डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
त्रियुगीनारायण मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि यहां भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाह में देवी पार्वती के भाई (कन्यादान कर्ता) का कर्तव्य निभाया था. मंदिर प्रांगण में एक पवित्र अखंड अग्नि है, भगवान शंकर ने पर्वतराज हिमावत की पुत्री पार्वती से मन्दाकिनी क्षेत्र के त्रियुगिनारायण गाँव में यहाँ जलने वाली अग्नि की ज्योति के सामने विवाह किया था। मन्दिर के अन्दर प्रज्ज्वलित अग्नि कई युगों से जल रही है। इसलिए इस स्थल का नाम “त्रियुगी” हो गया।मान्यता है कि शिव पार्वती ने इसी अग्नि के सात फेरे लिए थे. मंदिर की बनावट केदारनाथ मंदिर से मिलती-जुलती है. भारत में भगवान शिव को समर्पित अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर अद्वितीय महत्व रखते हैं। ऐसा ही एक मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित त्रियुगीनारायण मंदिर है। इस मंदिर को भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य विवाह का पवित्र स्थल माना जाता है। मंदिर के अंदर सदियों से एक पवित्र अग्नि जल रही है। वही अग्नि जिसने शिव और शक्ति के विवाह की प्रतिज्ञाओं को साक्षी रूप में देखा है। वेदों के अनुसार, त्रियुगीनारायण मंदिर त्रेतायुग से अस्तित्व में है। आज भी भक्तगण आनंदमय और सामंजस्यपूर्ण वैवाहिक जीवन के लिए इस पवित्र स्थल पर पूजा करते हैं। और सोमवार से अधिक शुभ दिन भगवान शिव और माँ पार्वती की पूजा के लिए और क्या हो सकता है? इसीलिए, श्री मंदिर इस सोमवार को शिव और शक्ति के दिव्य मिलन की पवित्र भूमि पर शिव-पार्वती विवाह पूजन, देवी महात्म्य पाठ और अर्धनारीश्वर पूजा का आयोजन कर रहा है।भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हिंदू धर्म में दिव्य एकता का प्रतीक माना जाता है। यह पवित्र कथा उनके प्रेम, भक्ति और त्याग के शाश्वत बंधन को दर्शाती है। इसीलिए शिव-पार्वती विवाह महात्म्य कथा को पढ़ना सुखी और समृद्ध वैवाहिक जीवन के लिए सबसे शक्तिशाली अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। इसके अतिरिक्त, अर्धनारीश्वर रूप भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य मिलन का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ देवता का आधा भाग पुरुष (शिव) और आधा भाग स्त्री (शक्ति) होता है, जो उनके अविभाज्य संबंध का प्रतीक है। मान्यता है कि अर्धनारीश्वर की पूजा करने से वैवाहिक जीवन में प्रेम और सद्भाव बढ़ता है। शास्त्रों के अनुसार, जिन लोगों के विवाह में संघर्ष हो, जीवनसाथी मिलने में देरी हो, या विवाह संबंधी बाधाएं आ रही हों, उन्हें भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित अर्धनारीश्वर पूजा अवश्य करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि यह पवित्र अनुष्ठान एक आनंदमय विवाह के लिए दिव्य आशीर्वाद प्रदान करता है और रिश्तों में आ रही चुनौतियों का समाधान करता है। इस पवित्र स्थल पर, श्री मंदिर के माध्यम से इस विशेष पूजा में भाग लें और वैवाहिक आनंद व मजबूत, सामंजस्यपूर्ण रिश्तों के लिए भगवान शिव और माँ पार्वती का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त करें। रुद्रप्रयाग जनपद में स्थित, शिव- पार्वती का विवाह स्थल त्रियुगीनारायण वैश्विक वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर उभर रहा है. जहां देश विदेश से लोग सनातन परम्पराओं के अनुसार विवाह करने के लिए पहुंच रहे हैं. शादियों के सीजन में अब यहां हर महीने 100 से अधिक शादियां हो रही हैं.प्रधानमंत्री कई मौकों पर डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड की ब्रांडिंग कर चुके हैं. इसका असर, त्रियुगीनारायण मंदिर में साफ तौर पर नजर आ रहा है. जहां लोग देश विदेश से डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए पहुंच रहे हें. इससे यहां होटल कारोबारियों से लेकर पंडे पुजारियों, वेडिंग प्लानर, मांगल टीमों और ढोल दमौ वादकों सहित कई अन्य लोगों को काम मिल रहा है. क्षेत्र की वेडिंग प्लानर रंजना रावत के मुताबिक, 07 से 09 मई के बीच सिंगापुर में कार्यरत भारतीय मूल की डॉक्टर प्राची, यहां शादी करने के लिए पहुंच रही है. इसके लिए उन्होंने