• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar

जनसांख्यकीय परिवर्तन प्रदेश ही नहीं देश के लिए भी घातक

29/05/25
in उत्तराखंड, देहरादून
Reading Time: 1min read
0
SHARES
18
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड सरकार ने मैदानी व पहाड़ी जिलों में हो रहे जनसांख्यकीय परिवर्तन (डेमोग्राफिक चेंज) को लेकर जिला प्रशासन को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। जिला व पुलिस प्रशासन को जिला स्तरीय समितियों के गठन, अन्य राज्यों से आकर बसे व्यक्तियों के सत्यापन व धोखा देकर रह रहे विदेशियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। चुनाव से ठीक पहले भाजपा सरकार के इन निर्देशों को समाज व राजनीति के एक वर्ग की ओर जिस तरह के प्रतिरोध की आशंका व्यक्त की जा रही थी, वैसा कुछ दिखने में नहीं आया। इसकी दो वजह है।एक तो सरकार के इस कदम के पीछे ठोस कारणों की मौजूदगी व दूसरे विरोध करने पर सियासी नुकसान की आशंका। कारण कुछ भी हो, लेकिन यह स्पष्ट है कि सीमांत राज्य उत्तराखंड में नियोजित या अनियोजित ढंग से हो रहा जनसांख्यकीय परिवर्तन बड़े खतरे की आहट है। राज्य व देश हित चाहने वाला कोई भी व्यक्ति इसे नकार नहीं सकता। राज्य गठन के बाद से सरकारें आई व गईं, लेकिन इस आहट को सुनने में नाकाम रहीं या सियासी लाभ के लिए जानबूझ कर नकारती रही हैं। अब जब स्थिति विकट होने के कगार पर है, तब भी सरकार जिला प्रशासन व पुलिस को सतर्क रहने तक की ही हिदायत दे पाई है। देश में कहीं भी भूमि खरीदने के मूल अधिकार की रक्षा करना बेशक सरकार का दायित्व है, लेकिन किसी मूल अधिकार के दुरुपयोग को रोकना भी तो सरकार का ही दायित्व होगा। इसका बोध राज्य सरकार को अब हुआ है। सीमांत राज्य उत्तराखंड में जनसांख्यकीय परिवर्तन प्रदेश ही नहीं देश के लिए भी घातक हो सकता है, यह सरकार को भले देर से ही सही, पर समझ में तो आया। अब भी अगर ठोस निगरानी शुरू कर दी जाए तो स्थिति बदतर होने से बच सकती है।जनसांख्यकीय परिवर्तन कोई यकायक होने वाली प्रक्रिया नहीं है। उत्तराखंड में इस परिवर्तन की नींव अविभाजित उत्तर प्रदेश के दौरान पड़ गई थी। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद इस दिशा में तेजी आई है, लेकिन सरकारें जाने-अनजाने इसकी अनदेखी करती रहीं। प्रदेश में यह परिवर्तन दो तरह का है। देहरादून, हरिद्वार व ऊधमसिंह नगर जैसे जिलों में बाहरी प्रदेशों से लोग विभिन्न कारणों से आ बसे हैं। यह प्रक्रिया सामान्य है, लेकिन एक समुदाय विशेष के लोग इन जिलों के क्षेत्र विशेष में जमीन खरीद कर या अतिक्रमण कर भी भारी संख्या में बसे हैं। इस कारण वहां पहले से बसे लोगों ने अपनी भूमि औने-पौने दामों पर बेच कर अन्यत्र बसना उचित समझा। अब इन जिलों के कुछ क्षेत्रों में मिश्रित जनसंख्या के बजाय समुदाय विशेष की किलेबंदी जैसी दिखने लगी है। इन क्षेत्रों व अवैध बस्तियों में बांग्लादेशी भी शामिल हैं।पिछले कुछ वर्षो में यह प्रवृत्ति पहाड़ी जिलों में भी दिखाई दी है। जहां पहाड़ से लोगों का पलायन रोकना सरकार के लिए चुनौती बना है, वहीं यह भी देखने में आया है कि पहाड़ के कस्बाई क्षेत्रों में समुदाय विशेष के लोग बसने में विशेष रुचि ले रहे हैं। पौड़ी गढ़वाल, चमोली, नैनीताल, उत्तरकाशी में इस तस्वीर को देखने के लिए कोई खोजबीन करने की जरूरत नहीं है। यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में बसने में रुचि लेने वालों में विदेशी भी शुमार हैं।क्षेत्र विशेष में समुदाय विशेष की नियोजित बसावट को रोका जाना क्यों जरूरी है, इसके तीन ठोस आधार हैं। सबसे पहले देवभूमि के मूल स्वरूप को बचाना आवश्यक है। देवभूमि के मूल चरित्र के कारण जो कभी यहां आए भी नहीं, वे भी इस स्वरूप को संरक्षित रखना चाहते हैं। वहीं, जो भौतिकवादी सोच के लोग हैं, वे भी राज्य की आर्थिकी के लिए इस स्वरूप को कायम रखना चाहते हैं। सब जानते हैं कि उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग की रीढ़ तीर्थाटन ही है।सरकार के इस कदम का एक और ठोस आधार देश की सीमाओं की सुरक्षा भी है। नेपाल व चीन की सीमा से लगने वाले इस राज्य की सीमाओं में मूल निवासियों के पलायन को रोकना जितना जरूरी है उतना ही तर्कसंगत बाहर से आकर बसने वालों की स्क्रीनिंग करना भी है। इस राज्य के सीमांत जिलों के हर गांव-परिवार के स्वजन सीमाओं पर सैनिक के रूप में तैनात है। जो गांवों में हैं वे बिना वर्दी के समर्पित सैनिक हैं। इनकी भूमिका को सेना द्वारा सराहा जाता रहा है। इन क्षेत्रों में सुनियोजित बाहरी बसावट की ओर यूं ही आंख मूंद कर नहीं बैठा जा सकता है। चंद वोटों की लालच में ऐसा होते रहने दिया गया तो सीमा पर संकट खड़ा हो जाएगा। आने वाली पीढ़ियां वोटखोर नेताओं को कभी माफ नहीं करेंगी।