उरगम घाटी। जोशीमठ विकासखंड के अंतर्गत 12 ऐसी घटिया हैं जहां सांस्कृतिक रूप से कई महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान एवं सांस्कृतिक विरासत विद्यमान है। इसी घाटी में एक नीति घाटी में सांस्कृतिक धरोहर है, जो भरत तिब्बत सीमा के अति निकट पर्वती कुंड स्थित है। जो सदियों से भोटिया जनजाति के लोगों का आस्था का केंद्र रहा है।
सन् 1965 से पहले तिब्बत भारत व्यापार का एक मुख्य पड़ाव पार्वती कुंड के नजदीक बड़ाहोती रहा है। 1965 में चीन भारत आक्रमण के बाद तिब्बत व्यापार नीति दर्रे से पूर्ण रुप से बंद हो गया। किंतु इस सामरिक एवं सांस्कृतिक महत्व के स्थान से लोग वंचित रहने लगे, किंतु अब भारत सरकार के द्वारा स्थानीय नागरिकों को सीमित रूप से पार्वती कुंड के दर्शन के लिए अवसर प्रदान किया जाता रहा है।
वर्ष भी लगभग 100 महिलाएं इस पर्वती कुंड के दर्शन कर अभिभूत हुई हैं। उन्होंने वहां जाकर मां पार्वती के दर्शन और परिक्रमा किया और उस धरती को नमन किया। वहां जाकर के उन्होंने अपने पारंपारिक लोकगीतों के माध्यम से पार्वती माता आह्वान किया और अपने खुद के गीत गाए। यहां जाकर महिलाएं भावुक हो गई। सुखी भल्ला गांव के प्रधान लक्ष्मण सिंह बुटोला ने कहां कि हम लोगों का सौभाग्य है कि हमारे भोटिया जनजाति के लोगों को दर्शन करने का अवसर प्राप्त हुआ। दर्शन कार्यक्रम में वाम्पा, गमशाली, कोषा, मलारी, नीती केलाशपुर गाँव आदि गांव की महिलाएं थी। महार बटालियन के जवानों के द्वारा महिलाओं को पार्वती कुंड का दर्शन कराए गए। सभी महिलाओं ने आर्मी के लोगों का भी धन्यवाद किया।
लक्ष्मण सिंह नेगी की रिपोर्ट