हे़लग चमोली इन दिनों हेलंग पूरे उत्तराखंड में एक चर्चा का विषय बना हुआ है 15 जुलाई2022 को दो घसेरी घास लाने से लौट रहे थे। उन्हें मालूम नहीं था कि हमारे साथ साथ क्या होने वाला है। वैसे तो किस्सा एक डेढ़ महीने से चल रहा था। विष्णुगाढ़ पीपलकोटी 444 मेगा वाट की जल विद्युत परियोजना क्षेत्र में कार्यरत है, जो टीएचडीसी के द्वारा निर्मित की जा रही है।
क्षेत्र में मुख्य रूप से हेलंग के पास डायवर्जन बांध परियोजना का है। यह परियोजना सुरंग आधारित बनाई जानी है। टीएचडीसी की निर्माता कंपनी एचसीसी के द्वारा टनल बोरिंग का काम किया जा रहा है। कंपनी के द्वारा यहां पर खेल मैदान के नाम पर हेलंग में मक डिस्पोजल किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि इस संबंध में एक बैठक ग्राम पंचायत के हेलग में आयोजित की गई। उस बैठक में वहां के ग्राम प्रधान आनंद सैलानी वन पंचायत सरपंच प्रदीप भंडारी सहित ग्रामीण उपस्थित थे। उस में चर्चा हुई थी कि एनएच के कारण सड़क चौड़ीकरण से यहां पर स्थित पटवारी चौकी वन विभाग की बन चौकी, पशुपालन विभाग के सचल दल की बिल्डिंग के अलावा साधन सहकारी समिति की कार्यालय तोड़ दिए गए थे। इन कार्यालय के बनाने के लिए स्थानीय लोगों के साथ वार्ता की गई। इसके लिए स्थान उपलब्ध कराया जाए, ग्रामीणों की लगभग सहमति हो गई थी कि यहां पर भूमि उपलब्ध कराया जाए, जो राजस्व एवं स्थानीय लोगों की होगी। किंतु बीचो.बीच एक प्रस्ताव ग्राम पंचायत एवं पंचायत के द्वारा तहसील प्रशासन जोशीमठ टीएचडीसी को प्रस्तुत किया गया कि यहां पर बच्चों को खेलने के लिए खेल मैदान बनाया जाए।
इस पर नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क जोशीमठ के उप वन संरक्षक से भी 10 पेड़ काटने की अनुमति ली गई। उप वन संरक्षक नंदा देवी नंदा बल्लभ शर्मा का कहना है कुकाट खडिक के 10 पेड़ों को काटने की अनुमति दी गई थी। यहीं से विवाद बढ़ता गया। यहां निवास करने वाले मंदोदरी देवी उसके परिवार के लोगों ने विरोध किया। उनका का कहना है कि जिस भूमि पर खेल मैदान बनाया जा रहा है, उस पर हम लोग एक लंबे समय से घास चारे का प्रबंधन करते रहे हैं और यहां पर हमारे पूर्वजों और हमारे द्वारा वृक्षारोपण करके इस क्षेत्र को हरा.भरा कर रखा था और इसमें एक षड्यंत्र के तहत मक डिस्पोजल करने की साजिश रची गई और हरे पेड़ों पर आरी चला दी गई।
उनका आरोप है कि यहां 10 पेड़ों की जगह 15 से 20 पेड़ बिना छपन के काट दिए गए। जिसमें खडिक के अलावा संरक्षित प्रजाति के तुन के पेड़ भी हैं। जिनके काटने का विरोध मंदोदरी देवी की परिवार के द्वारा किया गया। इनकी और कंपनियों की अधिकारियों की झड़प होती रही। इन्होंने अपनी कहानी को उप जिलाधिकारी कार्यालय में भी पत्र के माध्यम से प्रस्तुत किया। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली को वन सचिव उत्तराखंड भारत सरकार बन मंत्रालय को टीएचडीसी के द्वारा अवैध रूप से पेड़ काटने के संबंध में पत्र प्रस्तुत किया गया।
