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01– मथुरा के बाद गया-बिहार से भी उठी उत्तराखंण्ड देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांग।
02– पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हुई शिष्टाचार भेंट ।
प्रकाश कपरूवाण
जोशीमठ।
देवभूमि उत्तराखण्ंड के चारों धामों से जुडे तीर्थपुरोहितों द्वारा देवस्थानम बोर्ड के खिलाफ चलाए जा रहे न्यायोचित आंन्दोलन का समर्थन करते हुए अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने बीते दिनो मथुरा मे बृहद बैठक और अब गया-विहार के ठाकुर जी मंन्दिर मे बैठक कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व उत्तराखंण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से देवस्थानम बोर्ड को तत्काल भंग करने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि उत्तराखंण्ड मे बने देवस्थानम बोर्ड को भंग नही किया गया तो अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा न केवल दिल्ली व देहरादून मे आंन्देालन करेगी, ब्लकि इसका खामियाजा सरकारो को सत्ता खोकर देना होगा।
अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा की चेतावनी व चारों धामों मे चल रहे आंन्देालनों के रूख को देखते हुए अब लग रहा है कि उत्तराखंण्ड सरकार देवस्थानम बोर्ड को लेकर कोई फैसला ले सकती है। बीते रोज चारधाम देवस्थानम बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी द्वारा गंगोत्री व यमनोत्री मे तैनात कार्मिको को वापस बुलाने के फरमान के बाद देवस्थानम बोर्ड को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है, एक तरफ जहाॅ चारधामों के तीर्थपुरोहित व ब्यवसायी चारधाम यात्रा को खोलने की मांग करते हुए आंदोलनरत है, वहीं यात्रा शुरू होने की सभांवनाओ से पहले ही गंगोत्री व यमनोत्री मे तैनात कार्मिकों को वापस बुलाया जाना,! इसके पीछे कुछ तो बात है।
दरसअल कुछ दिन पहले ही पर्यटन व धर्मस्व सचिव दलीप जावलकर से धर्मस्व विभाग को प्रभार हटाया गया, यह भी सर्वविदित है कि चार धाम देवस्थानम बोर्ड बनाने मे श्री जावलकर की अहम भूमिका रही है। और अब अचानक पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत का दिल्ली मे प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से मुलाकात होना, इसके पीछे भी यह अंदेशा लगया जाना लाजमी है कि संभवत देवस्थानम बोर्ड को लेकर प्रदेश से लेकर केन्द्र तक गंभीरता से विचार किया जा रहा है। हाॅलाकि इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट कहा गया है ।
यहाॅ यह भी उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल जो लंबे समय तक श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंन्दिर समिति के अध्यक्ष रहे है, उन्होने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो पहली कैबनेट की बैठक मे देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का निर्णय लिया जाऐगा। इसी प्रकार का आश्वासन आम आदमी पार्टी व अन्य विपक्षी दल भी दे चुके है। हाॅलाकि देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत कई बार स्पष्ट कर चुके है कि देवस्थानम बोर्ड के गठन से तीर्थ पुरोहितो व हकहककूधारी समाज के हितों पर किसी प्रकार का कुठाराघात नही होगा।
लेकिन चारोधामों के तीर्थपुरोहित बोर्ड को भंग करने की मांग पर अडे है। इससे पूर्व निर्वतमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत देवस्थानम बोर्ड को लेकर पुर्नविचार करने की बात कह गए थे, तो नए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उच्चस्तरीय कमेटी के गठन की बात कही है। लेकिन विधान सभा सत्र की तिथियाॅ घोषित होने, सचिव जावलकर से धर्मस्व विभाग हटाए जाने, गंगोत्री व यमनोत्री से कार्मिको को वापस बुलाए जाने व पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र रावत का प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से मिलना, और देशभर के तीर्थपुरोहित समाज का आंन्दोलन मे कूदना, इन सब पहलुओ को देखते हुए लगता है कि राज्य सरकार देवस्थानम बोर्ड को लेकर कोई सर्वमान्य फैसले की ओर बढ रही है।