उत्तराखंड समाचार
कोरोनाकाल में जब उत्तराखंड में प्रवासियों के घरों की तरफ आने का क्रम शुरू हुआ तो राज्य सरकार ने होम क्वारंटीन की व्यवस्था को प्राथमिकता दी। संस्थागत क्वारंटीन में बहुत कम लोगों को रखा गया। कई तरह की अव्यवस्थाओं के बावजूद शुरूआती दौर में इससे कोरोना संक्रमण अप्रभावित रहा। अब जब देश में कोरोना संक्रमण काफी बढ़ गया है, साथ ही प्रवासियों के आने का क्रम भी तेजी से बढ़ा है, इसी क्रम में उधमसिंह नगर, उत्तरकाशी और नैनीताल में प्रवासियों के जरिये संक्रमण की रिपोर्ट भी आई हैं, तब रेलों और बसों के जरिये तेजी से उत्तराखंड आ रहे प्रवासियों से संक्रमण की संभावनाओं को कैसे खत्म किया जा सकता है?
पहाड़ के क्वारंटीन सेंटरों पर अब दबाव बढ़ता जा रहा है, क्योंकि अब रेल से बड़ी संख्या में प्रवासियों का आना शुरू हो गया है। शुरूआती दौर में जब प्रवासी कम संख्या में आ रहे थे, तभी ग्राम पंचायत घरों तथा स्कूलों में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर व्यवस्थाएं आधी अधूरी थी, अब जब प्रवासियों की संख्या में अत्यधिक बढ़ौतरी हुई है, हालात कैसे सुधरेंगे किसी को पता नहीं है।
इस संबंध में एक वीडियो संदेश रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल का गढ़वाली में आया है। श्री घिल्डियाल पहाड़ की परिस्थितियों से बहुत अच्छी तरह वाकिफ हैं। जिसमें वह लोगों से क्वारंटीन नियमों का पालन करने की अपील कर रहे हैं। साथ ही कह रहे हैं कि किस तरह लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से राज्य पर बड़ी आपदा आ सकती है। उनका कथन पूरे राज्य पर लागू होता है, साथ ही यह साबित करता है कि राज्य भगवान भरोसे है। जब राज्य में कम संख्या में प्रवासी आ रहे थे, तभी स्थिति नहीं संभल पा रही थी, अब जब रेल तथा बसों से बड़ी संख्या में हजारों प्रवासी प्रदेश में आ रहे हैं, जिसमें बहुत सारे रेड जोन से और बहुत सारे आरेंज जोन से भी आ रहे हैं, तब इन हालातों में संक्रमितों की सही पहचान करना, आने वालों को क्वांटीन के नियमों का पालन कराना असंभव सा हो गया है।
चंपावत के जिलाधिकारी एसएन पांडे ने वीडियो तो जारी नहीं किया, लेकिन जिलेवासियों को कुमाउंनी में एक चिट्ठी लिखकर मार्मिक संदेश जारी किया है। अपने संदेश में उन्होंने लोगों से अनुरोध किया है कि वे महामारी से खुद अपने परिवार और समाज को बचाने के लिए नियमों का पालन करें। लेकिन बहुत सारे लोग हैं, जो नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। चंपावत का ही एक उदाहरण है, उधमसिंह नगर से आने वाले आसिफ खान नामक युवक क्वारंटीन नियमों का पालन करने बजाय दुकान चलाता हुआ मिला। पुलिस ने उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर उसे क्वारंटीन में भेज दिया। पिथौरागढ़ के थल और बिर्थी क्वारंटीन सेंटरों में आशा कार्यकत्री और प्रधान कि साथ मारपीट की गई। इस तरह की घटनाएं पूरे पहाड़ में हो रही है।
ये कुछ घटनाएं हैं, जो होम क्वारंटीन के दौरान आ रही दिक्कतों का सामना कर रहे हैं। लोग क्वारंटीन नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। जब तक अधिकारी सेंटरों में होते हैं, वहां रहते हैं, फिर अपने घरों में चले जाते हैं। उन्हें इस बात का भी भय नहीं है कि उनकी इस कारगुजारी से उनके परिवार तथा पूरे समाज को खतरा हो सकता है। क्योंकि सामान्य दिख रहे लोगों पर भी कोरोना संक्रमण हो सकता है, जो पहले दिखता नहीं है, जब दिखता है, तब तक बहुत सारों को संक्रमित कर चुका होता है। इस तरह का कम्यूनिटी संक्रमण उत्तराखंड में खतरनाक हालात पैदा कर सकता है।