अल्मोड़ा। देवप्रयाग जैसे तीर्थ में शराब फैक्ट्री खोले जाने के समर्थन में नरेंद्र नेगी जैसे कलाकार का बयान सामने आने पर उपपा ने आश्चर्य व्यक्त किया है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मुलाकात के बाद आये इस बयान ने उनकी सांस्कृतिक चेतना पर सवाल खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंडी समाज व खास कर महिलाये नशे के प्रकोप से मुक्ति के लिए लगातार संघर्ष करती है। लेकिन नरेंद्र नेगी द्वारा उनके घर मिलने आये मुख्यमंत्री से मिलने के बाद जिस तरह पहाड़ में शराब पीने की आदत को देखते हुये शराब फैक्ट्री के पथ में बयान दिया। उससे सरकार के जन विरोधी कार्यों का बचाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के गांवकृगांव, घरकृघर में यदि नशे का प्रयोग होता है तो क्या शराब पीने वालों को इसी तर्क पर स्वयं शराब बनाने या अन्य प्रकार के नशों को पैदा करने उनके सेवन की छूट क्यों नही दी जानी चाहिए। क्या नेगी जी इसका भी समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि नेगी जैसे महान कलाकार को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि उनके बयान से माफियाओं की शराब संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि नेगी यदि उत्तराखंड में व्याप्त बेरोजगारी, प्राकृतिक संसाधनों की लूट, गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने जैसे विषयों पर बात रखते तो राज्य आंदोलन के दौर में उनके लिये गाये गीतों के अनुरूप राज्य को सवारने की चेतना प्रखर होगी। उपपा ने नेगी से अपने बयान पर पुनरू विचार करने की अपील की है।
कर्मचारियों को न्यूनतम 18 हजार रूपये प्रतिमाह वेतन दिये जाने की मांग
अल्मोड़ा। उपपा ने राज्य में गैरसरकारी विभागों, निगमों, संस्थानों में कार्यरत सभी कर्मचारियों को न्यूनतम 18 हजार रूपये प्रतिमाह वेतन देने की मांग की है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि सरकार द्वारा नियुक्त दायित्वधारियों के वेतन भत्ते यदि सरकार एक झटके में तिगुने कर सकती है तो वर्षो से संघर्षरत इन कर्मचारियों के पथ में भी सरकार को इसी तरह निर्णय लेना चाहिए। यहां जारी एक बयान में उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि प्रदेश सरकार आम लोगों के लिये खर्च होने वाली धनराशि में लगातार कटौती कर रही है। उपपा ने कहा कि सरकार का नैतिक दायित्व है कि अंधा बाटे रेवडी की कहावत को चरिचार्थ न करे और पहले ज्याद जरूरतमंदों को अपने निर्णयों का लाभ मिले।