कांग्रेस सरकार में आचार संहिता से ठीक पहले पर्वतीय जनपदों से तबादले होकर आए 500 शिक्षकों की पहाड़ वापसी का मामला अब मुख्यमंत्री दरबार मे पहुँच गया है। आपको बता दे कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे इस मामले में पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुके हैं और शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम को कई बार निर्देश भी दे चुके हैं कि इनमें गम्भीर बीमार शिक्षकों को छोड़कर बाकी अन्य सभी शिक्षकों को पहाड़ में वापस उनके मूल संवर्ग में भेजा जाए, लेकिन शिक्षकों के दबाव के कारण आज तक सरकार कोई निर्णय नहीं ले पायी है और पहाड़ वापसी का कोई आदेश जारी नही कर पाई है।
शिक्षकों के द्वारा विधायको और मंत्रियों और केंद्रीय मंत्री डॉ निशंक के दबाव के कारण मामला ठंडे बस्ते में जाता नजर आ रहा हैं। इन शिक्षकों के द्वारा पहाड़ न चढ़ने के लिए उनके मूल विधालयों में रिक्त पद उपलब्ध नहीं होने का भरम भी फैलाया जा रहा है। और इस बात को विधायकों के पत्र में लिखवाकर सरकार तक भिजवाया जा रहा है। इन शिक्षकों का स्थानान्तरण शासन के कार्यालय ज्ञाप संख्या 1596 दिनांक 21 नवम्बर 2016 द्वारा किया गया था, जिसके अनुसार इनको मूल विद्यालय जाने की बजाय मूल संवर्ग जिला संवर्ग में वापस जाना है। जहां से इनको रिक्त पद उपलब्ध वाले विधालयों में भेज जाएगा।
शिक्षकों की तिकड़मबाजी और राजनीतिक सैटिंग की बात करे तो इनकी कांग्रेसराज में जितनी सैटिंग थी, उससे कही ज्यादा सैटिंग भाजपा सरकार में लगती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय मंत्री डा.निशंक के दबाव में सरकार इन शिक्षकों को पहाड़ के खाली स्कूलों में न भेजकर वन टाइम सैटलमेंट देने पर विचार कर रही है। इसी कारण इनकी पहाड़ वापसी का आदेश जारी नहीं किया जा रहा हैं । इन 500 शिक्षकों में सबसे ज्यादा संख्या लगभग 300 के देहरादून के सुगम विधालयों में और 120 से अधिक हरिद्वार जनपद के सुगम विधालयो में हैं। और इनमें कई शिक्षक पदोन्नति का लाभ लेकर भी स्थानन्तरित किये गए हैं। जिनको लेकर देहरादून का प्राथमिक शिक्षक संघ कई बार आंदोलन की धमकी दे चुका हैं ।
मामला अब मुख्य मंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के दरबार में जाने से सबकी निगाहें, जीरो टोरलेंस का दम्भ भरने वाले, और पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए पलायन आयोग बनाने वाले त्रिवेंद्र रावत पर टिकी है, कि वह अभी हाल ही में पर्वतीय जिलों की आयी सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2521 एकल शिक्षक और 178 शिक्षक विहीन विधालयों में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए इन शिक्षकों की पहाड़ में वापसी करते हैं या यूं ही पहाड़ की जनता को कागजों में पलायन आयोग बनाकर शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखते हैं ।
सामाजिक संगठन नवक्रंाति स्वराज मोर्चा इस मामले को लगातार उठाता रहा है। मोर्चा के कार्यकर्ता इस मामले में किसी भी हद तक जाकर आंदोलन को प्रतिबद्ध हैं।