कहानी उस वीर शाहिद की जिसने 24 वर्ष की अल्पआयु से पहले ही वतन को अपने लहू से सींचने का कार्य किया। जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ अमर शहीद वीर केसरी चंद की। क्यवा गाँव में जन्में इस शहीद को आज विश्व पटल पर पहचान मिली है, जिससे देश व क्षेत्र के प्रत्येक नागरिक का गौरवान्वित होना लाजमी है। अगर कहीं मन में निराशा होती है तो वो वहाँ से कि जहाँ पर वीर केसरी ने जन्म लिया, वहाँ से उनका नाम देहली तक पहुंचने में हमको 7 दशकों से अधिक का समय लग गया।
स्वर्गीय प0 शिवराम जी की वो कविता जिसने केसरी को हमेशा लोगों के जहन में जिंदा रखा, जिसका कारण लंबे संघर्ष के बाद गाँधी पार्क देहरादून में केसरी चंद की मूर्ति की स्थापना की गई लेकिन अन्य शहीदों के अपेक्षा अभी भी केसरी की सहादत को हम उस मुकाम पर नहीं पहुँचा सके जिसके वो वास्तविक हकदार थे। विगत कई वर्षों से उत्तराखंड में दोनों पार्टियों की सरकारों से निरंतर माँग रखी कि प्रदेश में इनके नाम से किसी योजना का संचालन किया जाय, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
देहरादून में कोई सड़क चकराता रोड का नाम ही बदलकर शहीद केसरी चंद मार्ग रखा जाय, लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ, फिर एक ओर प्रस्ताव भी था कि सहिया चकराता मार्ग का नाम ही शहीद के नाम पर रखा जाय, लेकिन ऐसा करना हमारी सरकारों ने उचित नहीं समझा, ऐसे में देहली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने देहली के अंदर पड़पड गंज मार्ग को शहीद केसरी चंद मार्ग करने पर नवक्रांति स्वराज मोर्चा उत्तराखंड और उत्पलटा सीट से जिला पंचायत सदस्य बबिता चौहान के पति व समाजसेवी कलम सिंह चौहान राष्ट्रपति पुरुस्कार से सम्मानित पूर्व प्रधान केशर चौहान व छोटा भाई प्रदीप चौहान आदि ने देहली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से उनके आवास में भेंट करके इस नेक कार्य के लिए धन्यवाद दिया है। सिसोदिया जी से रही 10 मिनट की मुलाकात से उन्होंने यह जानकारी दी कि उन्होंने अमर वीर शहीद केसरी चंद को देहली पाठ्यक्रम में भी समलित कर लिया है यानी देहली के स्कूलों में अब छात्र . छात्राओं को केसरी के वीरता के खिस्से पढ़ाये जाएंगे मैं देहली सरकार का इस नेक कार्य के लिए पुनः धन्यवाद देता हूँ।
गजेन्द्र जोशी