देहरादून। ‘‘अभी गांव बसा नहीं लुटेरे पहले ही आ गए’’। यह कहावत देहरादून में भू माफियाओं पर सटीक बैठती है। झाझरा में विज्ञान धाम के पास साइंस सिटी स्थापित करने के लिए राजस्व विभाग ने विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को 4.75 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है। राजस्व सचिव हरबंस सिंह चुघ ने इसके लिए बकायदा आदेश जारी किए हैं। ज्यों ही इस आदेश की भनक भू माफियाओं को लगी, उन्होंने पूरी खाली पड़ी भूमि पर पत्थर लगाकर अपनी हदबंदी दर्शानी शुरू कर दी। इस सब के बावजूद शासन-प्रशासन मौन बैठा हुआ है।
यह साबित करता है कि उत्तराखंड में भू माफिया किस हद तक मजबूत हो गए हैं। वे सरकारी भूमि को अपना बताते हुए उसमें हदबंदी कर लेते हैं। पूरी पौने पांच हेक्टेयर भूमि जो अब तक खाली पड़ी थी रातों-रात वहां अपना क्षेत्र बताते हुए चूने लगे पत्थर लग गए हैं। इस संबंध में जब यूकास्ट के महानिदेशक डा.राजेंद्र डोभाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पहले साइंस सिटी के लिए सेलाकुई की तरफ भूमि आवंटित हुई थी। लेकिन यह सुविधाजनक नहीं थी। उसके बाद यूकास्ट की सीमा से लगी खाली पड़ी इस भूमि को साइंस सिटी के लिए आवंटित करने का अनुरोध शासन से किया गया। शासन ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इस संबंध में राजस्व विभाग की तरफ से 12 मार्च 2018 को आदेश भी जारी कर दिए गए। उनका कहना है कि यह भूमि इसलिए भी सुविधाजनक है कि इससे विज्ञान से जुड़ी सभी गतिविधियां एक स्थान पर संचालित हो सकती हैं। लेकिन इस बीच देखने में आया कि अचानक चारों तरफ भूमि पर पत्थर लगाकर अपनी बताने की होड़ लग गई। एक के बाद सारी भूमि पर कब्जा दर्शा दिया गया।
यह साबित करता है कि उत्तराखंड में भू माफिया किस हद तक मजबूत हो गया है। जमीन चाहे सरकारी हो या फिर निजी उन्हें कब्जा करने में कोई दिक्कत नहीं होती। रातों-रात भूमि पर कब्जा हो जाता है। भूमि पर अवैध कब्जों को लेकर गठित एसआईटी से लेकर पुलिस प्रशासन सिर्फ तमाशबीन बना रहता है। माना जा रहा है कि जब इस आवंटित भूमि पर साइंस सिटी निर्माण का कार्य शुरू होगा, दावेदार भूमि पर अपना कब्जा बताकर मुआवजा हड़पने की जुगाड़ में रहेंगे। यह भी संभव है कि कई भू माफियाओं ने जालसाजी कर यह भूमि अपने नाम पर दर्ज कर ली हो।
भूमि आवंटन अनुबंध के तहत लगाई गई शर्तों के अनुसार अभी साइंस सिटी निर्माण में वक्त लगेगा, कई तरह की अनुमति लेने के बाद यह काम शुरू हो पाएगा। संभव है कि इस बीच भूमाफियाओं की पकड़ इस भूमि पर और मजबूत हो जाएगी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग को नियमानुसार आवंटित की गई यह भूमि अपने कब्जे में लेने के लिए बड़े पापड़ बेलने पड़ेंगे।