• About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact
Uttarakhand Samachar
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल
No Result
View All Result
Uttarakhand Samachar
No Result
View All Result

राजधानी देहहरादून आबादी का और बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है: डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

11/07/24
in उत्तराखंड
Reading Time: 1min read
56
SHARES
70
VIEWS
Share on FacebookShare on WhatsAppShare on Twitter

ब्यूरो रिपोर्ट। देहरादून में बढ़ती आबादी से उपज रहे संकटों से सरकार खूब वाकिफ हैं। पिछले 24 सालों में सरकारों ने इस दिशा में काम भी किया, लेकिन दुर्भाग्य रहा कि नया दून धरातल पर नहीं उतर पाया। रायपुर में 60 हेक्टेयर भूमि पर नया दून बसाने की तैयारी की गई। यूएस की एजेंसी मैकेंजी की रिपोर्ट के आधार पर रायपुर में नया दून बसाने का प्लान बना। कहा गया कि यातायात का दबाव कम करने के लिए भीड़भाड़, वीआईपी मूवमेंट व सरकारी कार्यालयों को शहर से बाहर करना जरूरी है। इसलिए रायपुर में नया शहर बसाया जाए। इस प्रोजेक्ट से शहर के लोगों को बड़ी आस है। चायबागान की जमीन पर ट्विन सिटी बसाने की भी योजना बनी। आरकेडिया स्थित चाय बागान को नया शहर बसाने के लिए चयनित किया गया। निजी निवेशकों के जरिए टाउनशिप विकसित करने की योजना बनी, लेकिन अभी सब कुछ कागजों में ही है। दून शहर में जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। आबादी के लिहाज से दून की क्षमता पूरी हो चुकी है। अब राजधानी आबादी का और बोझ उठाने की स्थिति में नहीं है, इसके बावजूद नए मास्टर प्लान में लगातार नए आवासीय क्षेत्रों को चिह्नित किया जा रहा है। इससे दून में नागरिकों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का ढांचा गड़बड़ा रहा है। शहर की सभी सड़कें वाहनों के ओवरलोड से जूझ रही हैं। समस्या सिर्फ आवास व सड़कों तक सीमित नहीं है। बिजली, पानी से लेकर अन्य सभी जनसुविधाओं में बढ़ती आबादी के दुष्प्रभाव से हर रोज दूनवासियों को रूबरू होना पड़ रहा है। नया दून बसाना ही विकल्प है, लेकिन पिछले 24 वर्षों में इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं किया जा सका। कागजों में कई योजनाएं बनीं, लेकिन फलीभूत नहीं हो पाईं। नए मास्टर प्लान मे दून शहर का दायरा बढ़ाने की कोशिश की गई है। नगर नियोजक विभाग ने मास्टर प्लान 2041 में देहरादून नगर निगम के बाहर के क्षेत्र को भी शामिल करने की पैरोकारी की है। डोईवाला, ऋषिकेश, मसूरी, सेलाकुई और विकासनगर तक दून सिटी का विस्तार होगा। इसके अलावा मिक्स्ड एरिया भी बढ़ाया गया है, ताकि व्यावसायिक के साथ आवासीय क्षेत्रों का भी विस्तार हो सके। इस पूरी कवायद में सबसे बड़ा नुकसान ग्रीन लैंड का हुआ है। शहर में महज एक प्रतिशत ग्रीन एरिया बचा है। इसलिए नया दून बसाना ही अंतिम विकल्प है।  देहरादून समेत प्रदेश के मुख्य शहर कंक्रीट के जंगलों में तब्दील हो गए हैं. आज स्थिति यह है कि शहरों में तेजी से मलिन बस्तियों की संख्या बढ़ रही है. नदी नाले सिकुड़ते जा रहे हैं. जंगल कटते जा रहे हैं. यही वजह है कि बढ़ती जनसंख्या की वजह से पर्यावरण पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिल रहा है. इसके अलावा वायु प्रदूषण भी एक गंभीर समस्या बनकर उभर रही है. जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, उसी तेजी से वाहनों की संख्या भी बढ़ रही है. इससे चलते वायु प्रदूषण खतरनाक ढंग से बढ़ता चला जा रहा है. अगर अगले कुछ सालों तक उत्तराखंड के शहरों और मैदानी क्षेत्रों में यही स्थिति रही, तो आने वाले समय में एक गंभीर समस्या है.  