• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

भाजपा राज में गैरसैंण विरोधी होने लगे हैं मुखर

28/11/18
in उत्तराखंड, चमोली, संपादकीय
Reading Time: 1min read
0
SHARES
166
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

शंकर सिंह भाटिया
देहरादून। 9 नवंबर 2000 को जब भाजपाराज में उत्तर प्रदेश का विभाजन कर नया राज्य बना तो उसे न तो उसका वास्तविक नाम उत्तराखंड मिला और न ही निर्विवादित तौर पर स्वीकार्य गैरसैंण राजधानी मिली। इस राज्य को भाजपा का थोपा हुआ नाम उत्तरांचल दिया गया तो अस्थाई राजधानी देहरादून बना दी गई। यह उत्तराखंड की मौलिकता पर चोट थी और उत्तराखंडवासियों को यह एहसास भी कराया गया था कि राज्य उनके संघर्ष से नहीं, बल्कि भाजपा सरकार की कृपा से मिला है। उत्तराखंड नाम का विरोध क्यों किया जा रहा है, जबकि यह क्षेत्र न जाने कब से इसी नाम से जाना जाता रहा है और एक बड़ा आंदोलन भी उत्तराखंड राज्य के लिए ही लड़ा गया। भाजपाइयों का जवाब होता था कि इसमें खंड शब्द है, जो खंड-खंड होने का आभास देता है, जबकि इसके साथ बने झारखंड राज्य के नाम में भी खंड शब्द है, जिससे भाजपाइयों को खंड-खंड का आभास नहीं होता? भाजपा की केंद्र सरकार ने झारखंड का नाम वनांचल प्रस्तावित किया था, लेकिन जनजाति बहुल इस क्षेत्र से विरोध तीखा होने की आशंका में उसे वनांचल नहीं किया गया। अब 18 साल बाद भी उत्तराखंड की कोई स्थायी राजधानी नहीं है, जब सत्र गैरसैंण में करने की बात आई तो भाजपा ही नहीं कांग्रेस के अंदर से भी गैरसैंण विरोधियों के मुखर स्वर सामने आने लगे हैं।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट इस कतार में सबसे आगे खड़े हैं। जब विधानसभा का शीतकालीन सत्र तय हुआ तो उसे गैरसैंण के बजाय देहरादून में करने का निर्णय सरकार ने ले लिया। इसकी सफाई देते हुए अजय भट्ट ने कहा कि गैरसैंण अभी तैयार नहीं हुआ है, जब सारी व्यवस्थाएं पूरी हो जाएंगी, तभी वहां सत्र आयोजित होगा। गैरसैंण के निकट रानीखेत के रहने वाले अजय भट्ट इसी चक्कर में अपने को उस गांव का निवासी होने से भी इंकार करते रहे, जिसे लेकर लोग सवाल उठा रहे थे। यह वही अजय भट्ट हैं, जो कर्णप्रयाग सीट पर बसपा उम्मीदार की दुर्घटना में मौत के बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में अगल से हुए चुनाव में प्रचार के दौरान दावा कर रहे थे कि यदि भाजपा की सरकार बनेगी तो गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाया जाएगा। यह बात अलग है कि इस विवाद के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अजय भट्ट का बयान नागवार गुजरा और उन्होंने साफ कर दिया कि यह निर्णय सरकार को लेना है, इस पर प्रदेश अध्यक्ष की बयानबाजी गैरवाजिब है।

हरक सिंह रावत चाहे कांग्रेस में रहे हों या फिर भाजपा में दबंगई उनके स्वभाव में है। वह शुरू से ही उत्तराखंड के विरोधी रहे हैं। बिजनौर के 66 गांवों को उत्तराखंड में शामिल करने का प्रस्ताव उन्हीं का है, कांग्रेस में रहते हुए उनका यह प्रस्ताव अभी भी विधानसभा के विचाराधीन है। उत्तराखंड आंदोलन में उनका कोई योगदान नहीं रहा। अब वह खुलकर यह तर्क दे रहे हैं कि देहरादून में राजभवन, मुख्यमंत्री आवास से लेकर सारे निदेशालय बन गये हैं, अब राजधानी गैरसैंण नहीं बनाई जा सकती। इसलिए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी और देहरादून को स्थायी राजधानी बना देना चाहिए।
नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश हल्द्वानी प्रेम के लिए जानी जाती हैं। वह कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते हुए भी हल्द्वानी से बाहर नहीं निकल पाई थी, अब वह नेता प्रतिपक्ष हैं, उनका वह दायरा अभी भी नहीं बढ़ा है। उनको गैरसैंण में जाड़ा लगने की आशंका है, इसलिए देहरादून में ही शीतकालीन सत्र का वह समर्थन कर रही हैं।

