हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली/देवाल। घेस-हिमनी के ग्रामीण अब कीड़ा जड़ी के चुगान के लिए बुग्याल नही जा पाएंगे, अगर चुगान के लिए गुपचुप तरीके से भी गयें और पकड़े गए तो वन अधिनियम की तमाम कठोर धाराओं का सामना करना पड़ सकता हैं। जिससे अब दोनों ही गांव के ग्रामीण पछताने लगें हैं।
दरअसल बीते साल तक हिमनी एवं घेस गांव के ग्रामीण घेस घाटी से सटे भीतर ग्वाण,भंडरा पाखा एवं होगा पाखा के बुग्यालों में जा कर संयुक्त रूप से कीड़ा जड़ी का चुगान करते आ रहे थे।इस साल हिमनी के ग्रामीणों ने यह कह कर कि तीनों बुग्याल उनके नजदीकी हैं और उन पर हकहकूक के तहत उनका ही हक बनता है।घेस के ग्रामीणों को जड़ी के चुगान के लिए नही जानी दिया, जबकि घेस गांव के लोगों का कहना था कि तीनों बुग्यालों पर जितना हक हिमनी के लोगों का हैं उतना ही हक घेस गांव के लोगों का भी हैं। कीड़ा जड़ी के चुगान को लेकर पिछले एक पखवाड़े से अधिक समय से दोनों गांवों के ग्रामीण आमने-सामने आ गए थें। शुक्रवार को जब हिमनी के ग्रामीण चुगान के लिए बुग्याल जाने की तैयारी कर रहे थे तों जानकारी मिलने पर घेस के ग्रामीण भी बुग्याल जाने की तैयारी के तहत हिमनी गांव पहुंच गए जहां पर दोनों गांवों के बीच तीखी झड़पें हुईं।हिमनी के ग्रामीणों ने सड़क पर बैठ कर घेस के वाहनों को आगे नही बढ़ने दिया।जिस पर घेस के ग्रामीण वापस लौट पड़े और वापस लौट कर घेस में उन्होंने हिमनी के वाहनों को आगे नही बढ़ने दिया। घेस के ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी थराली,बद्रीनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के अंतर्गत पूर्वी पिंडर रेंज देवाल के वन क्षेत्राधिकारी को एक पत्र भेजा जिसमें तीनों बुग्यालों में कीड़ा जड़ी के चुगान पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की। प्रतिबंध की मांग को लेकर शनिवार को घेस के ग्रामीणों ने देवाल-घेस-हिमनी-बलाण मोटर सड़क पर चोराधार में सड़क पर धरने पर बैठ कर याता ठप कर दिया। कीड़ा जड़ी को दोनों गांवों के ग्रामीणों के आमने-सामने आ जाने एवं क्षेत्र में शांतिभंग की आशंका को देखते हुए शनिवार को थराली के उपजिलाधिकारी पंकज भट्ट मय पुलिस फोर्स के घेस गांव पहुंचें जहां पर घेस व हिमनी गांव से वार्ता की।इस दौरान भी घेस के ग्रामीण तीनों बुग्यालों को पूरी तरह सीज करने की मांग पर अड़े रहे।इस पर उपजिलाधिकारी ने निर्देश जारी किए कि दोनों ही गांवों का कोई भी ग्रामीण बिना अनुमति के बुग्यालों एवं रिजर्व फारेस्ट में प्रवेश नही करेगा।जो भी इस आदेश का उल्लघंन करेंगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी, इसके अलावा मोटर सड़क एवं रास्तों को अवरूद्ध नही करने की चेतावनी दी गई। उपजिलाधिकारी ने देवाल के
रेंजर मनोज देवराड़ी को घेस घाटी में वन कर्मियों की गश्त बढ़ाने के भी निर्देश दिए।इस मौके पर थराली थानाध्यक्ष पंकज कुमार,देवाल चौकी प्रभारी सतेंद्र बुटोला, तहसीलदार अक्षय पंकज, राजस्व निरीक्षक हरीश पोखरियाल, राजस्व उपनिरीक्षक रोबिन सिद्दीकी के अलावा घेस की प्रशासक कलावती देवी, सरपंच पुष्कर सिंह बिष्ट,हिमनी के प्रशासक हीरा देवी, सरपंच विरेंद्र दानू सहित दोनों गांवों के ग्रामीण मौजूद रहें।
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…हम तो डूबे सनम तुम्हें भी ले डूबेंगे सनम…यह गीत घेस -हिमनी के ग्रामीणों पर अब फिट बैठ रहा है। पिछले लंबे समय से प्रकृति द्वारा निशुल्क उपहार स्वरूप प्रदान किये गए कीड़ा जड़ी का घेस,हिमनी के ग्रामीणों चुगान के तमाम कायदे,कानून को दरकिनार कर चुगान करते आ रहे थे। लेकिन अकेला और अधिक खानें के चक्कर में इन दोनों ही गांव के लोगों को एक माह में ही मिलने वाले लाखों रूपयों से हाथ धोना पड़ा। बताया जा रहा है कि घेस क्षेत्र के तीनों बुग्यालों में प्रत्येक सीजन में दो से ढाई करोड़ रुपयें की कीड़ा जड़ी का चुगान होता था। जोकि घेस एवं हिमनी गांव के ग्रामीण की आजीविका का एक बड़ा साधन बना हुआ था। किंतु आपसी विवाद के चलते दोनों गांवों के ग्रामीणों को एक बड़ी रकम से हाथ थोना पड़ेगा। माना जा रहा है कि इस बार कीड़ा जड़ी को लेकर खुलकर हुए विवाद का असर देवाल में जड़ी के कारोबार पर बढ़ा असर पड़ेगा,जड़ी को लेकर वन विभाग के साथ ही पुलिस प्रशासन भी सख्त होने लगा है।