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उत्तराखंड में तबाही का मंजर कहीं फटे बादल, कहीं चारधाम यात्री फंसे

30/06/25
in उत्तराखंड, देहरादून
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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। मानसून शुरू हो गया है और इस सीजन में उत्‍तराखंड में बादल फटने की घटनाएं अक्‍सर सामने आती हैं। यहां लगातार दैवीय आपदा का प्रकोप बना रहता है। विशेषकर बीते कुछ वर्षों के दौरान बादल फटने की घटनाएं बढ़ी हैं। हर साल बारिश का सीजन आते ही कई तरह की आपदाएं भी आती हैं। इसमें बाढ़, भूस्खलन और बादल फटने जैसी घटनाएं होती हैं। इन सभी आपदाओं में काफी जनहानि होती है। बाढ़ से लाखों घर डूब जाते हैं। खेती-किसानी और जानवरों को भी काफी नुकसान पहुंचता है। तेज बारिश के चलते पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन की घटनाएं सामान्य हो जाती हैं। इससे यातायात प्रभावित हो जाता है। भूस्खलन के चलते कई लोग इसकी चपेट में भी आ जाते हैं। इन सभी घटनाओं के बीच बादल फटना भी एक बड़ी आपदा है। ज्यादातर बारिश के मौसम में पहाड़ी राज्यों में ही बादल फटने की घटना होती है। यमुनोत्री हाईवे पर पालीगाड़ ओजरी डाबरकोट के बीच सिलाई बैंड के पास बीती रात बादल फटा. बादल फटने की घटनाएं ज्यादातर मानसून के मौसम यानी बारिश के सीजन (जून से सितंबर) में होती हैं। जब वातावरण में नमी की मात्रा अधिक होती है। यह पहाड़ी क्षेत्रों जैसे हिमालय, उत्तराखंड, भारत में अधिक आम है। समतल क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं कम होती हैं। बादल फटने की घटना अचानक और अप्रत्याशित रूप से होती है। अक्सर दोपहर या रात में बादल फटते हैं। जब वातावरण में नमी और गर्मी का स्तर चरम पर होता है घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस-प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और लापता लोगों की तलाश में जुट गई है. वहीं सिलाई बैंड के पास भूस्खलन में लापता दो मजदूरों के शव 18 किमी दूर यमुना नदी तट पर तिलाड़ी शहीद स्मारक के समीप मिले हैं. पुलिस द्वारा दोनों शवों को नौगांव सीएचसी ले जाया गया, जबकि 7 मजदूरों की खोजबीन जारी है. लापता मजदूरों में 5 नेपाली मूल, 3 देहरादून और 1 उत्तर प्रदेश के बताए जा रहे हैं. जनपद मुख्यालय में बीते दो तीन दिनों से लगातार बरसात हो रही है. वहीं देर रात तहसील बड़कोट के सिलाई बैंड के पास अतिवृष्टि (बादल फटने) की घटना घटित हुई. घटना की सूचना मिलते ही एसडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग की टीम मौके पर पहुंची और लापता 9 मजदूर मजदूरों की तलाश तेज की. लापता दो मजदूरों के शव 18 किमी दूर यमुना नदी तट पर तिलाड़ी शहीद स्मारक के निकट मिल गए हैं. बताया जा रहा है कि लापता मजदूर वहां पर टेंट लगाकर रह रहे थे और मार्ग का काम कर रहे थे. सिलाई बैंड पर यमुनोत्री हाईवे का 10-12 मीटर हिस्सा वॉश आउट हो गया है, मार्ग को सुचारू करने का कार्य जारी है, मार्ग सुचारू होने में समय लग सकता है. सुरक्षा के दृष्टिगत पुलिस द्वारा तीर्थयात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर रोका गया है. घटना तीन बजे सुबह की बताई जा रही है. यमुनोत्री हाईवे पर सिलाई बैंड के पास सुरक्षित मजदूरों को पुलिस प्रशासन ने खाना खिलाकर उनके घरों को रवाना किया. पाली गाड़ चौकी प्रभारी कांतिराम जोशी ने बताया कि 19 मजदूरों में से 10 मजदूरों को पालीगाड़ पहुंचाया गया, इसके अलावा 9 मजदूर लापता थे, जिनमें से दो मजदूरों के शव मिल गए हैं. दोनों शवों की शिनाख्त की गई है. जिनमें नेपाली मूल का 43 वर्षीय केवल बिष्ट पुत्र बम बहादूर और उत्तर प्रदेश के पीलीभीत निवासी 55 वर्षीय दूजे लाल के रूप में पहचान की गई है. लापता मजदूरों में 5 नेपाली मूल, 3 देहरादून और 1 उत्तर प्रदेश के बताए जा रहे हैं, जिनकी तलाश जारी है. वहीं चमोली जनपद के कुछ इलाकों में मूसलाधार बारिश जारी है. कर्णप्रयाग क्षेत्र में हो रही बारिश से बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग उमटा के पास बंद हो गया है. तो वहीं पीपलकोटी के पास लगातार बारिश के बाद मलबा गिरने का सिलसिला जारी है. उमटा के पास सड़क पर मालवा आने से दोनों तरफ गाड़ियों की लंबी लाइन लग गई है. एक बड़ा पत्थर टूटकर नेशनल हाईवे पर आ गया है. हाई वे को सुचारू करने का काम जारी है. चमोली ऋषिकेश बद्रीनाथ हाईवे भी बंद हो गया है. उमटा के पास सड़क पर आया मलबा, बोल्डर. पीपलकोटी के पास भी बाधित हुआ राष्ट्रीय राजमार्ग. लगातार हो रही बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त. जगह-जगह फंसे हैं चार धाम और हेमकुंड साहिब जाने वाले यात्री. वहीं नैनीताल में रात से बारिश हो रही है. मौसम विभाग ने तेज बारिश की चेतावनी दी है. अलर्ट पर प्रशासन है. कई इलाकों पर है आपदा का खतरा. वर्षाकाल अब धीरे-धीरे रवानी पकड़ने लगा है। ऐसे में बाढ़ और जलभराव की चिंता भी सताने लगी है। इसे देखते हुए सरकार ने अब किसी भी आपात स्थिति से निबटने के दृष्टिगत तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है।राज्य के सभी जिलों में 304 ऐसे संवेदनशील स्थल चिह्नित किए गए हैं, जहां बाढ़ एवं जलभराव का खतरा हो सकता है। इन स्थलों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी। इसके साथ ही राज्य में 113 बाढ़ सुरक्षा चौकियां प्रशासन के सहयोग से स्थापित कर दी गई हैं, ताकि नदियों में बाढ़ की स्थिति में तत्काल अलर्ट जारी किया जा सके।राज्य में हर बार ही वर्षाकाल में नदियों का वेग भयभीत करता है। अब जबकि मेघ झमाझम बरस रहे हैं तो नदियाें का जल स्तर भी बढ़ने लगा है। इससे चिंता और चुनौती दोनों ही बढ़ गए हैं। उत्तराखण्ड राज्य बाढ़, बादल फटने, भूस्खलन, भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। इनसे बचने के लिए बेहतर पूर्वानुमान, बुनियादी ढांचों, जन जागरूकता, बेहद जरूरी है। *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

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