01- उच्च हिमालयी क्षेत्र मे पाई जाने वाली कीडा जडी।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ। वन महकमे ने कीडा जडी की पहली निकासी जारी की। चार किलो कीडा जडी से रायल्टी के रूप में एक लाख रूपये का राजस्व प्राप्त हुआ। कीडा जडी से जुडे काश्तकारों व ग्रामीणों ने प्रतिनिधि सभा तपोवन व प्रदेश सरकार का आभार जताया।
उत्तराख्ंाड सरकार मे कीडा जडी को लेकर नीति तैयार किए जाने की लगातार मांग के बाद गत वर्ष आठ अक्टूबर को शासन के अपर मुख्य सचिव द्वारा कीडा जडी के संग्रहण , विदोहन एवं रायल्टी आदि की प्रक्रिया का निर्धारण करते हुए कीडा जडी संग्रहण हेतु संबधित ग्राम प्रधान व सरपंच वन पचांयत के अलावा राजि अधिकारी को अनुज्ञा पत्र देने के लिए अधिकृत किया गया। शासनादेश के अनुसार संग्रहण कर्ता उसी फर्म अथवा ब्यक्ति को कीडा जडी विक्रय कर सकता है जिसका पंजीकरण संबधित क्षेत्र के वन क्षेत्राधिकारी/उप वन संरक्षक के कार्यालय मे हो। वन निगम एवं भेंषज संघ को भी कीडा जडी क्रय करने से पूर्व पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
गत वर्ष आठ अक्टूबर को जारी शासनादेश के बाद शनिवार को उप वन सरंक्षक नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ द्वारा चार किलोग्राम कीडा जडी को पंजीकृत ब्यवसायी को मय निकासी प्रपत्र के साथ विक्रय किया। इससे वन राजस्व के रूप मे एक लाख रूपये रायल्टी प्राप्त हुए। पहली निकासी प्रपत्र भगवानपुर-हरिद्वार निवासी संचना कांबोज को दिया गया।
नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के डीएफओ किसन चंद के अनुसार उनके द्वारा ग्राम प्रधानो व सरपंचो को भी पत्र देकर आग्रह किया गया है कि अपने-अपने क्षेत्र मे कीडा जडी का संग्रहण करने वाले ग्रामीणों को शासनादेश के अनुरूप उचित मार्गदर्शन करे ताकि कडी मेहनत के बाद संग्रहण की गई कीडा जडी का उन्है उचित व सम्मानजनक लाभ मिल सके। उन्होने बताया कि नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क मे अब तक 14 लोगो ने कीडा जडी क्रय के लिए पंजीकरण किया है।
गौरतलब है कि सीमावर्ती जनपदो चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ आदि के काश्तकार वर्षो से कठिन परिश्रम कर कीडा जडी का विदोहन व संग्रहण कर रहे है। लेकिन उच्च हिमालय से मेहनत कर प्राप्त की गई कीडा जडी को विक्रय करने के दौरान पुलिस के हत्थे चढने से ग्रामीणों को कीडा जडी सहित जेल की यात्रा भी करनी पडी। इस गंभीर समस्या के निदान के लिए न्याय पंचायत तपोवन मे गठित सगठन प्रतिनिधि सभा द्वारा इसकी पहल शुरू की गई। प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष कृष्ण मणी थपलियाल द्वारा शासन स्तर पर इस मसले को लेकर लगातार पैरवी किए जाने तथा संबधित जनपदो के विधायको के साथ मुख्य मंत्री से भेंट करने के उपरांत शासन स्तर पर कीडा जडी के विदोहन व विक्रय की नीति निर्धारण पर सहमति बनी। और शासनादेश जारी होने तक श्री थपलियाल द्वारा निरंतर शासन से संपर्क बनाए रखा।
शासनादेश जारी होने के बाद भी काश्तकारो को लग रहा था कि वन महकमा न जाने क्या पेंच फंसायेगा, लेकिन अब शासनादेश के अनुसार सभी नियमो का पालन करते हुए वन विभाग द्वारा पहली निकासी किए जाने पर कीडा जडी से जुडे काश्तकार ग्रामीणों ने भी राहत की सांस ली है।
प्रतिनिधि सभा तपोवन के अध्यक्ष कृष्ण मणी थपलियाल के अुनसार कीडा जडी के लिए अलग से नीति निर्धारण किया जाना सीमांतवासियो के लिए एक अच्छी पहल राज्य सरकार द्वारा की गई। और अब ग्रामीण निसकोंच कीडा जडी को विदोहन, संग्रहण व नियमानुसार विक्रय कर सकेगे। विचैलियांे व पुलिस का हस्तक्षेप अब नही हो सकेगा।
श्री थपलियाल ने कीडा जडी के लिए नीति निर्धारण कर शासनादेश जारी करने के लिए प्रदेश के सीएम त्रिवेन्द्र रावत, विधायक महेन्द्र भटट, सुरेन्द्र नेगी, व मुन्नी देवी साह तथा भाजपा जिलाध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल का पूरे सीमांत वासियों की ओर से आभार प्रदर्शित किया है।