एक दौर वह था जब हरिद्वार के विधायक गैरसैंण का खुलकर विरोध करते थे। तत्कालीन बसपा विधायक हों या भाजपा सभी इसमें आगे रहने की होड़ में होते थे। जिसमें भाजपा विधायक मदन कौशिक और तत्कालीन बसपा और अब कांग्रेस विधायक काजी निजामुद्दीन सबसे आगे थे। जब इन्हें आभास हुआ कि गैरसैंण का पक्ष बहुत कमजोर हो गया है, उनकी पार्टी के ही पहाड़ से आने वाले विधायक गैरसैंण के समर्थन में नहीं हैं, तो उन्होंने तीखा विरोध छोड़ दिया। बल्कि पुष्पेश त्रिपाठी के गैरसैंण पर रखे प्रस्ताव के पक्ष में भाजपा कांग्रेस के किसी विधायक को बोलने की हिम्मत नहीं हुई, इन्हीं दोनों ने गैरसैंण के प्रस्ताव का समर्थन तक कर दिया, हालांकि उनकी बातों से लग रहा था कि वह गैरसैंण के समर्थक नहीं हो सकते, चित पड़ी गैरसैंण की भावना पर थोड़ा मरहम लगाकर उसे कुरेदने का प्रयास वह कर रहे थे। मदन कौशिक के गैरसैंण समर्थन के पीछे एक राजनीति विवशता भी है, जब उनके नाम पर किसी बड़े पद के लिए चर्चा होती है तो उन्हें पहाड़ का मुखर विरोधी बताया जाता है, इससे उनकी राह रुक जाती है। अपनी इस छवि को संतुलित करने के लिए वह बाहर से ही सही गैरसैंण का समर्थन करते हुए दिखाई देते हैं।

आज हालत इस कदर हो गए हैं कि गैरसैंण के मुखर विरोधी पर्दा डालकर गैरसैंण के समर्थक हो गए हैं, जिन्हें समर्थन करना चाहिए वह खुलकर विरोधी हो गए हैं। उत्तराखंड के चुनावी हालात इसके लिए जिम्मेदार हैं। सरकारों में पहाड़ को दरकिनार करने के पीछे भी चुनावी नतीजे जिम्मेदार हैं। गैरसैंण समेत पहाड़ के मुद्दे जब तक चुनावी परिणाम प्रभावित करने वाले नहीं बनेंगे, तब तक पहाड़ का विकास हो या फिर राजधानी गैरसैंण इसी तरह दरकिनार होते रहेंगे।

भाजपा ने तो गैरसैंण को दफना दिया था। कांग्रेस ने इसे कब्र से निकालकर इस मुद्दे को जिन्दा रखा है। पहल अब भाजपा में शामिल तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने की थी, उसे हरीश रावत ने आगे बढ़ाया। कांग्रेस भी इस मुद्दे से खेलती रही, भाजपा को गैरसैंण के नाम पर डराती रही। इससे दफन हो चुका गैरसैंण फिर से फिजाओं में छाने लगा था, अब भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार है, गैरसैंण विरोधियों के लिए यह उसे एक बार फिर से दफन करने का मौका है, इसलिए वे फिर से मुखर होने लगे हैं।

Tags: gairsin-capital-oppose-politics
ShareSendTweet
Previous Post

उत्तराखंड: पुलिस महकमे में 700 सिपाहियों (महिला-पुरुष) की नई भर्ती, इसी सप्ताह जारी होगी विज्ञप्ति

Next Post

रणजी ट्रॉफी: चौथा मुकाबला शुरू, उत्तराखंड के सामने अरुणांचल ने टेके घुटने, कर दी बिहार जैसी हालत

Related Posts

उत्तराखंड

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025
5
उत्तराखंड

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
5
उत्तराखंड

स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थे हिन्द के दादा नैरोजी – अनिल नौरिया

June 30, 2025
3
उत्तराखंड

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘विकसित भारत@2047’ के संकल्प को मिलकर साकार करें: धामी

June 30, 2025
5
उत्तराखंड

हिमालय पर्वत  श्रृंखला में क्यों ज्यादा होते हैं भूस्खलन?

June 30, 2025
12
उत्तराखंड

हेमकुण्ड साहिब तीर्थ यात्रा पर पहुँच रहे कुछ सिरफिरे सिख तीर्थ यात्री आए दिन कहीं न कहीं बबाल काट रहे

June 30, 2025
11

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा से नवनिर्वाचित कार्यकारिणी ने की शिष्टाचार भेंट

June 30, 2025

एसडीआरएफ की प्रशिक्षण इकाई को टेक्निकल गाइड यूनिट के रूप में सक्रिय करें: महानिरीक्षक

June 30, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.