डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
पढ़ना सिर्फ़ शौक नहीं है; यह एक परिवर्तनकारी अनुभव है। जब आप किसी बच्चे को पढ़ने का आनंद देते हैं, तो आप राष्ट्र निर्माण में योगदान देते हैं।’- राष्ट्रपति ने विश्व पुस्तक मेले के उद्घाटन सत्र के अवसर पर बचपन की यादें साझा करते हुए कहा विश्व के सबसे बड़े पुस्तक मेलों में से शामिल, नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला के 2025 संस्करण का उद्घाटन भारत मंडपम में हुआ। इस अवसर पर भारत में रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव, प्रमुख रूसी लेखक डॉ. एलेक्सी वर्लामोव, संजय कुमार (आईएएस), सचिव, स्कूल शिक्षा और साक्षरता, विनीत जोशी (आईएएस), सचिव उच्च शिक्षा विभाग, प्रो. मिलिंद सुधाकर मराठे (अध्यक्ष), राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत एवं युवराज मलिक उपस्थित रहे।
द्रौपदी मुर्मू ने नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले में इस वर्ष के थीम गणतंत्र भारत के 75 वर्षों के उत्सव के चयन पर कहा, ‘पुस्तक मेला भारत की सांस्कृतिक विविधता, इसकी एकता और प्रभावशाली प्रगति की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति प्रदान करता है।’ राष्ट्रपति ने थीम मंडप का उद्घाटन भी किया और मेले का दौरा किया। नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के 2025 संस्करण का विषय है गणतंत्र भारत के 75 वर्षों का उत्सव, ‘हम, भारत के लोग..’ के आदर्श वाक्य के साथ इस वर्ष, थीम मंडप हमारे संविधान द्वारा गणतंत्र के मूलभूत मूल्यों के माध्यम से राष्ट्र को एकजुट करने में निभाई गई अपरिहार्य भूमिका का जश्न मनाता है। प्रदर्शनी भारतीय गणतंत्र की प्रथम पुस्तक रूप में सविंधान की मूल प्रति में शामिल कालकृतियों सहित इसकी अवधारणाओं पर आधारित विभिन्न गणतांत्रिक मूल्यों को आकर्षक रूप में प्रस्तुत करती है।
भारत में रूसी राजदूत, डेनिस अलीपोव ने हिंदी में अपना संबोधन शुरू किया। डेनिस अलीपोव ने भारत और रूस के बीच लंबे समय से चली आ रही साहित्यिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षिक और सांस्कृतिक साझेदारी पर जोर देते हुए कहा, ‘दोनों देश कहानियों के प्रति अपने प्रेम और जीवन को बदलने की उनकी शक्ति में विश्वास से एकजुट हैं। इस वर्ष फोकस देश के रूप में, हम इसे भारत और रूस के बीच साहित्य में सहयोग की नयी संभावनाओं को तलाशेंगे।’
उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए सचिव स्कूली शिक्षा संजय कुमार ने कहा ‘भाषा और साहित्य का जितना दुनिया में जितना अधिक आदान प्रदान होता है, यह दुनिया उतनी ही अधिक सुंदर बनती है,’ उन्होंने मेले को संस्कृतियों के बीच एक सेतु कहा जो ‘कई मायनों में यह पुस्तक मेला देश की भाषाई बहुलता को दर्शाता है।’
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2025 में दुनिया भर के विभिन्न देश जैसे न्यूजीलैंड, जर्मनी, लिथुआनिया, स्पेन, यूएई, इजरायल, नेपाल, जापान, हांगकांग, पोलैंड, मिस्र, नाइजीरिया, श्रीलंका, ईरान, ऑस्ट्रेलिया, ईरान, यूएसए, यूके, फ्रांस, इटली, सऊदी अरब, कतर और रूस भाग लेंगे।
किताबों की दुनिया में बच्चों का एक विशेष स्थान है, यह बात प्रोफेसर मिलिंद सुधाकर मराठे ने बाल मंडप के उद्घाटन समारोह पर कही। उन्होंने कहा कि ‘सभी के लिए किताबें’ पहल के माध्यम से एनबीटी, इंडिया का लक्ष्य ऑडियोबुक और ब्रेल में प्रकाशनों सहित पढ़ने के समावेशी अवसर उपलब्ध कराना है।लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।