थराली से हरेंद्र बिष्ट।
प्रति वर्ष चैत्र नवरात्र के अष्टमी पर्व पर गढ़वाल के 52 गढ़ियों में से एक बधाणगढ़ी में चैत्र अष्टमी के पूर्व पर एक स्वस्फूत मेला सम्पन्न हुआ जिसमें गढ़वाल की पिंडर घाटी एवं कुमाऊं की कत्यूर घाटी के साथ ही अन्य देवी भक्तों ने भारी संख्या में शिरकत कर पूजा.अर्चना कर मनौतियां मांगी।
गढ़वाल एवं कुमाऊं मंडल की मध्य स्थली पर स्थित बधागढ़ी पहुंचने के लिए आज ही करीब तीन किमी खड़ी चढ़ाई को पर कर पहुंचा जाता हैं। किंतु जैसे ही कोई भी श्रद्वालु एवं पर्यटक बधागढ़ी की चोटी पर पहुचता है तों यहां से चारों ओर दूर.दूर तक दिखाई देने वाले एक से बढ़कर एक खूबसूरत दृश्य उसकी थकान को काफूर कर देते हैं। इस स्थान से गढ़वाल की पिंडर घाटी एवं कुमाऊं की कत्यूरी घाटी के दूर तक के क्षेत्रों को देखा जा सकता हैं।
बधाणगढ़ी का जहां एक ओर अपना एक ऐतिहासिक महत्व हैं। तों वही दूसरी ओर इस स्थान में सदियों पूर्व स्थापित मां नंदा भगवती मंदिर के प्रति दोनो मंडलों के देवी भक्तों के बीच अथाह श्रद्वा बनी हुई है। यूं तों पूरे साल इस गढ़ी में पूजा.अर्चना करने वाले देवी भक्तों का आना.जाना लगा रहता है। किंतु चैत्र अष्टमी के दिन यहां के भगवतीएकालीएशिवजीएभैरव आदि देवी.देवताओं के मंदिर में पूजा का विशेष महत्व है।इसी लिए इस दिन यहां पर एक स्वस्फूत मेला आयोजित होता हैं। आज शनिवार को अष्टमी के पावन पर्व पर एक मेला आयोजित हुआ जिसमें भारी संख्या में देवी भक्तों ने शिरकत करते हुए पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी।और जिन देवी भक्तों की मनोकामना देवी की कृपा से पूरी हुई उन्होंने यहां पर विशेष पूजा अर्चना की।देर सांय तक यहां पर पूजा अनुष्ठान के कार्यक्रम चलतें रहें।
उधर पिछले 16 सालों के बाद इस ब्लाक के कूनी.पार्था में आयोजित श्रीमद् देवी पूजन के तहत आज अष्टमी के पूर्व पर तमाम तरह के अनुष्ठानों का आयोजन किया जा रहे हैं।












