श्री धूम सिंह नेगी, जी को जमना लाल बजाज पुरस्कार मिलना, जमीनी कार्यकर्ताओ की जीत है, जो अपने लिये नहीं , दूसरों के लिए जीते हैं
कल देर रात मैंने गुजरात से आई एक पोस्ट पढ़ी थीं। जिसमें हमारे बड़े भाई श्री वीरेंद्र रावत जी ने लिखा कि, चिपको नेता श्री धूम सिंह नेगी जी को।मुम्बई में प्रतिष्ठित जमना लाल बजाज पुरस्कार मिला है फिर मैंने और पक्की खबर के लिए ,उन से मेसेंजर में बात की। उन्होंने कहा पुरस्कार रिसीव कर लिया है। कोई खबर नहीं छपी नहीं थीं पहले। औऱ एक जगह पुष्टि के लिए फोन किया। वहां से भी इस बारे अज्ञानता की खबर से मैं सो गया। आज औऱ अभी स्वयं धूम सिंह नेगी जी से बात हुई। उन्होंने कहा , वर्धा में हूँ।और कल मुंबई पुरस्कार मिला है। वे काफी खुश थे। और बिज़ी भी।
फिर भी उन्होंने मेरे से खुशी शेयर की।
इस बार जमना लाल बजाज पुरस्कार,बगैर प्रचार किए दिया गया। नेगी जी को दो दिन पहले टिकट दिया गया हवाई जहाज का। जौलीग्रांट से मुबई पहुँचने पर उन्हें बताया गया।उन्हें उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकया नायडू ने यह पुरस्कार दिया।और दस लाख की राशि भेंट की।
यह पुरस्कार, गुरुजी धूम सिंह नेगी जी का नहीं है। हेंवलघाटी, नरेन्द्रनगर, फोकट, चम्बा का नहीं है। न ही टिहरी का।सारे पहाड़ का है।उन जमीनी लोगों का है। जो गुरुजी जैसे जीते हैं। लोगों के लिए।जो वास्तव में काम करते हैं। गाते नहीं है।जो काम के बदले
फल की इच्छा नहीं रखते हैं। जिनमें रत्ती भर लालच नहीं होता।
प्रधानाअघ्यापक की नोकरी छोड़ कर धूम सिंह जी हेंवल घाटी में , संघर्ष करने लग थे। उन्होंने डैम विरोध में श्री सुंदर लाल बहुगुणा जी का दिल से साथ दिया। चिपको आंदोलन में आगे आये। बीज बचाओ आंदोलन ,चलाया। सबको संदेश दिया। कि, अपने पंर म पगगत बीज अपनाओ। कटल्डी चुने पत्थर का विरोध किया।सरकार को उनकी मांग में झुकना पड़ा। उनके साथी कुंवर प्रशुन होते। आज यह खबर पाकर खुश होते। वे गांधी जी के सच्चे प्रतिनिधि है।गांधी जी के चार पुत्र थे। पांचवे मानद पुत्र श्री जमना लाल बजाज थे। उनके पौत्र श्री राहुल बजाज हैं। यह पुरस्कार, देश का बड़ा पुरस्कार है। और सबसे बड़ी बात जिन लोगों को यह मिलता है,वे वास्तविक लोग होते हैं।टिहरी गढ़वाल के वह तीसरे व्यक्ति हैं जिन्हें इस अहम पुरस्कार का गौरव मिला है। 1986 में श्री सुंदर लाल बहुगुणा , 1995 में श्रीमती बिमला बहुगुणा के बाद, 2018 में श्री धूम सिंह नेगी जी ने इसे पाकर इतिहास बनाया है
संसार के बड़े विज्ञानी प्रोफेसर श्री खडग सिंह वल्दिया ने भी अपनी पुस्तक में श्री धूम सिंह नेगी के कामों की सराहना की है। वह लिखते हैं कि,सुंदर लाल बहुगुणा, धूम सिंह नेगी जी प्रभावित होकर, उन्हें मिलने जाजल आये। और अपने आंदोलन से जुड़ने का आग्रह किया। धूम सिंह जी बहुगुणा जी से कहा ” जितना समय मिलेगा उतना मैं चिपको आंदोलन को दूँगा।”देखो भाई यह काम फुरसत का नहीं है। अंततः 1974 में प्रधाना ध्यापक से त्याग पत्र देकर वे चिपको आंदोलन में कूद पड़े। बहुगुणा के अनशनों में साथ दिया। आंदोलनो में भाग लिया। उनके साथ जेल यात्राएं की। अनेक मुहिमों का नेतृत्व धूम सिंह जी स्वयं करते थे।
द्वारा- शीशपाल गुसाईं