• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

केदारनाथ त्रासदी पर समीक्षात्मक विमर्श का आयोजन

17/06/24
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
42
SHARES
52
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

ब्यूरो रिपोर्ट/देहरादून। दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की ओर से आज पूर्वाह्न 10:30 बजे केदारनाथ त्रासदी पर एक समीक्षात्मक विमर्श का आयोजन किया गया। इस विमर्श बैठक मेें पर्यावरणविशेषज्ञों,सामाजिक विज्ञानियों व चिंतकों द्वारा आज से 11 साल पूर्व इसी दिन आयी भीषण आपदा के कारणों और भविष्य में ऐसी आपदाओं से किस तरीके से सुरक्षा की जाय, इस पर गहन चिंतन किया गया। प्रमुख समाज विज्ञानी और दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के अध्यक्ष प्रोफे. बी. के. जोशी के अध्यक्षता में चली इस विमर्श बैठक में कई विशेषज्ञ लोगों ने प्रतिभागिता की। प्रोफे. बी. के. जोशी ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा को ग्यारह साल हो गये हैं। प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हिमालय की संवेदनशीलता के बारे में सोचने और विमर्श के लिए कदाचित उचित बात होगी कि क्या इस त्रासदी से हमने कोई सबक सीखा है? प्राकृतिक आपदाओं को रोकने या उनसे निपटने के लिए हम क्या कदम उठा रहे हैं। केदारनाथ त्रासदी ने तीर्थयात्रियों को प्रभावित किया था। हिमालय प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है और हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन और बढ़ते मानवीय दबाव के प्रभाव में आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता में और वृद्धि हो रही है।प्रोफे. जोशी ने कहा कि महत्वपूर्ण मुद्दा उन नीतियों, उपायों और कदमों की पहचान करने पर विचार करना है जो आपदाओं को रोकने के लिए कारगर हो सकते हैं। यह सुनिश्चित किया जाय कि हिमालय की संवेदनशीलता को न बढ़ाएं बल्कि इसकी संवेदनशील पारिस्थितिकी को होने वाले नुकसान को कम करने का प्रयास किया जाय। उन्होंने आगे कहा आज उत्तराखंड में दो विरोधाभासी प्रवृत्तियाँ देखने को मिल रही हैं – एक ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक से अधिक लोग या तो राज्य के बाहर या नजदीकी शहरी क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप भूतिया गाँवों की संख्या बढ़ रही है जबकि दूसरी तरफ राज्य के बाहर से लोग यहाँ आकर पहाड़ों में घर,रिजॉर्ट्स आदि बना रहे हैं। बैठक में पर्यावरण विद डाॅ. रवि चोपड़ा ने कहा कि अब यह स्पष्ट होने लगा है कि ग्लाबल वार्मिंग का दौर शुरू हो चुका है हिमालय की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए यहां के तेजी से बढ़ते नगरीकरण के साथ ही वहां के स्थानीय पर्यावरण पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। पर्यावरण संरक्षण व जागरूकता के लिए लोगों को जोड़ने की पहल होनी चाहिए। वाडिया हिमालय भू-विज्ञान के पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ.वी. के. तिवारी ने स्लाइड शो के माध्यम से केदारनाथ त्रासदी के विविध पक्षों पर गहन प्रकाश डाला। भू-विज्ञानी डाॅ. एस. पी. सती ने कहा कि यह विडम्बना है कि केदारनाथ त्रासदी से सबक न लेकर भी हम लोग आज भी उन संवेदनशील जगहों पर पहले से ज्यादा संख्या में निर्माण करते जा रहे हैं। हमें इस प्रदेश में तीर्थटन व पर्यटन दोनों को स्पष्ट तौर पर अलग अलग परिभाषित करने की आवश्यकता है। समाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने कहा कि पर्यावरण की अनदेखी कर किये गये विकास से आम लोगों में निराशा, गुस्से व चिन्ता का भाव पैदा हो रहा है। कुल मिलाकर प्रदेश को दोहरे चरित्र वाले विकास से विकास से बचाया जाना चाहिए। ज्ञान विज्ञान समिति के विजय भट्ट ने कहा कि परम्परागत लोक में गांव ढालदार जगहों व नदियों के किनारे की जगहों में नहीं बसा करते थे,पर आज हमने लोक के इस परम्परागत ज्ञान को बिसरा दिया है और हम बिना सोचे समझे कहीं भी अपनी बसावट बना ले रहे हैं,इससे आपदा में नुकसान की और बढोतरी हो रही है, यह बेहद चिन्ताजनक बात है। स्वतन्त्र पत्रकार फिल्मकार जयप्रकाश पंवार ने कहा कि मोरेन वाली संवंदनशील जगहों पर भारी भरकम निमाण कार्य भी आपदा को बढाने में मददगार होते है।आज गुप्तकाशी, जोशीमठ, नैटवाड सहित कई संवेदनशील जगहों पर भारी भवन के निमाण कार्य हो रहे हैं। इस तरह के विनाश को आमंत्रण देने वाले विकास से बचा जाना चाहिए। सामाजिक चिंतक बिजू नेगी ने कहा कि हमें अपनी जिम्मेदरियों को समझते हुए पर्यावरण सम्मत विकास के प्रति सिटीजन कौंसिल जैसी समिति का गठन करके उसके माध्यम से भी अपनी आवाज मुखरित करने के प्रयास करने होंगे। हिमोत्थान की पूर्व प्रमुख मालविका चौहान ने कहा कि हमें इस बात पर गहराई से सोचना होगा कि उत्तराखण्ड में लोग किस वजह से यहां आने के लिए अधिकाधिक लालायित रहते हैं। हमें इनके कारणों की गहन पडताल करके ही सही विकास मूलक रणनीति बनाने की जरूरत है। प्राचार्य व भूविज्ञानी डाॅ. डीसी नैनवाल ने कहा कि उत्तराखण्ड की भूआकृति व भूविज्ञान के आधारभूत बिन्दुओं को पाठ्यक्रम में शामिल कर छात्रों को स्कूल कालेजों में पढाया जाना चाहिए। राज्य आपदा प्रबन्धन के डाॅ. पीयूष रौतेला ने कहा कि देहरादून,हल्द्वानी, रामनगर आदि जैसे कुछ और शहर भूकम्प के लिहाज से अतिसंवेदनशील हैं। केदारनाथ आपदा 2013 के बारे में कई महत्वपूर्ण बातों की जानकारी देते हुए उन्होने कहा कि हमें यहां की धारणक्षमता इसके प्रति सचेत रहकर आपदा के सुरक्षात्मक उपायों पर सोचने की आवश्यकता है।समाजिक कार्यकर्ता व घुमक्कड़ हिमांशु आहूजा ने कहा कि नियोजन में यह ध्यान रखना होगा कि आपदाग्रस्त इलाकों में आर्थिकी के नये स्रोतों को विकसित करने की जरूरत समझनी होगी क्योकिं आर्थिकी ही असल तौर पर आपदा की जड़ है। अतः हमें इस दिशा में सोचने की जरूरत समझी जानी चाहिए । पत्रकार व पूर्व विधायक केदारनाथ मनोज रावत ने कहा कि हमें बदरीनाथ व केदारनाथ को बचाना ही होगा इसकी संवेदनशीलता को देखते हुए इसके परम्परागत यात्रा स्वरूप को बचाये व बनाये रखनेे की महति आवश्यकता है। आज हालत यह है कि स्थानीय सामान्य आदमी तक को केदारनाथ तक जाने में अनेक दिक्कतों का सामना करना पड रहा है। अतः सरकार, प्रशासन व जन सामान्य के उचित समन्वय से इन संवेदनशील तीर्थ स्थलों व यहां आने वाले तीर्थयात्रियों की सुविधा और आपदा से सुरक्षित रखने के दीर्घगामी प्रयास करने चाहिए। इस बैठक में प्रसिद्व पुरातत्वविद प्रो. महेश्वर प्रसाद जोशी, दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट के देवाशीष सेन,पूरन बर्तवाल, सहायक पुस्तकालयध्यक्ष जगदीश सिंह महर सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

