हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली। जहां एक ओर नगर क्षेत्र थराली में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है वही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र थराली में रेबीज में रेबीज के टीके नही होने से स्थानीय लोगों की समस्या बढ़ती जा रही हैं। पिछले लंबे समय से थराली नगर क्षेत्र में बंदरों का आतंक बढ़ता जा रहा है, बंदरों के बढ़ते आतंक से कई लोग बुरी तरह घायल भी हो चुके हैं। वन विभाग एवं नगर पंचायत प्रशासन बंदरो के आतंक से निजात दिलाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहा हैं। जिससे आम नागरिकों, महिलाओं, बच्चों में बंदरों को लेकर दहशियत बढ़ती जा रही हैं। ताजे मामले में के तहत बुधवार की देर सायं थराली नगर पंचायत के भेटा वार्ड के सिमलसैणं गांव की एक 40 वर्षीय महिला कविता देवी घास लेने गई थी कि बंदरों के झुंड ने उस पर हमला कर उसे बुरी तरह घायल कर दिया।महिला के सर,हाथ एवं पाऊं पर गंभीर चोटें आई।स्थानीय लोगों की मदद से घायल महिला को सामुदायिक स्वास्थ्य ले जाया गया। जहां पर महिला का ना तों एक्स-रे हो पाया और ना ही रेबीज टीकों के अभाव में उस पर टीके लगाए जा सकें। महिला के पति बाला दत्त चंदोला ने बताया कि चिकित्सालय में घायल की मरहम-पट्टी करने के बाद हाई सेंटर रेफर कर दिया गया हैं। सीएचसी थराली में एक्सरे मशीन तो है। लेकिन एक्सरे मशीन तो हैं किंतु लंबे समय से यहां पर एक्सरें टेक्नीशियन नही होने से मशीन धूल फांक रही हैं। जिससे थराली एवं देवाल ब्लाक के लोगों एक अदद एक्सरे के लिए भी दर-दर भटकना पड़ रहा हैं। इसके अलावा कुत्तों, बंदरों सहित अन्य जंगली जानवरों के लोगों को काटने के बाद लगाएं जाने वाले रेबीज जैसे महत्वपूर्ण टीकों का सीएचसी में उपलब्ध नही होना चिकित्सा पर प्रश्न चिन्ह उठा रहा हैं। बंदरों के आतंक के संबंध में पूछे जाने पर माध्य पिंडर रेंज थराली के प्रभारी वन क्षेत्राधिकारी मनोज देवराड़ी ने बताया कि पिछले महीने ही थराली एवं देवाल क्षेत्र में बंदरों को पकड़ने के लिए अभियान चलाया गया था। इसके तहत 250 से अधिक बंदरों को बंधियाकरण के लिए हरिद्वार के चिड़ियापुर भेजा गया था। किंतु चिड़ियापुर बंधियाकरण प्रशासन के द्वारा और अधिक बंदरों को ना भेजें जाने की अपील पर बंदरों को पकड़ना बंद करना पड़ा था अब फिर से बंदरों को पकड़ने का अभियान चलाया जाएगा।