नीति आयोग की शासी परिषद की 10वीं बैठक में मुख्यमंत्री ने तमाम विषयों को रखा था, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण डेमोग्राफिक डिविडेंड (जनसांख्यिकीय लाभांश) पर विशेष जोर दिया था, क्योंकि विकसित भारत के लिए डेमोग्राफिक डिविडेंड एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. उत्तराखंड भी अगले 10 सालों तक ही डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठा सकता है.दरअसल, डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाने में आगामी 10 साल राज्य के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं. आखिर क्या है डेमोग्राफिक डिविडेंड? उत्तराखंड सरकार कैसे अगले 10 सालों तक डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाने पर दे रही हैआसान भाषा में समझें तो डेमोग्राफिक डिविडेंड का मतलब किसी भी देश की जनसंख्या की आयु संरचना में परिवर्तन के कारण होने वाला आर्थिक लाभ. आम तौर पर ये तभी होता है तो जब कार्यशील आयु वर्ग (15-64 वर्ष) की जनसंख्या, युवा आश्रित जनसंख्या (14 वर्ष से कम) और बुजुर्ग आश्रित जनसंख्या (65 वर्ष से अधिक) से अधिक हो जाती है. दूसरे शब्दों में कहें तो जब कार्यशाली (काम करने वाले) आयु वर्ग की जनसंख्या बढ़ जाती है तो इससे देश में बचत, निवेश और उत्पादन में वृद्धि होती है. अधिक लोग काम करते हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है. इसलिए कहा जा रहा है कि उत्तराखंड के पास एक सुनहरा मौका है. क्योंकि राज्य के पास ऐसे लोग हैं जिन्हें कार्यशाली आबादी में बदला जा सकता है.केंद्र सरकार की कोशिश है कि भारत साल 2047 तक विकसित देश बन जाए. इसलिए केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से भी विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए अपने-अपने स्तर से सहयोग देने पर जोर दिया है. हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की बैठक में डेमोग्राफिक डिविडेंड का मामला काफी अधिक चर्चाओं में रहा.डेमोग्राफिक डिविडेंड राज्यों के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसका लाभ उठाने से न सिर्फ नागरिकों की आय बढ़ेगी बल्कि राज्य की आर्थिक भी मजबूत होगी. राज्य आर्थिक रूप से मजबूत होंगे तो साल 2047 तक विकसित भारत का संकल्प भी आसानी से पूरा हो सकेगा. 21 जनवरी 2025 को ही मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट ने रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें इस बात को कहा गया है कि भारत के पास आर्थिक विकास के लिए जनसांख्यिकीय लाभांश से लाभ उठाने के लिए कुछ ही साल बचे हुए हैं.रिपोर्ट के अनुसार, बहुत तेजी से प्रगति करने के बाद भी भारत अभी भी कम आय वाला देश है. देश में उम्रदराज लोगों की आबादी बढ़ने से पहले देश को अमीर बनने की जरूरत है. रिपोर्ट के अनुसार भारत देश की राष्ट्रीय प्रजनन दर 1.98 है, जोकि सामान्य प्रजनन दर 2.1 से नीचे है. देश के सिक्किम राज्य में सबसे कम प्रजनन दर 1.05 है, जबकि बिहार में प्रजनन दर सबसे अधिक 2.98 है.भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में उत्तराखंड का फर्टिलिटी रेट 1.8 था. इस दौरान उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों की फर्टिलिटी रेट 1.7 और उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की फर्टिलिटी रेट 1.9 थी. यही वजह है कि उत्तराखंड सरकार अगले 10 सालों के भीतर डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाने पर जोर दे रही है. क्योंकि जिस तरह से देश के साथ ही उत्तराखंड में जनसंख्या कंट्रोल किए जाने को लेकर तमाम योजनाएं और अभियान संचालित किया जा रहे हैं, इसे आने वाले समय में राज्य के फर्टिलिटी रेट और अधिक कम होने की संभावना है. वरिष्ठ पत्रकार का भी यही मानना है कि फिलहाल उत्तराखंड का जो फर्टिलिटी रेट चल रहा है, उस हिसाब से तो राज्य से पास डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ लेने के लिए 10 साल का ही समय बचा है. उत्तराखंड के लिए डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाना एक बड़ी चुनौती भी है. विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में आपदा जैसे हालत अक्सर बने रहते हैं. इन्हीं आपदा की वजह से राज्य के इंफ्रास्ट्रक्चर को काफी अधिक नुकसान पहुंचता है.इसके अलावा बेरोजगारी और सीमित रोजगार भी एक बड़ी चुनौती है. यही वजह है कि राज्य सरकार स्वरोजगार पर विशेष जोर दे रही है. प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था भी काफी बेहतर नहीं है. ऐसे में राज्य सरकार को अगले 10 साल के भीतर डेमोग्राफिक डिविडेंड का बेहतर लाभ उठाने के लिए इन तमाम पहलुओं पर विशेष ध्यान देना होगा. ताकि राज्य के नागरिकों की आय बढ़ाने के साथ ही राज्य की आर्थिक को भी मजबूत किया जा सके. *लेखक विज्ञान व तकनीकी विषयों के जानकार दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।*

