डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
आज प्रधानमंत्री केवल नाम भर नहीं है, बल्कि एक ब्रांड हैं। मोदी के हर क्रियाकलाप का प्रभाव जनता के बड़े हिस्से को प्रभावित करता है इसलिए पिछले दो दशकों से वह देश के सबसे भरोसेमंद ब्रांड बने हुए हैं। ब्रांड मोदी की बदौलत केन्द्र ही नहीं राज्यों में भी भाजपा चुनाव जीतती चली आ रही है। उनके साथ ही राज्यों में भी भजपा के कुछ नेता हैं जो एक ब्रांड के रूप में अपनी पार्टी के लिए फयादेमंद साबित हो रहे हैं। तेजी से उभर रहे ऐसे नेताओं में से एक हैं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। सादगी, सरल स्वभाव, संवेदनशीलता और सख्त निर्णय लेने की क्षमता, ये वो तमाम गुण हैं जिनकी बदौलत पुष्कर सिंह धामी लोकप्रिय बनते जा रहे हैं। धामी ने उत्तराखण्ड में अपने कम समय के कार्यकाल में कई बड़े और कड़े फैसले लिए, जिससे देशभर में उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ। खासकर यूसीसी, नकलरोधी कानून, लैंड जिहाद, दंगारोधी कानून, महिला आरक्षण आदि निर्णयों से वह देश में नजीर पेश की चुके हैं। उनकी लोकप्रियता का दायरा उत्तराखण्ड तक ही सीमित नहीं है वह पूरे देश में उनकी छवि एक ‘डायनेमिक लीडर’ की बन चुकी है। उनकी लोकप्रियता को देखकर ही भाजपा हाईकमान ने उत्तर ही नहीं बल्कि दक्षिण के राज्यों में भी उन्हें बतौर युवा स्टार प्रचारक लोकसभा चुनाव के प्रचार में भेजा, जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। बीते लोकसभा चुनाव में उत्तराखण्ड की पांचों लोकसभा सीटों पर भी धामी ने ताबड़तोड़ जनसभाएं, रैली और रोड शो किए। प्रदेश के भीतर 90 से अधिक चुनावी सभाएं, रोड शो और सीधा जनसंवाद करके धामी ने पार्टी के पांचों प्रत्याशियों को कंफर्ट जोन में खड़ा करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। सभी पांचों सीटें भाजपा की झोली में गईं। अन्य चरणों के चुनाव में उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखण्ड, पश्चिमी बंगाल, राजस्थान और मध्यप्रदेश जैसे बढ़े राज्यों में अब उन्हें प्रचार के लिए भेजा गया। महाराष्ट्र और झारखण्ड में हुए विधानसभा चुनाव में भी धामी ने कई जनसभाएं कीं। उत्तराखण्ड में धामी से पहले किसी राजनैतिक दल का शायद ही कोई ऐसा मुख्यमंत्री रहा हो जिसका पार्टी के चुनाव प्रचार में इतना व्यापक उपयोग किया गया हो। यहां तक कि नारायण दत्त तिवारी, हरीश रावत और भुवन चंद खण्डूड़ी जैसे दिग्गज भी प्रचार के लिहाज से दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक ही सीमित रहे। 9 जुलाई को देहरादून में केदारनाथ विधायक शैलारानी रावत का निधन हो गया था. उसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस बयान ने केदारनाथ के लोगों को सीधे तौर से प्रभावित किया, जब उन्होंने कहा था कि ‘जब तक केदारनाथ के लोगों को नया विधायक नहीं मिल जाता है, तब तक मैं केदारनाथ विधानसभा के लोगों का विधायक हूं. माना जा रहा है कि इससे लोग खासे प्रभावित हुए. लेकिन मुख्यमंत्री ने केदारनाथ विधानसभा में विधायक के निधन के बाद से पूरी कमान संभाली. कई घोषणाएं केदारनाथ के लिए की. साथ ही प्रचार प्रसार का जिम्मा भी संभाला. इसी साल जुलाई महीने के आखिर में केदारनाथ घाटी में आपदा आई. जिसने 2013 के केदारनाथ आपदा की यादें ताजा कर दी, लेकिन इस बार सरकार ने तत्काल तत्परता दिखाते हुए आपदा प्रबंधन के काम को बखूबी निभाया. बिना रुके रेस्क्यू अभियान को चलाया. महज एक हफ्ते के भीतर 16 हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया. केदारघाटी में तहस-नहस सड़कों और मार्गों को सुचारू किया. जिसके बाद एक महीने के भीतर यात्रा भी शुरू कर दी.ऐसा पहली बार हुआ, जब इतनी बड़ी आपदा आने के बावजूद भी इतना कम नुकसान हुआ. कहीं न कहीं इससे केदारनाथ विधानसभा के लोगों में सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा. अब तक जो कांग्रेस केदारनाथ धाम को लेकर सरकार पर सवाल खड़े कर रही थी. कहीं न कहीं सरकार ने अपने कामों के जरिए उनका उत्तर दिया. जिसका असर केदारनाथ उपचुनाव में देखने को मिला. लोगों के मन पर अपना असर डालने के लिए जहां एक तरफ सरकार ने जनहित मुद्दों को देखते हुए तमाम घोषणाएं की. साथ ही लोगों की समस्याओं का निदान कर उनका भरोसा जीत तो वहीं उपचुनाव के लिए फाइनल राउंड में अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री समेत अपने तमाम जनप्रतिनिधियों को झोंक दिया. सीएम धामी ने 6 अक्टूबर को आचार संहिता लगने से पहले अगस्त्यमुनि, 12 नवंबर को चंद्रापुरी, 16 नवंबर को चोपता और चंदननगर, फिर आखिरी रैली 18 नवंबर को गुप्तकाशी में की.बीजेपी प्रदेश महामंत्री का कहना है कि केदारनाथ उपचुनाव को लेकर सीएम धामी ने आखिरी रैली 18 नवंबर को गुप्तकाशी में की थी. जहां पर जनसैलाब बीजेपी के पक्ष में नजर आया. इसके अलावा केदारनाथ विधानसभा के पांच मंडलों पर सरकार के 5 कैबिनेट मंत्री ने रात दिन एक कर बीजेपी के लिए काम किया. केदारनाथ उपचुनाव में हुई भाजपा की जीत के बाद मुख्यमंत्री ने केदारनाथ की जनता को संदेश देते हुए कहा कि सरकार ने जो भी केदारनाथ की जनता से वादा किया है, चाहे वो यात्रा प्राधिकरण बनाना हो, मातृ सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम करना हो, महिलाओं को आगे बढ़ाना हो, युवाओं को स्किल से जोड़ते हुए नवाचार की ओर लाना हो, साइंस सेंटर बनाना हो समेत अन्य सभी पर सरकार काम करेगी. साथ ही जो भी कमियां रही हैं, उन सभी कमियों को राज्य सरकार दूर करेगी.!लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।