Share17SendTweet11
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

कार्यों को उलझाने के बजाए सुलझाने की प्रवृत्ति रखें अधिकारी

Next Post

कांग्रेस पार्टी त्रिस्तरीय पंचायतों को मजबूत बनाने की पक्षधर रही हैं: ललित फर्स्वाण

Related Posts

उत्तराखंड

दीपावली पर हाई अलर्ट मोड में स्वास्थ्य विभाग- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 24 घंटे सक्रिय रहेंगी सभी स्वास्थ्य सेवाएँ

October 17, 2025
4
उत्तराखंड

जिलाधिकारी गौरव कुमार ने शुक्रवार को श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत चल रहे निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया

October 17, 2025
6
अल्मोड़ा

चौखुटिया में स्वास्थ्य के लिए आरपार की लड़ाई, खुद को खत्म करने पर उतारू आंदोलनकारी

October 17, 2025
5
उत्तराखंड

आधुनिकता की चमक में खत्म हो रही परंपरा

October 17, 2025
3
उत्तराखंड

टनकपुर को मिली 36.30 करोड़ की विकास सौगात — मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने किया 15 विकास योजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास

October 16, 2025
7
उत्तराखंड

उत्तराखण्ड एआई इम्पैक्ट समिट 2025″ का आयोजन शुक्रवार, 17 अक्टूबर को देहरादून में आयोजन

October 16, 2025
8

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67465 shares
    Share 26986 Tweet 16866
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45753 shares
    Share 18301 Tweet 11438
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38025 shares
    Share 15210 Tweet 9506
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37422 shares
    Share 14969 Tweet 9356
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37292 shares
    Share 14917 Tweet 9323

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

दीपावली पर हाई अलर्ट मोड में स्वास्थ्य विभाग- मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर 24 घंटे सक्रिय रहेंगी सभी स्वास्थ्य सेवाएँ

October 17, 2025

जिलाधिकारी गौरव कुमार ने शुक्रवार को श्री बदरीनाथ धाम में मास्टर प्लान के तहत चल रहे निर्माण कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया

October 17, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.