उर्गम घाटी में शुरू किया गया तीन दिवसीय रिंगाल हस्तशिल्प प्रशिक्षण ज्योतिर्मठ यूनेस्को नई दिल्ली एवं जनदेश स्वैच्छिक संगठन के द्वारा संयुक्त रूप से हैंडीक्राट रिंगाल तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत उर्गम घाटी में शुरू किया गया कार्यक्रम में मास्टर ट्रेन धरमलाल ने कहा कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती कला व्यक्ति को ऊंचाई तक पहुंचाते हैं उन्होंने कहा कि में अपना जीवन काल को समर्पित किया है इंग्लैंड की आर्ट गैलरी तक मुझे इस कला ने ही पहुंचा है में मात्रा साक्षर होने के बाद भी हस्तशिल्प में निपुण हूं डेढ़ रिंगाल से डेढ़ सौ रुपया कमाया जा सकता है आवश्यकता है कि हम हस्त कौशल को बढ़ावा दें छोटे-छोटे आइटम को बनाये जिससे कि यात्री लोग आसानी से खरीद सकते हैं दैनिक जरूरत को भी पूरा किया जा सकता है। इस अवसर पर जनदेश के सचिव लक्ष्मण सिंह नेगी ने कहा कि हमारा प्रयास है कि विलुप्त हो रहे हैं कौशल को बढ़ावा देना है यूनेस्को का भी प्रयास यही है कि लोगों को रोजगार से जोड़ा जाए और परंपरागत कौशल को बचाया जाए तीन दिवसीय प्रशिक्षण में रिंगाल के क्राफ्ट को बढ़ावा देना लोगों को बेसिक जानकारी देना इसकी तकनीकी लोगों को बताना है यह प्रशिक्षण भविष्य में भी किये जाएंगे जिससे यहां की महिलाओं को इस रोजगार से जोड़ा जा सकता है। रिंगाल के प्रशिक्षण में फूलदान, पूजा टोकरी, कंडी, सोलटी, कलमदान बनाने के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस मौके पर पूर्व ग्राम प्रधान देवग्राम देवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि परंपरागत ज्ञान को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। 25 से अधिक महिलाएं प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रही है युवाओं को भी इस कार्यक्रम से जोड़ा जा रहा है। वीरेंद्र लाल ने कहा कि हमारा उद्देश्य लोगों को रोजगार से जोड़ना है। प्रशिक्षण लेने वालों में जयचंद डूंगरियाल अनीता देवी काली देवी फ्यूंली देवी अन्य लोगों उपस्थित थे।