धौलछीना। गुलामी का दौर, उसके बाद आजादी की गवाह धौलछीना के दियारी क्षेत्र की सबसे बुजुर्ग महिला ने 103 बसंत देखने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया।
विकासखंड के दियारी गांव निवासी रेबुली देवी कुछ समय से बीमार थी। शतायु पारकर 103 साल की उम्र के इस पड़ाव में जहां अपनी चौथी पीढ़ी को आंगन में खेलते देखा, वही चार में से दो बेटों तथा बेटियों को खोने का गम भी सहा। धौलछीना के समीपवर्ती गांव दियारी निवासी रेबुली देवी का 103 वर्ष की आयु में शुक्रवार रात निधन हो गया। परिजनों के अनुसार वह कुछ समय से बीमार थी। उनके पति गोपाल सिंह तथा दो बेटे पहले ही दुनिया छोड़ चुके हैं।
1917 में जन्मी रेबुली देवी क्षेत्र की सबसे बुजुर्ग महिलाओं में गिनी जाती थी। हालांकि उन्हें अपने दो बेटे खोने का गम हमेशा रहा लेकिन चौथी पीढ़ी की संताने देख उन्हें जीने का हौसला भी मिला। अपने 18 पड़पोते तथा पड़पोतियों को गोदी में खेलते खिलाते रेबुली देवी ने निरोगी रहते हुए उम्र का शतक पूरा कर लिया। ग्रामीणों के अनुसार गुलामी का दौर देख चुकी यह बुजुर्ग महिला ने देश को आजाद होते हुए देखा। विकास के पहियों के साथ ही बदलते जमाने में आने वाली पीढ़ियों के बदलाव से भी रूबरू हुई। शुक्रवार को आमा की अंतिम यात्रा में क्षेत्र के तमाम सामाजिक संगठनों तथा आसपास के गांव के ग्रामीण शामिल हुए। उनके सबसे छोटे पुत्र पूरन सिंह ने रेबुली देवी को मुखाग्नि दी।