकर बह रही है, वही पिंडर नदी बेहद मटमैली एवं गंदली बहकर कैल को भी गंदली कर आगे बढ़ रही है।
थराली से हरेंद्र बिष्ट
पतित पावनी एवं सैकड़ों प्रजाति के जलीय जीवों की जननी पिंडर नदी में पिछले डेढ़ माह से अधिक समय से पानी गंदला आने के कारण पिंडर क्षेत्र के लोग परेशान हैं। परेशानी पिंडर वासियों के अलावा ऋषिकेश.हरिद्वार तक के लोगों एवं श्रद्धालुओं को भी उठानी पड़ रही है। नदी में इन दिनों भी बेहद गंदला पानी आने के संबंध में चमोली प्रशासन कोई भी सटीक उत्तर नहीं दे पा रहा है।
दरअसल प्रति वर्ष जून से सितंबर माह के पहले पखवाड़े तक राज्य की नदियों में मौसम के अनुरूप पानी साफ एवं गंदला होता रहता हैं। किंतु आम तौर पर सितंबर के दूसरे पखवाड़े से नदियां साफ होने लगते हैं। और इस साल भी यही हों रहा हैं। किंतु इस वर्ष अब तक पिंडर नदी का पानी बेहद बदबूदार, मटमिला एवं गंदला बह रहा हैं। जबकि राज्य की अन्य नदियों में पानी साफ हो कर नीला रंग लें चुकी हैं। मौसम शुष्क होने होने के बावजूद पिंडर का पानी गंदला होने के कारण इस नदी में होने वाले दाह.संस्कारों के साथ ही आन्य धार्मिक कार्यों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा हैं। इसके अलावा इसमें जीवन जीने वाले मछलियों सहित अन्य जलीय सैकड़ों प्रजाति के जीवों पर जीवन का संकट गहराने लगा हैं। एक तरह से पिंडर नदी में पारिस्थितिकी संतुलन गड़बड़ानें का अंदेशा बन गया हैं।
भूस्खलन प्रभावित कुंवारी गांव का अस्तितुव खतरे में, पिंडर में आने वाले गंदले पानी का है बड़ा कारण
कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले के कुंवारी गांव के पूर्व प्रधान किशन सिंह दानू ने मोबाइल पर बताया कि 2013 में आई भारी आपदा के कारण कुंवारी गांव में भूस्खलन होने के साथ ही गांव के पास से निकलने वाले पानी के स्रोत प्रभावित हुए थें और गांव भूस्खलन की चपेट में आ गया था। गांव के कई परिवारों का विस्थापन भी किया गया हैं।इस बार अचानक पानी के स्रोतों से पानी के बजाय गाड़ा मलुवा, मिट्टी आ रहा हैं जोकि पास से बहने वाली विलुप नदी जिसे शंभू नदी भी कहा जाता है, जा रहा है और शंभू नदी को गदली कर रही है। शंभू नदी एवं पिंडर नदी का हरमल गांव के पास कुंवरगढ़ में मिलन होता है। और यही से पूरी पिंडर मेली हों कर रह जा रही हैं। जबकि संगम स्थल से पीछे पिंडर एवं कुंवारी गांव से पीछे विलुप नदी साफ बह रही हैं।
वन विभाग की टीम कर चुकी है नदी का निरीक्षण
बद्रीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के प्रभागीय वनाधिकारी सर्वेश कुमार दुबे के अनुसार पिंडर में बेहद गंदा पानी आने की शिकायत पर देवाल वन रेंज से वन विभाग के एक दल को नदी के उद्गम स्थल की ओर भेजा गया।टीम इस वन क्षेत्र के झलिया गांव तक गईए टीम ने भी कुंवारी गांव के नीचे से भूमि कटाव एवं कुमाऊं क्षेत्र में हों रहें सड़कों के निर्माण की जानकारी दी है। इसी से नदी का पानी गंदला होने की बात सामने आ रही हैं।
थराली के तहसीलदार प्रदीप नेगी ने कपकोट तहसीलदार के हवाले से बताया कि पिंडारी ग्लेशियर से पिंडर नदी उद्गम स्थल से कुमाऊं में की सीमा तक साफ बह रही हैं। कुंवारी गांव में लगातार भूस्खलन होने की उन्होंने बात कही है।
पिंडर का पानी साफ होने का कर रहे हैं लोग इंतजार
पिछले लंबे समय से पिंडर में गंदा पानी आने से क्षेत्रीय लोग परेशान हैं।पिंडर नदी में बह रहे गन्दे पानी का असर आगे के शहरों कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, ऋषिकेश हरिद्वार तक बहने वाली नदी में साफ दिखाई पड़ रहा हैं। इन शहरों में भी पिंडर का पानी नदियों पर विपरीत प्रभाव डाले हुए हैं। लोग जल्द से जल्द पिंडर का पानी साफ होने की कामना कर रहे हैं।