राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर 16 नवंबर को राज्य में कई स्थानों पर आयोजन हुए। जिसमें सूचना विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के साथ पत्रकारों ने भी प्रतिभाग किया। इस दौरान सबसे अधिक चिंता मीडिया के नए क्षेत्र वेब मीडिया को लेकर जताई गई। कुछ ने इस नए क्षेत्र वेब मीडिया को पत्रकारिता के क्षेत्र में एक लंबी छलांग बताया तो कुछ ने वेब मीडिया को प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए खतरा तक बता दिया। वेब मीडिया को लेकर कुछ उत्साह दिखा तो संदेह उससे ज्यादा दिखाई दिया। वेब मीडिया में विश्वसनीयता और जिम्मेदारी को लेकर सबसे अधिक सवाल खड़े किए गए। सवाल पेड न्यूज को लेकर भी उठे।
यदि सवाल मीडिया की विश्वसनीयता, पेड न्यूज और समाचार लिखने वाले पत्रकारों की विश्वसनीयता का है तो लोकतंत्र का चैथा स्तंभ कही जानी वाली पत्रकारिता की जिम्मेदारी क्यों नहीं तय होनी चाहिए? उत्तराखंड का सबसे अधिक पढ़ा जाने वाले अखबार होने का दावा करने वाले अमर उजाला ने 16 नवंबर को तैयार किए गए अपने अखबार जिसे 17 नवंबर को प्रकाशित किया गया है, के प्रथम पेज में सर्वोदयी नेता धूम सिंह नेगी को जमनालाल बजाज पुरस्कार मिलने की खबर एक कालम में दी है, जबकि उसी के बगल में चैनल के सीईओ को मिली जमानत को प्रथम पृष्ठ की सेकिंड लीड के तौर पर चार काॅलम में छापा है। अंदर के पेज में भी चंबा से एक छोटी सी खबर प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार विजेता धूम सिंह नेगी के बारे में प्रकाशित की है, जबकि जमानत पाने वाले चैनल के सीईओ के बारे में आधा पेज छापा है।
अखबार का यह निर्णय सिर्फ खबरों के बिकने की क्षमता पर आधारित है। जेल गए सीईओ की खबर अधिक पठनीय और बिकाऊ है? एक समाजसेवी धूम सिंह नेगी, जिन्होंने शिक्षक की अपनी नौकरी छोड़कर पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया और तब से समाज को दिशा देने वाले आंदोलनों में जुटे हुए हैं, उन्हें मिले प्रतिष्ठित जमनालाल बजाज पुरस्कार की प्रतिष्ठा एक ब्लैकमेलिंग के आरोप में जेल गए चैनल के सीईओ को मिली जमानत से कम है? खबरों के चयन का आधार क्या है? सिर्फ बिकाऊ खबरें महत्वपूर्ण स्थान लेंगी? समाज को दिशा देने वाली, समर्पण का उदाहरण प्रस्तुत करने वाली खबरें उनके सामने बौनी हो जाएंगी? ऐसे ही निर्णयों से पत्रकारिता की राह भटक रही है, वेब पत्रकारिता से प्रिंट तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया के लिए खतरे पैदा होने का भय खड़ा करने वाले पत्रकार यदि बिकाऊ और नैतिक खबरों के चयन नैतिकता को वजन देंगे तो संभव है समाज की नजर में पत्रकारिता का मूल्य बढ़े।
इस मामले में देहरादून से ही प्रकाशित एक अन्य समाचार पत्र हिंदुस्तान ने थोड़ा मन को राहत देने वाला निर्णय लिया है। इस अखबार में धूम सिंह नेगी को जमनालाल बजाज पुरस्कार मिलने की खबर थोड़ा अधिक जानकारी जुटाकर प्रथम पेज में सेकिंड लीड के तौर पर छापी है, जबकि सीईओ को जमानत उसके नीचे दो काॅलम में छापी है।