शंकर सिंह भाटिया
उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में चैत के बाद खट्टा मीठा स्वाद वाला काफल पकना शुरू होता है। और यह जून तक, जब तक मानसून की बारिश पड़ती है, पकता है। मानसूनी बारिश के साथ ही यह समाप्त हो जाता है। काफल एक जंगली फल है, लेकिन उत्तराखंड की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इसके साथ कई लोक गीत जुड़े हुए हैं तो कई मार्मिक कहानियां भी काफल के साथ जुड़ी हुई हैं। लोक गीत और लोक कहानियों के साथ काफल एक ऐसा फल है, आयुर्वेदाचार्यों के अनुसार जिसमें कई तरह के औषधीय तत्व मौजूद हैं।
अप्रैल-मई के बाद जब गर्मियां बढ़ने लगती हैं, उत्तराखंड के जंगलों में काफल की रंगत लौटने लगती है। खट्टे-मीठे काफल उत्तराखंड के मर्म में बसे हुए हैं। यह बहुत पहले से लेकर आज तक कई लोगों के आय का स्रोत बना हुआ है। पहाड़ में कुछ खास स्थानों में सड़कों के किनारे लोग काफल बेचते हुए दिखाई देते हैं। पहाड़ में यह सौ रुपये से लेकर डेढ़ सौ रुपये किलो तक बिकता है, लेकिन जब यह राज्य की राजधानी देहरादून पहुंचता है तो इसकी कीमत छह सौ रुपये प्रति किलो हो जाती है।
काफल के साथ एक पक्षी की आवाज भी जुड़ी रहती है। काफल के इस सीजन में पक्षी काफल पाको, मैं नी चाखो गाते हुए सुना जा सकता है। एक मां-बेटी को मार्मिक कहानी भी इसके साथ जुड़ी हुई है। गरीब महिला का एक लड़की के अलावा कोई नहीं होता है। काफल पकने के साथ इस महिला का रोजगार शुरू हो जाता है। एक दिन वह जंगल से एक टोकरी काफल तोड़कर लाती है। किसी काम में व्यस्त हो जाती है। बेटी को काफल की रखवाली के लिए छोड़ देती है। उसे हिदायत देती है कि वह काफल न खाए। लेकिन जब वह काम से लौटकर आती है तो देखती है कि काफल कम हो गए हैं। बगल में काफलों की रखवाली कर रही बेटी पूरी इमानदारी से काफलों की देखभाल करती है। अपना मन मारकर भी वह काफल नहीं खाती है। लेकिन गर्मी की वजह से काफल सिकुड़ जाते हैं और कम दिखाई देते हैं। जब उसकी मां लौटकर आती है और टोकरी में रखे काफल कम होते हुए देखती है तो वह बेटी पर गुस्सा हो जाती है। गुस्से में आई मां की चोट लगते ही छोटी सी लड़की बेसुध हो जाती है और मर्म की चोट से मर जाती है। शाम होते होते मौसम ठंडा हो जाता है और ठंडी बयार से काफल फिर से अपने आकार में आ जाते हैं। यह देख मां को बहुत गहरा आघात लगता है और वह भी मृत्यु को प्राप्त हो जाती है। मां-बेटी की इस मार्मिक कहानी को लेकर कई नाटक लिखे जा चुके हैं और कुछ मार्मिक गीत भी गाए जाते हैं।
हमारा अगला लेख काफल के औषधीय गुणों पर इसकी अगली कड़ी के रूप में दिया जा रहा है।