उत्तराखंड समाचार
क्या हम पाषाण युग में रह रहे हैं? बाराकोट में सड़क के नीचे बने एक स्कबर में दो साल से रह रही इस महिला की हालत को देखकर तो यही लगता है। इक्कीसवीं सदी में विकसित दुनिया का दंभ भरने वाले मनुष्यों के बीच चंपावत जिले के बाराकोट क्षेत्र में जिस तरह एक अकेली अबला दो साल से एक सड़क के इस्कबर के नीचे पाषाण युग में रहने वाले मानवों की तरह रह रही है, यह मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है। उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। इस महिला की व्यथा को एक वायरल वीडियो में उजागर किया गया है, हालांकि वीडियो बनाने वाले ने अपना नाम उजागर नहीं किया है।
यह कम आश्चर्यजनक नहीं है कि उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक महिला पिछले करीब दो साल से गुफानुमा स्कबर में खतरनाक पहाड़ों और जंगली जानवरों के बीच रह रही है, लेकिन शासन प्रशासन तथा लोक निर्माण विभाग किसी ने उसकी सुध नहीं ली। वीडियो बनाने वाले व्यक्ति से बातचीत में महिला कह रही है कि उसने किसी मद्रासी से शादी की था, अब वह मर गया है, इससे पहले उसने किसी और से शादी कर ली थी। इसलिए वह यहां रहने को मजबूर है। वह अपना मायका कोठिरा बताती है, लेकिन वहां भी विवादों के कारण नहीं रह पाई है।
महिला ने स्कबर के द्वार पर बहुत सारी कटीली झाड़ियां रखी हुई हैं। रात में स्कबर का द्वार वह इन झाड़ियों से बंद कर जंगली जानवरों से अपनी रक्षा का उपाय करती है। स्कबर के मुहाने पर नीचे की तरफ तीखी ढलान वाली पहाड़ी है। इसी से होकर वह स्कबर के अंदर तक जाती है। यदि कभी उसका पैर फिसल गया तो वह सैकड़ों मीटर नीचे जा गिरेगी। नतीजा क्या होगा, यह स्वतः ज्ञात है।
महिला किसी शौक से वहां नहीं रह रही है। वीडियो बनाने वाले व्यक्ति के सवाल के जवाब में वह बताती है कि यदि कहीं पर भी उसके रहने के लिए थोड़ी जगह मिल जाए तो वह रह लेगी। प्रत्येक गांव में पलायन से इतने घर खाली हैं। क्या इंसानियत इस कदर मर गई है कि वह गांव में खाली पड़े घरों में भी इस महिला को सिर छिपाने की जगह नहीं दे पा रही है।
यह वीडियो काफी वायरल हो रहा है, संभव है कि अब शायद इस कोरोना महामारी के बीच उसकी सुध लेने वाला कोई आगे आए।