दूसरी तरफ तहसील प्रशासन एवं जिला अधिकारी के द्वारा इस भूमि को राजस्व की भूमि बताकर यहां खेल मैदान बनाने के लिए अनुमति टीएसडीसी को दी गई। जिससे कि और विवाद और गहरा गया। लगातार टीएचडीसी के द्वारा यहां मलबा डालने की कार्रवाई की गई और मंदोदरी देवी के द्वारा इसका विरोध किया गया। लगातार चलता रहा 15 जुलाई को वह बताती है कि वह तरुड नामक तोक मे घास के लिए गई थी, वहां से लौट रही थी, उसे मालूम नहीं था कि आज तहसील प्रशासन एवं टीएचडीसी के द्वारा उसके साथ इस तरह का व्यवहार किया जाएगा। टीएचडीसी ने तहसील प्रशासन से मांग की थी कि मंदोदरी देवी एवं अन्य जो विरोध कर रहे हैं, मक डालने का, उन्हें रोका जाए। इसी कारण सीआईएफ पुलिस प्रशासन की टीम के द्वारा इस महिला को घास की गठरी लाते हुए उसकी वोझ छीनने का प्रयास किया। उसने काफी विरोध किया। वह चिल्लाई भी उसने कहा कि मेरा जल जंगल और जमीन नहीं जाना चाहिए। तुम मेरे साथ इस तरह से क्यों कर रहे हो प्रशासन के द्वारा तहसीलदार की गाड़ी में बिठा कर पूरे जोशीमठ ले जाएगा और 6 घंटे पुलिस कस्टडी में रखा गया।
इस बीच जिस स्थान पर मक डालने के लिए विरोध किया जा रहा था वहां मक डालने का काम टीएचडीसी के द्वारा किया जाता रहा शाम को चार लोगों को ₹250 के मुचलके पर रिहा किया गया। इस बीच पूरी घटना की वीडियो वायरल हो गई। सोशल मीडिया में तरह.तरह की प्रतिक्रिया आने लगी इस प्रक्रिया के तहत उत्तराखंड की प्रबुद्ध नागरिकों के द्वारा तय किया गया है कि 24 जुलाई को हेलग चलो इस प्रकरण में उत्तराखंड महिला आयोग ने भी जिलाधिकारी चमोली से रिपोर्ट मांगी गई है। वही क्षेत्रीय विधायक बद्रीनाथ राजेंद्र भंडारी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि मैंने मुख्यमंत्री से बात की है। इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए खानपुर के विधायक उमेश कुमार ने पूर्व में ही मुख्यमंत्री से मिलकर इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने आज अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि वह घटनास्थल का दौरा करेंगे। सोशल मीडिया में यह मुद्दा गरमया हुआ है। उत्तराखंड महिला मंच की संयोजिका कमला पंत ने भी इस प्रकरण में कड़ी प्रतिक्रिया दी है और 24 जुलाई को इनकी टीम एवं उत्तराखंड के विरुद्ध नागरिक हेलग पहुंचने वाले हैं। बागेश्वर से रमेश कृषक नैनीताल से तरुण जोशी अल्मोड़ा से पीसी तिवारी कनपुरिया श्री इंद्रेश मैखुरी जोशीमठ से अतुल सती बड़ी संख्या में महिला संगठन के लोग पहुंचने की संभावना है। अब देखना है कि इस प्रकरण में किस प्रकार से प्रशासन एवं आंदोलनकारी किस तरह मोड़ लेते हैं क्या पीड़िता को न्याय मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है प्रदेश भर में ज्ञापन देने की प्रक्रिया जारी है। हेलग से चिपको नेत्री गौरा देवी चिपको आंदोलन की धरती महज 30 किलोमीटर दूर है और यहां पर इस तरह की घटना हुई है यहां से मात्र 30 किलोमीटर दूरी पर चिपको के महानायक पद्म विभूषण से सम्मानित गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित चंडी प्रसाद भट्ट जिला मुख्यालय गोपेश्वर में निवास करते हैं उनकी भी इस प्रकरण में कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई।
इस प्रकरण में हेलंग के वन पंचायत सरपंच प्रदीप भंडार से बात की गई उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में तहसील प्रशासन उस जगह का तार बाड़ करने आया था जो पीड़ित से अपने को कह रहे हैं उनके द्वारा 100 नाली जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है। मक डिस्पोजल के लिए हमारे द्वारा यहां पर किसी प्रकार का प्रस्ताव प्रशासन टीएचडीसी को नहीं दिया गया है, जो लोग विरोध कर रहे हैं वही लोग कंपनी में काम कर रहे हैं। लक्ष्मण सिंह नेगी नेगी की रिपोर्ट