अल्मोड़ा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व जागेश्वर के विधायक गोंविद सिंह कुंजवाल ने कहा कि उत्तरखंड की स्थायी राजधानी मुद्दे को लेकर कुछ लोगों द्वारा ग्रीष्मकालीन राजधानी की बात कह कर इस विषय पर उन्हें सोचने को मजबूर किया जा रहा है। जो लोग ग्रीष्मकालीन की बात कह रहे हैं, उन्हें शांतिपूर्वक राज्य प्राप्ति आंदोलन के समय उत्तराखंड के हर व्यक्ति महिला, पुरूष व राज्य कर्मचारियों की भावनाओं को मद्देनजर रखते हुये बयान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि उस समय पूरे प्रदेश के लोगों की एक ही मांग थी, राज्य मिले और राजधानी गैंरसैण हो।
राज्य प्राप्त हुआ लेकिन राजधानी के मुद्दे का निर्णय तत्कालीन केंद्र सरकार ने नहीं लिया। अस्थायी राजधानी देहरादून घोषित कर दी। पिछली कांग्रेस की सरकार ने विशेष रूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने राजधानी की दिशा में गैरसैंण में निर्माण कार्य प्रारंभ करवाये। उन्होंने कहा कि आज भव्य विधान भवन व आवासीय सुविधायें लगभग पूर्ण हो चुकी है। वहां देखकर कोई व्यक्ति यह सोचने के लिए मजबूर हो जायेगा। 175 करोड़ के आसपास धन खर्च होने के बाद सरकार स्थायी राजधानी की घोषणा नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि उनका कुछ आरामतलब नेता व अधिकारियों के दवाब में निर्णय नहीं हो पा रहा होगा। यह राज्य पर्वतीय राज्य के रूप में जाना जाता है। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को व पहाड़ से हो रहे पलायन को रोकने के लिए स्थायी राजधानी गैंरसैण होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले 18 सालों के कामकाज पर अगर हम नजर डाले तो प्रदेश में तरक्की की है, लेकिन पहाड़ों में आज की स्थिति में पलायन हो रहा है।
ये हाल राज्य बनने से पूर्व नहीं था। सड़क, विद्वायलय, अस्पताल, तकनीकि शिक्षा, छोटी प्रशासनिक इकाईयां अच्छी है, लेकिन चिन्हन करने की आवश्यकता है कि क्या कारण है उत्तर प्रदेश में रहते हुये कर्मचारी, अधिकारी पहाड़ में तैनात रहते थे, आज कोई भी इनमें से खुशीकृ2 पहाड़ जाना नही चाहता है। पहाड़ में खेती खाली हो गई है। इस सब का एक ही कारण सामने आता है कि पहाड़ की राजधानी पहाड़ में ना बन पाना अब सब को गंभीरता से इन मुद्दों का हल निकालना होगा। उन्होंने कहा कि हल एक ही है स्थाई राजधानी गैरसैंण बनायी जाय। कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सचिवालय के लिए भी धन स्वीकृत कर दिया था। कुछ धनराशि निर्माण ऐजंसी को अवमुक्त हो चुकी थी, लेकिन एसे ही लोगों के दबाव में सरकार निर्माण कार्य प्रारंभ नही कर पा रही है। उन्होंने तत्काल पूर्व सरकार द्वारा स्वीकृत धनराशि को सचिवालय के निर्माण में खर्च करने की मांग की।