देहरादून, 26 नवम्बर, 2024. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज शाम केंद्र के सभागार में भानुभक्त आचार्य के जीवन व कृतित्व पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया. उल्लेखनीय हैं कि भानुभक्त आचार्य,नेपाली भाषा और साहित्य के आदि कवि रहे हैं। वक्ताओं ने उनके साहित्यिक योगदान को रेखांकित करते हुए खा कि भानुभक्त आचार्य के श्रेष्ठतम प्रयासों में रामायण का नेपाली में अनुवाद शामिल है। वे संस्कृत साहित्य के उत्कृष्ट विद्वान थे और उनकी रचनाओं में प्राचीन काव्य परंपराओं का परिपालन साफ तौर से दृष्टव्य होता है।
बातचीत में लेखक एवं मार्गदर्शक श्री कृष्ण प्रसाद पन्थी ने भानुभक्त आचार्य के आरंभिक जीवन से लेकर उनके आदिकवि होने तक की घटनाओं का वर्णन करते हुए उनके काव्य में व्याप्त भारतीय काव्यशास्त्र की परम्पराओं को सोदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने नेपाली रामायण की विशिष्टताएं बताते हुए भानुभक्त की आध्यात्मिक चेतना और उनके रचे कालजयी साहित्य के नेपाली साहित्य में अवदान को गहराई से रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने लक्षण-ग्रन्थों में वर्णित काव्य के उद्देश्यों से लेकर किसी साहित्य आकार-प्रकार के आधार पर उसके महाकाव्य होने की अर्हताएं बताते हुए भानुभक्त आचार्य के साहित्य के काव्यगत सौंदर्य पर प्रकाश डाला।
एक अन्य चर्चाकार के रूप चर्चा में शामिल भाषाविद और अनुवादक डॉ. दिनेश शर्मा ने देहरादून में नेपाली साहित्य की समृद्ध परम्परा का स्मरण करते हुए नेपाली भाषियों की नई पीढ़ी को भाषा के संवर्धन की दिशा में आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने श्रोताओं को भानुभक्त आचार्य की अन्य कृतियों से परिचित कराते हुए उनके जीवन के विशिष्ट प्रसंगों जैसे ‘ _पुत्र को लिखे एक पत्र’_ और _‘जेल से प्रधानमन्त्री को लिखी कविता_ ’ आदि का विशेष उल्लेख किया। डॉ. शर्मा ने नेपाली भाषा की विकास यात्रा में पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड और हिमाचल की भूमिका और यहाँ के नेपाली लेखकों के योगदान का भी विशेष उल्लेख किया।
चर्चा का संचालन करते हुए रेडियो प्रस्तोता श्रीमती संकल्पा पन्त ने नेपाली भाषा और साहित्य की सरसता और उसमें निहित लोक मंगल की भावना को श्रोताओं के सामने रखा। इस दौरान श्रोताओं के पूछे प्रश्नों का भी चर्चाकारों ने उत्तर दिया। कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए वरिष्ठ साहित्यकार और अखिल भारतीय नेपाली भाषा समिति के अध्यक्ष डॉ. भूपेन्द्र अधिकारी ने दून पुस्तकालय एवं शोध केन्द्र की इस पहल के लिए आभार व्यक्त किया और इस तरह के कार्यक्रमों को किसी भी भाषा की भाषाई संस्कृति के संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण बताया।
कार्यक्रम के आरम्भ में दून पुस्तकालय एव शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चन्द्रशेखर तिवारी ने अतिथि गणों व उपस्थित श्रोताओं का स्वागत किया।
इस अवसर पर देवेंद्र कांडपाल , शायर सुशील देवली, हिमांशु आहूजा,श्री शम्भू कुमार, शादाब मसहीदी,डॉ. मनकुमारी गौतम, श्रीमती भारती मिश्रा, श्रीमती पूनम, श्रीमती शर्मिला शर्मा, श्रीमती शांता पन्थी, डॉ. वी के डोभाल, श्रीमती अपर्णा, रेग्मी,सुंदर सिंह बिष्ट, मधन सिंह,डॉ. अतुल शर्मा, राकेश कुमार, अवतार सिंह सहित अनेक लेखक,साहित्यकार व पुस्तकालय के पाठकगण उपस्थित रहे।