ShareSendTweet
http://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/02/Video-National-Games-2025-1.mp4
Previous Post

कलयुगी बेटे ने मां को कुल्हाड़ी से काट डाला, अंतिम संस्कार की तैयारी के बीच राजस्व पुलिस ने किया गिरफ्तार

Next Post

साइबर क्राइम पर बड़ी स्ट्राइक

Related Posts

उत्तराखंड

“इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय” की भावना के अनुरूप ठोस और नवाचारपरक प्रस्ताव तैयार करें: मुख्यमंत्री

June 19, 2025
13
उत्तराखंड

आश्वासन देकर विधायक टम्टा ने कराया मोख तल्ला के ग्रामीणों का आंदोलन स्थगित

June 19, 2025
176
उत्तराखंड

कांग्रेसियों ने दिव्यांग बच्चों संग कैक काटकर वरिष्ठ नेता राहुल गांधी का मनाया जन्मदिन

June 19, 2025
5
उत्तराखंड

गढ़वाल राइफल केंद्र में योगाभ्यास सत्र में 1500 से अधिक जवानों ने किया प्रतिभाग

June 19, 2025
7
उत्तराखंड

राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के उत्तराखण्ड आगमन पर मुख्यमंत्री धामी और राज्यपाल ने स्वागत किया

June 19, 2025
14
उत्तराखंड

जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवान की भक्ति करना: शुकदेव

June 19, 2025
9

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    0 shares
    Share 0 Tweet 0
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    0 shares
    Share 0 Tweet 0

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

“इकोलॉजी और इकोनॉमी के समन्वय” की भावना के अनुरूप ठोस और नवाचारपरक प्रस्ताव तैयार करें: मुख्यमंत्री

June 19, 2025

आश्वासन देकर विधायक टम्टा ने कराया मोख तल्ला के ग्रामीणों का आंदोलन स्थगित

June 19, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.