कमल बिष्ट/उत्तराखंड समाचार।
कोटद्वार। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा 2023-24 तत्वावधान शांतिकुंज हरिद्वार पौड़ी गढ़वाल के अंतर्गत राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में दिनांक 3 नवंबर 2023 को प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पंवार के दिशा निर्देशन में संपन्न हुई। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार के विभिन्न विषयों के शताधिक छात्र-छात्राओं द्वारा पंजीकरण किया गया, जिसमें 49 छात्र छात्राओं ने परीक्षा उत्तीर्ण की। परीक्षा परिणाम के उपरांत जिला स्तर पर महाविद्यालय के बीएड के छात्र आकाश सिंह द्वारा प्रथम स्थान 90% अंकों के साथ प्राप्त किया, साथ ही बीए चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा उजमा द्वारा महाविद्यालय स्तर पर 83% के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पंवार द्वारा समस्त उत्तीर्ण छात्रों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए जिसमें जिला स्तर पर आकाश सिंह को प्रमाण पत्र सहित स्मृति चिन्ह तथा ₹700 नकद धनराशि प्रदान की गई एवं उजमा को प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।प्राचार्य प्रोफेसर जानकी पंवार ने सभी छात्र छात्राओं को शुभकामनाएं देते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि अपने देश की संस्कृति केवल छात्र से ही पुनर्जीवित है। भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत और संस्कृति में ही निहित है, इसीलिए संस्कृत संस्कृति देती है और संस्कृति जीवन प्रदान करती है। साथ ही यह महाविद्यालय के लिए अत्यंत गौरव का विषय है कि जिला स्तर पर तथा महाविद्यालय स्तर पर हमारे छात्र-छात्रा ने प्रथम स्थान प्राप्त किया है, साथ ही आगामी परीक्षाओं में हमारे महाविद्यालय के छात्र न केवल जिला स्तर अपितु राज्य स्तर पर पुरस्कार प्रदान करें ऐसी आशा करती हूं। कोटद्वार तहसील से भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक कुलदीप मेंदोला ने अपने वक्तव्य में कहा कि आजकल के समाज के लिए यह गौरव का विषय है कि युवा वर्ग अपनी संस्कृति को अपना रहा है और ऐसी परीक्षाओं के लिए उत्साहित होकर प्रतिभाग कर रहा है। संस्कृत विभाग प्रभारी डॉक्टर अरुणिमा ने सभी छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसी परीक्षाएं व्यक्तित्व के विकास में सहायता प्रदान करती हैं क्योंकि इसी से चरित्र निर्माण होता है, कहकर भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा की उपयोगिता पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने परीक्षा प्रभारी डॉक्टर अभिषेक गोयल सहित समस्त परीक्षा विभाग का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि उनके सहयोग के बिना यह परीक्षा संपन्न होना अत्यंत दुष्कर था।
संस्कृत विभाग की प्राध्यापिका डॉ० प्रियम अग्रवाल ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि सभी छात्र छात्राओं को ऐसी प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करना चाहिए क्योंकि ऐसी प्रतियोगिताओं से ही चारित्रिक विकास संभव है। इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रोफेसर एम डी कुशवाहा, प्रोफेसर आशा देवी, प्रोफेसर रमेश चौहान, डॉ० अभिषेक गोयल,श्री कुलदीप मैंदोला, डॉ० बी सी शाह, डॉक्टर सुषमा थलेड़ी, डॉ० अजीत सिंह, डॉक्टर सुशील बहुगुणा ,डॉ नवरत्न सिंह, डॉक्टर अरुणिमा, डॉक्टर संदीप कुमार, डॉ० श्रद्धा , डॉ० सुलेखा घिल्डियाल, डॉ० हितेंद्र बिश्नोई, डॉक्टर पूनम गैरोला, डॉ० प्रियम अग्रवाल, अरुणा चौधरी तथा महाविद्यालय के अन्य प्राध्यापक मौजूद रहे।