आबादी के चलते आने वाले समय में दिक्कत पैदा होगी. मौजूदा स्थिति यह है कि जंगल कट रहे हैं. नदियों की चौड़ाई कम हो रही है और नई नई बसावट होती जा रही ही, जो पर्यावरण को काफी प्रभावित करती है. बढ़ती आबादी के बीच आने वाले समय में हवा और पानी का संकट उत्पन्न होगा. बढ़ती आबादी के चलते जंगलों को काटा जा रहा है. जब पेड़ नहीं होंगे तो सांस लेना दूभर हो जायेगा. प्रो बियानी ने कहा कि बढ़ती नई बसावट से सिर्फ पर्यावरण पर ही फर्क नहीं पड़ता है, बल्कि उनको आर्थिक संसाधनों पर भी हिस्सा चाहिए होता है. ऐसे में बढ़ते पॉपुलेशन के बीच बढ़ते पॉल्यूशन और सीमित संसाधनों पर बढ़ता दबाव है. राजधानी बनने के बाद दून में तेजी से आबादी बढ़ रही है। मिड सिटी से लेकर आउटर इलाकों में सड़कों के विस्तार के साथ ही विकास के नाम पर सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर हरे पेड़ों पर आरियां चल रही हैं। बाग-बागीचे काटकर रातों-रात इलीगल तरीके से प्लॉटिंग की जा रही है। कृषि भूमि पर बहुमंजिला बिल्डिंग्स खड़ी की जा रही हैं। शहर में हर तरफ कंक्रीट के जंगल उग आए हैं, जिससे दून की हरियाली गायब हो रही है। जानकारों की मानें तो हरियाली गायब होने से शहर का टेंपरेचर भी पिछले 24 साल में दो से तीन डिग्री तक बढ़ गया है। आलम यही रहा तो आने वाले समय में सांस लेने में घुटेगा। सुंदर दून, हरित दून का नारा अब सिर्फ नारों में ही देखने को मिल रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद अब सिर्फ शहर में ग्रीन एरिया का दायरा घटता जा रहा है। कभी शहर में 60 परसेंट हरियाली हुआ करती थी, जो धीरे-धीरे घटकर 1 परसेंट तक रह गई है।  जिस तेजी के साथ शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है उसी अनुपात में पानी की क्राइसिस भी बढ़ रही है। जहां पहले खेती होती थी, वहां आज आवासीय कॉलोनियां और ऊंची-ऊंची बहुमंजिला अपार्टमेंट और कॉम्पलेक्स खड़े हो गए हैं। भूजल रिचार्ज न होने से वाटर लेवल लगातार गिर रहा है, जो भविष्य में सबसे बड़ी समस्या बन सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर सरकार अपने आदेशों का पालन नहीं करा पा रही है। सभी नई पुराने सरकारी बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के आदेश फाइलों में ही दबकर रह गए। बगैर रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नक्शा स्वीकृत करने नियम है, लेकिन एमडीडी भी इसको लेकर महज औपचारिकता निभा रहा है।। सरकार की ओर से विकास की अनेक योजनाएं बनाए जाने के बावजूद आज हमारा देश अन्य विकसित देशों की तरह विकास के पथ पर अग्रसर होता हुआ नहीं प्रतीत हो रहा है। रोजगार और सामाजिक सुरक्षा आदि की तमाम योजनाएं बनाए जाने के बावजूद तेजी से बढ़ती हमारी जनसंख्या सभी प्रयासों पर पानी फेर देती है। सरकार और समाज मिलकर लोगों की सुविधा के लिए विविध प्रकार के संसाधन जुटाते हैं, लेकिन आबादी के निरंतर बढ़ते बोझ के कारण समस्याएं वहीं की वहीं रह जाती है। यानी तमाम प्रयासों के बावजूद समस्या का समग्र निदान नहीं हो पाता है। सरकार भी केवल अनुमानित आबादी के आधार पर ही अपना काम चला रही है।सरकार को इस बारे में गंभीरता विचार करना होगा। जनसंख्या असंतुलन से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ताना-बाना गड़बड़ाया है।

