रिपोर्ट – सत्यपाल नेगी
रुद्रप्रयाग – शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने को लेकर सरकारे समय-समय पर नये नये नियम प्रयोग करती रहती हैँ,मगर सरकार व शिक्षकों के बीच की आपसी तालमेल,या यूँ कहे राजनीतिक असहमतियों को लेकर हमेशा ही छात्र-छात्राओं का ही नुकसान होता नजर आया है।
रुद्रप्रयाग जिला शिक्षक संघ द्वारा सरकार की नीतियों के प्रति खासी नाराजगी देखने को मिल रही है,शिक्षकों का कहना है कि प्रदेश में अटल उत्कृष्ट विद्यालय में शिक्षकों को ग्रीष्मकालीन अवकाश दिया जाना चाहिए।साथ ही विद्यालय कोटीकरण की विसंगतियां नहीं होनी चाहिए,इसके साथ ही पद सृजन के लिए उचित नीति बननी चाहिए।शिक्षक संघ ने अपनी तीन प्रमुख मांगे सरकार व विभाग से रखी है।
1- जिला शिक्षक संघ के अध्यक्ष नरेश भट्ट ने कहा कि सरकार ने अटल उत्कृष्ट विद्यालयों को शिक्षकों पर थोपने का कार्य किया है।सरकार ने कम्पार्टमेंट वाले विषयों के छात्रों व शिक्षकों को ग्रीष्मकाल में भी विद्यालय में अध्ययन कराने के आदेश जारी किये हैं।कहा कि ग्रीष्मकाल में कोई भी शिक्षक विद्यालय नहीं आएगा। जबकि कोरोनाकाल की तरह ऑनलाइन अध्ययन कराया जाएगा।
2- शिक्षक संघ का कहना है जिले में कोटिकरण की नीति के अनुसार दुर्गम विद्यालयों को सुगम कर दिया।जिस कारण यहां पद खाली पड़े हैं।जबकि टिहरी जिले में कई सुगम विद्यालयों को दुर्गम किया गया है।जहां पद आसानी से सृजित हो रहा हैं।कहा कि तमाम विषयों के पदों के सृजन में बड़ी विडंबना हो रखी है।
3- शिक्षक संघ का कहना है कि एक तरफ सरकार देश व राज्य मे संस्कृति को द्वितीय राज भाषा का दर्जा दे रही है तो दूसरी तरफ संस्कृत विषय के पदों पर नियुक्ति नहीं की जा रही है।जिस कारण विद्यालयों में संस्कृति के अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं। वहीं शिक्षक संघ अध्यक्ष ने कहा सरकार हमारी मांगों पर अमल करते हुए शिक्षा विभाग को मजबूत बनाने का कार्य करे।अन्यथा शिक्षक आंदोलन को मजबूर होंगे।