देहरादून. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा ‘ संवेदना’ संस्था की ओर से आज दून पुस्तकालय के सभागार में साहित्यकार कांतिमोहन, सुभाष पंत, विजय गौड़ तथा विज्ञान चिंतक गजेंद्र मोहन बहुगुणा की स्मृति में गोष्ठी आयोजित की गयी। सुभाष पंत पर व्यक्तव्य देते हुए वरिष्ठ कवि राजेश सकलानी ने कहा कि एक समय देहरादून को सुभाष पंत के नाम से जाना जाता था। उनकी कहानियां सहज संप्रेषणीय है़ जिनके केंद्र में आम आदमी रहता है। पंत जी निरंतर सृजनशील रहे और सांप्रदायिकता का मुखालफत करते रहे। पत्रकार अरविंद शेखर ने विजय गौड़ को याद करते हुए कहा कि विजय की कथनी और करनी में कोई फ़र्क नहीं रहता था। उनकी रचनाओं में अन्यायपूर्ण दुनिया बदलने की कसक सा साफ दिखती है। अरविंद ने कहा कि बहुत से मामलों में वह अपने मित्रों से भी टकराते थे। किसी से भी असहमति जताने में उन्हें जरा भी संकोच नहीं होता था। अरविंद शेखर ने उनके साहित्यकर्म के अलावा रंगमंच में योगदान का भी स्मरण किया। विज्ञान चिंतक गजेंद्र मोहन बहुगुणा को याद करते हुए उनके घनिष्ठ मित्र विजय भट्ट भावुक हो उठे। उन्होने बताया कि गजेंद्र बहुगुणा की प्रमुख चिंता वैज्ञानिक चेतना और पर्यावरण के प्रति जागरुकता के प्रसार को लेकर थी। वह हर किसी को ब्रह्मांड की उत्पत्ति की वैज्ञानिक व्याख्या करने को आतुर रहते थे। विजय भट्ट ने उन्हें बचपन से ही पढ़ाकू और जिज्ञासु प्रवृत्ति का बताया। अरुण कुमार असफल ने कांतिमोहन जी को एक बेहतरीन गज़लकार बताते हुए कहा कि उनकी गज़लें दुष्यंत कुमार की हिंदी गज़ल की परंपरा से अलग विशुद्ध उर्दू गज़ल परंपरा की हैं। अरुण ने कांतिमोहन जी के संपादकीय कौशल की प्रशंसा करते हुए संपादन के क्षेत्र में उनके योगदान की चर्चा की। गोष्ठी में नवीन कुमार नैथानी, राजेश पाल और जितेंद्र भारती ने भी अपनी स्मृतियां साझा की। गोष्ठी का संचालन ‘ संवेदना’ के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने किया.
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार गुरुदीप खुर्राना, जितेन्द्र भारती, दिनेश, जोशी, कांता घिल्डियाल, डॉ. नूतन गैरोला, बिजू नेगी, संजीव घिल्डियाल, नवीन नौटियाल, कमलेश खन्तवाल, रंगकर्मी वी के डोभाल,भारती मिश्रा,आलोक कुमार, केन्द्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी, प्रेम साहिल,सतीश धौलाखण्डी, सुन्दर सिंह बिष्ट, राकेश कुमार, अवतार सिंह सहित शहर के प्रबुद्घ लेखक, साहित्यकार व अन्य लोग उपस्थित थे।