Share22SendTweet14
https://uttarakhandsamachar.com/wp-content/uploads/2025/10/yuva_UK-1.mp4
Previous Post

मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में परिवार पहचान पत्र की ईएफसी सम्पन्न

Next Post

मसूरी वन प्रभाग द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर की गयी कार्यवाही

Related Posts

उत्तराखंड

उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखण्डी अधिवक्ताओं के साथ संवाद किया

November 16, 2025
13
उत्तराखंड

बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण, थीम पर विचार गोष्ठी आयोजित

November 16, 2025
6
उत्तराखंड

कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का डोईवाला में जोरदार स्वागत

November 16, 2025
29
उत्तराखंड

25 साल का उत्तराखंड पलायन के कारण खाली हुआ बागेश्वर का चौनी गांव

November 16, 2025
9
उत्तराखंड

उत्तराखंड हिमालय की गोद में छिपे सबसे सेंसेटिव इलाके

November 16, 2025
9
उत्तराखंड

दिव्य प्रेम सेवा मिशन ने सदैव समाज के कमजोर वर्गों के लिए नि:स्वार्थ भाव से कार्य किया : ऋतु खंडूड़ी भूषण

November 16, 2025
7

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Popular Stories

  • चार जिलों के जिलाधिकारी बदले गए

    67506 shares
    Share 27002 Tweet 16877
  • डोईवाला : पुलिस,पीएसी व आईआरबी के जवानों का आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण सम्पन्न

    45757 shares
    Share 18303 Tweet 11439
  • ऑपरेशन कामधेनु को सफल बनाये हेतु जनपद के अन्य विभागों से मांगा गया सहयोग

    38034 shares
    Share 15214 Tweet 9509
  •  ढहते घर, गिरती दीवारें, दिलों में खौफ… जोशीमठ ही नहीं

    37426 shares
    Share 14970 Tweet 9357
  • विकासखंड देवाल क्षेत्र की होनहार छात्रा ज्योति बिष्ट ने किया उत्तराखंड का नाम रोशन

    37305 shares
    Share 14922 Tweet 9326

Stay Connected

संपादक- शंकर सिंह भाटिया

पता- ग्राम एवं पोस्ट आफिस- नागल ज्वालापुर, डोईवाला, जनपद-देहरादून, पिन-248140

फ़ोन- 9837887384

ईमेल- shankar.bhatia25@gmail.com

 

Uttarakhand Samachar

उत्तराखंड समाचार डाॅट काम वेबसाइड 2015 से खासकर हिमालय क्षेत्र के समाचारों, सरोकारों को समर्पित एक समाचार पोर्टल है। इस पोर्टल के माध्यम से हम मध्य हिमालय क्षेत्र के गांवों, गाड़, गधेरों, शहरों, कस्बों और पर्यावरण की खबरों पर फोकस करते हैं। हमारी कोशिश है कि आपको इस वंचित क्षेत्र की छिपी हुई सूचनाएं पहुंचा सकें।
संपादक

Browse by Category

  • Bitcoin News
  • Education
  • अल्मोड़ा
  • अवर्गीकृत
  • उत्तरकाशी
  • उत्तराखंड
  • उधमसिंह नगर
  • ऋषिकेश
  • कालसी
  • केदारनाथ
  • कोटद्वार
  • क्राइम
  • खेल
  • चकराता
  • चमोली
  • चम्पावत
  • जॉब
  • जोशीमठ
  • जौनसार
  • टिहरी
  • डोईवाला
  • दुनिया
  • देहरादून
  • नैनीताल
  • पर्यटन
  • पिथौरागढ़
  • पौड़ी गढ़वाल
  • बद्रीनाथ
  • बागेश्वर
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • राजनीति
  • रुद्रप्रयाग
  • रुद्रप्रयाग
  • विकासनगर
  • वीडियो
  • संपादकीय
  • संस्कृति
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • साहिया
  • हरिद्वार
  • हेल्थ

Recent News

उत्तराखण्ड राज्य की रजत जयंती वर्ष के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रवासी उत्तराखण्डी अधिवक्ताओं के साथ संवाद किया

November 16, 2025

बढ़ती भ्रामक सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता का संरक्षण, थीम पर विचार गोष्ठी आयोजित

November 16, 2025
  • About Us
  • Privacy Policy
  • Cookie Policy
  • Terms & Conditions
  • Refund Policy
  • Disclaimer
  • DMCA
  • Contact

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.

No Result
View All Result
  • Home
  • संपादकीय
  • उत्तराखंड
    • अल्मोड़ा
    • उत्तरकाशी
    • उधमसिंह नगर
    • देहरादून
    • चमोली
    • चम्पावत
    • टिहरी
    • नैनीताल
    • पिथौरागढ़
    • पौड़ी गढ़वाल
    • बागेश्वर
    • रुद्रप्रयाग
    • हरिद्वार
  • संस्कृति
  • पर्यटन
    • यात्रा
  • दुनिया
  • वीडियो
    • मनोरंजन
  • साक्षात्कार
  • साहित्य
  • हेल्थ
  • क्राइम
  • जॉब
  • खेल

© 2015-21 Uttarakhand Samachar - All Rights Reserved.