डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
विश्व मलेरिया दिवस हो और अल्मोड़ा को रोनाल्ड रास याद न आएं, ऐसा हो ही नहीं सकता। इस शख्सियत का नाम भले ब्रिटिशकाल के अतीत की ओर ले जाता हो, मगर इन्होंने अल्मोड़ा में रहकर जो काम किया, वह वर्षों बीतने के बाद भी इस सांस्कृतिक शहर की स्मृतियों में दर्ज है।डा. रोनाल्ड रास को मलेरिया रोग की पहचान करने के लिए जाना जाता है। उनका जन्म अल्मोड़ा के थामसन हाउस में हुआ था। थामसन हाउस आज भी इस शहर की धरोहर है। मच्छर के काटने से मलेरिया रोग फैलने की खोज करने पर उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रोनाल्ड रास की जन्मस्थली अल्मोड़ा में पिछले तीन वर्षों में मलेरिया का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इससे स्वास्थ्य विभाग को भी राहत मिली है। गर्मी बढ़ने, शहरों के लगातार प्रदूषित होने से मलेरिया का खतरा भी बढ़ने लगा है। गर्मी के मौसम में तो अब पहाड़ में भी मच्छरों का प्रकोप होने लगा है। लेकिन जागरुकता, समयबद्ध कारगर रणनीति से यहां बीते तीन वर्षों में कोई भी व्यक्ति मलेरिया का शिकार नहीं हुआ है। महान वैज्ञानि रोनाल्ड रॉस ने ने 1897-98 में सबसे पहले यह खोज की थी कि मलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है। अंग्रेजी शासन में भारतीय सेना के स्कॉटिश अफसर सर कैंपबेल रॉस की 10 संतानों में सबसे बड़े थे रोनाल्ड रॉस। 13 मई 1857 को अल्मोड़ा में जन्मे डा. रोनाल्ड आठ साल बाद पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। इसके बाद उन्होंने मलेरिया के कारण एवं उसके निदान की अचूक औषधि कुनैन की खोज की।रोनाल्ड रॉस 1881 में भारतीय चिकित्सा सेवा में चयनित हुए। उन दिनों मलेरिया के बुखार से महामारी फैल रही थी और मलेरिया के कारणों का कुछ पता नहीं लग पा रहा था। रोनाल्ड ने 1892 में मलेरिया को लेकर शोध शुरू किया। फिर 1897-98 में यह साबित करने में सफल रहे कि मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। 1902 में उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। कोरोना महामारी के दौरान मलेरिया दवा का महत्व बढ़ गया था। वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तब इसे कोरोना के लिए एक कारगर बताया था। भारत इस दवा के बड़े उत्पादक देशों में शामिल है। रॉस गजब के लेखक भी थे. उन्होंने अपने जिंदगी के अहम पड़ावों पर कई कविताएं भी लिखी. उन्हें बचपन से ही लिखना बहुत पसंद था. अपनी भावनाओं और संवेदनाओं अपनी मेडिकल शिक्षा पूरी होने के बाद वे इंडियन मेडिकल सर्विस की प्रवेश परीक्षा में बैठे लेकिन नाकाम रहे. पूर्व नगर पालिकाध्यक्ष ने बताया कि सर रोनाल्ड रॉस विश्व प्रसिद्ध नाम हैं. मलेरिया के जीवाणु को खोजने में उनका अहम योगदान रहा है. इससे पता चला कि मलेरिया की बीमारी किस वजह से फैल रही है. हमारे लिए ये गौरव की बात है कि इतने महान व्यक्ति का जन्म अल्मोड़ा में हुआ. उनके पिता ब्रिटिश पीरियड के दौरान यहां पर थे. कैंटोनमेंट बोर्ड के पास वे रहा करते थे, जिस घर में उनका जन्म हुआ उसे अब थॉमस हाउस के नाम से जाना जाता है. ऐसे महान वैज्ञानिक का अल्मोड़ा से गहरा नाता रहा है. आज भी बड़े सम्मान से लोग उन्हें याद करते हैं. उनका योगदान पूरी मानवता के लिए है. जब भी मलेरिया फैलती है तब उन्हें याद किया जाता है. यह कहानी न केवल उत्तराखंड की पहचान है, बल्कि विश्व चिकित्सा जगत में इसकी contribution को भी उजागर करती है। Malaria पर विजय की जब भी बात होती है, Sir Ronald Ross का नाम और Almora की ऐतिहासिक विरासत गर्व से याद की जाती है। *लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*