
उरगम घाटी विगत 10 माह से चमोली जिले में दो विकास खंडों में फ्रैंक वाटर के सहयोग से परंपरागत जल स्रोत संरक्षण संवर्धन के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जोशीमठ में यह कार्यक्रम स्वैच्छिक संगठन जनदेश सामाजिक संगठन एवं लोक विज्ञान संस्थान देहरादून के साथ मिलकर की। इस प्रयास को सफलता की ओर ले जाए जा रहा है। जिसमें सर्वप्रथम जल स्रोतों तक का चयन स्रोतों के ढलान एवं कंटूर लाइन को देखते हुए वैज्ञानिक रूप से चयन किया गया। उसके बाद सामुदायिक ग्राम संगठनों के साथ लगातार वार्ता की गई और कार्यक्रम का निर्धारण किया गया। उसके बाद चार जल स्रोतों में जल तालियों का निर्माण किया गया।

बरसात के संबंध में जल स्रोतों के ऊपर वृक्षारोपण का कार्यक्रम संपन्न किया गया साथ ही जल स्रोतों के जलागम क्षेत्रों में नेपियर घास का रोपण किया गया। मुख्य रूप से पौधों का रोपण पिलखी मंगरा जल स्रोत, भेंटा मगरा जल, स्रोतों में किया गया 400 पौधों का रोपण किया गया। इसके अलावा महिला मंगल दलों के साथ मिलकर समय-समय पर जल तलियां की सफाई करने का संकल्प लिया गया धीरे धीरे जलस्रोत सूख रहे हैं। इन स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए समुदाय के साथ मिलकर निरंतर काम करने की आवश्यकता है। पर्वतीय क्षेत्रों में स्रोत सूखने के कारण कई गांव में पानी का संकट बढ़ रहा है, जिसका कारण जलवायु परिवर्तन अनियंत्रित वर्षा के कारण इस तरह की घटनाएं बढ़ रही है, लोक विज्ञान संस्थान, जनदेश सामाजिक संगठन लंबे समय से प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए काम करते रहे। आज सलना जनदेश कार्यालय में फ्रैंक वाटर इंग्लैंड की संस्थापक कैटी ने सलना महिला मंगल दल के लोगों के साथ परंपरागत जल स्रोत संरक्षण के कार्यों के बारे में विस्तार से चर्चा की।

उन्होंने पूछा कि पानी को पुनर्जीवित करने के लिए वह क्या कार्यक्रम करना चाहते हैं साथ में जल स्रोतों के पुनर्जीवित के लिए उपाय के बारे में चर्चा की वह पहली बार उच्च हिमालयी क्षेत्र में आयी और उसने कहा कि यहां आकर के मुझे बहुत अच्छा लगा। उन्होंनेआज सलना में गणेश नौला जल स्रोत का निरीक्षण भी किया परंपरागत जल स्रोत को पुनर्जीवित करण के कार्य को देखकर कि वह काफी खुश नजर आयी। महिला मंगल दल सलनाजनदेश, के द्वारा उनका भव्य स्वागत किया गया।इस मौके जनदेश के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी ने परंपरागत जल स्रोतों में घटते हुए पानी स्रोतों में छेड़छाड़ अनियोजित विकास के संबंध में भी उन्हें बताया कि जब तक वैज्ञानिक रूप से स्रोतों का पुनर्जीविती करण नहीं होगा तब तक भूमिगत जल नहीं बढ़ सकता है बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक रूप से हिमालय क्षेत्र में जल स्रोत बड़ी तादाद में सूख रहे हैं। यदि इन्हें बचाने का प्रयास समय पर नहीं हुआ तो हिमालय में कहीं लोग पानी के संकट से जूझगे इसका प्रभाव सीधा महिलाओं एवं बच्चों पर पड़ेगा।
सदाबहार नदियां धीरे-धीरे सूखने लगी है जंगलों पर आधारित नदियों को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है ग्लेशियरों पर आधारित नदियां धीरे-धीरे उनमें भी पानी कमी हो रहा है। जो संकट के संदेश दे रहे हैं पानी को बचाने के लिए सभी लोगों की भागीदारी आवश्यक है मात्र जल स्रोतों पर सीमेंट पोतने से जल स्रोत पुनर्जीवित नहीं होंगे बल्कि उनके जलागम क्षेत्र का समुचित विकास करना होगा। इस मौके पर लोग विज्ञान संस्थान की अनीता शर्मा ने कैटी को हिंदी का अंग्रेजी अनुवाद करते हुए लोगों के विचारों को साझा किया। इस मौके पर पीएसआई के पूरन बतर्थवाल ने सभी महिला मंगल दल के सदस्यों का आभार और धन्यवाद किया। इस मौके पर सलना महिला मंगल दल की अध्यक्षा अनीता पंवार, जनदेश की अध्यक्षा चिपको नेत्री बौणी देवी, पूर्व महिला मंगल दल अध्यक्षा पूर्वा देवी देवेश्वरी देवी, पार्वती देवी विनीता देवी राजेश्वरी देवी बसंती देवी जनदेश कलावती शाह, राजेंद्र रावत पीएसआई के धर्मेंद्र पंवार सहित आदि लोग उपस्थित थे।
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