जीएमवीएन टीआरएच बुक किया हुआ है. उन्होंने बताया कि इस साल अप्रैल माह तक ही यहां करीब पांच सौ शादियां हो चुकी है, जबकि 2024 में कुल छह सौ शादियां ही हुई थी. उन्होंने बताया कि अब तक यहां इसरो के एक वैज्ञानिक, अभिनेत्री चित्रा शुक्ला, कविता कौशिक, निकिता शर्मा, गायक हंसराज रघुवंशी, यूट्यूबर आदर्श सुयाल, गढ़वाली लोकगायक सौरभ मैठाणी के साथ ही कई, जानी मानी हस्तियां सात फेरे ले चुके हैं. मंदिर के पुजारी सच्चिदानंद पंचपुरी ने बताया कि यहां सनातन मतावलंबियों का विवाह वैदिक परंपराओं के अनुसार सम्पन्न होता है, इसके लिए पहले से रजिस्ट्रेशन होना अनिवार्य है. साथ ही माता-पिता या अभिभावकों की मौजूदगी में ही विवाह संपन्न होता है. उन्होने बताया कि सात फेरों के लिए मंदिर परिसर में ही वेदी बनाई गई है, इसके बाद अखंड ज्योति के साथ पग फेरा लिया जाता है. इसके अलावा अन्य सभी आयोजन, नजदीकी होटल और रिजॉर्ट में सम्पन्न किए जाते हैं. सीतापुर तक के होटल में अन्य विवाह समारोह भी स्थानीय पुजारियों द्वारा सम्पन्न कराए जाते हैं, इसके लिए दक्षिणा की दरें तय की गई हैं. उत्तराखंड सरकार ने साल 2018 में त्रियुगीनारायण मंदिर को डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल के रूप में शुरू किया था। पुरोहित समाज के अध्यक्ष का कहना है कि मुहूर्त को देखकर ही मंदिर में शादी समय तय होता है। लेकिन मंदिर में विजयदशमी और महाशिवरात्रि के दिन शादी के लिए कई जोड़े यहां आते हैं। साथ ही बताते हैं, मंदिर में अगर किसी भी कपल को शादी करनी है, तो उसे मंदिर के पास ही पुरोहित समाज के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साल भर मंदिर में करीबन 200 शादियां होती है। नई पीढ़ी यहां शादी करने को लेकर उत्साहित नजर आती है. शादी के शानदार लम्हों को इस स्थल के साथ कैमरे में कैद करने की ख्वाहिश उनमें देखी जा रही है. अब तक इस स्थल पर कई हस्तियां विवाह के बंधन में भी बंध चुकी हैं. इस स्थान की महत्ता को देखते हुए तत्कालीन ने त्रियुगीनारायण को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी, मगर घोषणा के पांच साल बाद भी यहां कुछ खास काम हुआ नहीं है. लेकिन न तो यह वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित हुआ और ना ही यहां मूलभूत सुविधाएं जुटाई जा सकीं. यही नहीं मंदिर के पुजारियों व तीर्थ पुरोहितों के लिए शौचालय तक की सुविधा नहीं है. मंदिर मार्ग की हालत अच्छी नहीं है. त्रियुगीनारायण के लोगों को बुखार की दवा के लिए दूरी तय कर सोनप्रयाग या फिर 28 किमी दूर फाटा की दौड़ लगानी होती है. समय के साथ ही युवाओं का टेस्ट डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर बदलता जा रहा है। जहां पहले लोग ऐतिहासिक हवेलियों, भव्य इमारतों, समुद्र के किनारे या पहाड़ों पर शादी करना पसंद करते थे, लेकिन अब युवाओं के बीच डेस्टिनेशन टेंपल वेडिंग का कल्चर काफी पसंद किया जा रहा है। इसके लिए लोग नई-नई जगहों की तलाश कर रहे हैं। सीएम ने उत्तराखण्ड में डेस्टिनेशन वेडिंग को बढ़ावा देने के निर्देश दिए. साथ ही त्रियुगीनारायण में सड़क कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के साथ ही वहां पर हेलीपैड बनाने का भी आदेश दिया. सीएम ने कहा कि डेस्टिनेशन वेडिंग से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. उत्तराखण्ड का प्राकृतिक सौंदर्य और आधुनिक सुविधाएं इसे एक प्रमुख वेडिंग डेस्टिनेशन बनाने में सहायक होंगी. साथ ही सीएम ने पर्यटन विभाग को निर्देश दिए कि ‘डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड’ के लिए जल्द से जल्द गाइडलाइन तैयार की जाये.बैठक संपन्न होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा पीएम ने हाल ही में मां गंगा के शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा से सभी देशवासियों से अपील किया है कि वेडिंग के सबसे अच्छा स्थान देवभूमि उत्तराखंड है. जिसके अनुरूप राज्य सरकार योजना बना रही है. साथ ही वेडिंग डेस्टिनेशन के लिए कुछ नए स्थान चिन्हित किये जा रहे हैं. सीएम धामी ने कहा वेडिंग इवेंट्स करने वाले लोगों के साथ भी जल्द ही बैठक की जाएगी. जिससे अधिक से अधिक लोगों को देवभूमि में वेडिंग करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*