अस्पताल में आकर दिन रात लगी हैं मेडिकल किट तैयार करने में
पुरोला। विकासखण्ड के दूरदराज गांवों तक कोरोना महामारी की आये दिन बढ़ती संक्रमितों की तादात व बीमारी के प्राण घातक हमले को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग समेत प्रशासन की तमाम एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना महामारी के प्राण घातक संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रोफाईलेक्टिक आईबरमैक्टीन दवाई किट बनाने को अब राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी गांव की महिला समूह का सहयोग लेकर दिनरात दवाई के किट तैयार करनें में जूटी है ताकि महामारी के प्राण घातक संक्रमण से रोकने के लिए आईबरमैक्टीन दवाइयों के किट नगर क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रो में घर.घर तक पंहुचाई जा सकें।
क्षेत्र की आधा दर्जन महिला समूह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो दिन से प्रोफाईलोक्टिक दवाइयों के किट बनाने में जुटी हैं। 2 दिनों में महिलाओं ने पुरोला के लिए 5 हजार व मोरी के लिए 4 हजार किट तैयार कर दिए हैं। जिनको गांव की आशा व आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों के माध्यम से अभी तक पुरोला के 18 गांवों तथा मोरी के 8 गांवों में बांटा जा चुका है, जबकि अन्य गांव में भी एक सप्ताह में घर.घर दवाईयां बांटनें का लक्ष्य है।
अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 रमेश आर्य ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में कोरोना महामारी के प्राणघातक संक्रमण को रोकने के लिए प्रोफाईलोक्टिक आईबरमैक्टीन दवाईयां पुरोला के सभी 62 व मोरी के 82गांव में वितरीत की जा रही हैं। दो दिन में महिला समूह के तैयार दो हजार किट पुरोला के 18 व मोरी के 8 गांव में बांटे जा चुके हैं। प्रत्येक परिवार को 24 गोलियों का एक किट दिया जा रहा है जो 15 वर्ष से उपर के लोगों को सुबह साम 3 दिन तक एक.एक गोली व 10-15 वर्ष के बच्चों को तीन दिन तक रात को एक गोली खानी है यह दवाई गर्भवती व धात्री महिलाओं को नहीं लेनी है। किट बनाने वालों में बीडीओ टीएस रावत, आशा फेसिलिटेटर गीता, बीना, मीना जोशी, पल्लवी उनियाल के साथ नीलकंठ, भद्रकाली, कमलेश्लर, तमन्ना स्वयं सहायता समूह की सुमित्रा चौहान, उर्मीला चौहान आदि महिलाएं मौजूद हैं।