हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट।
थराली/देवाल। खाजा-कलेऊं,काखड़ी-मुगरी, चूड़ी-बिदूली, आरसी-कंगी,अंगवस्त्रो को भेट करने एवं नंदादेवी के मार्मिक झोड़ो के गायन के साथ नम आंखों से बधाण की राजराजेश्वरी नंदादेवी भगवती को वेदनी से कैलाश विदाई कर दिया गया हैं। नंदा की कैलाश विदाई के साथ ही नंदा भगवती का उत्सव डोला एवं 19 दिनों से यात्रा में शामिल नंदाभक्त वापस अपने आशियानों को लौट पड़े हैं।पिछले 23 अगस्त को नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ से चली बधाण की राजराजेश्वरी नंदा भगवती की लोकजात का मंगलवार को वेदनी बुग्याल में भगवती की कैलाश विदाई के साथ ही सम्पन्न हो गई हैं। हालांकि लोकजात यात्रा का विधिवत समापन 17 सितंबर को नंदादेवी के उत्सव डोले के सिद्धपीठ देवराड़ा (थराली) में 6 माह के प्रवास पर विराजमान होन के साथ सम्पन्न होगी। मंगलवार को नंदा यात्रा ने प्रातः 7 बजें गैरोलीपातल से वेदनी बुग्याल के लिए प्रस्थान किया। करीब 9 बजें यात्रा वेदनी पहुंची जहां पर नंदा डोले के साथ यात्रियों ने वेदनी कुंड की परिक्रमा करने के बाद डोले को नंदा चबूतरे पर विराजमान किया गया और शिव, पार्वती मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू की गई। इस दौरान भगवती, काली,लाटू सहित अन्य देवी-देवताओं के पश्वा अवतारित हुए जिन्होंने नाचते हुए श्रद्धालुओं का आशीर्वाद दिया।इस दौरान भक्तों ने मंदिरों में भेट पवाड़ा,के साथ ही वेदनी बुग्याल के ऊपरी हिस्से में खिले ब्रह्मकमलों चढ़ा कर नंदा की स्तुति की। इस दौरान कई श्रद्धालुओं ने वेदनी कुंड में अपने पित्रों के तारण के लिए तर्पण भी किया। दोपहर 12.15 तक धार्मिक अनुष्ठानों के बाद देवी को कैलाश विदाई के बाद नंदा की उत्सव डोली,लाटू का निशान एवं यात्री वापस लौट पड़े।
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वेदनी में कुरूड़ बधाण नंदादेवी समिति के अध्यक्ष नरेश गौड़, पूर्व अध्यक्ष मंशाराम गौड़, कालिका गौड़, अनिल गौड़, सुभाष गौड़,हरि गौड़, राकेश गौड़, दिनेश गौड़ सहित तमाम अन्य गौड़ ब्राह्मणों के अलावा लाटू देवता के पंडित भानु कुनियाल, सुभाष कुनियाल,दीपक कुनियाल, हिमांशु कुनियाल आदि ने धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न करवाएं। जबकि नंदा के निशान को लाटू के पश्वा हीरा सिंह नेगी लेकर चल रहे थे। जबकि वांण से खिलाप सिंह, रूपकुंड महोत्सव मेला समिति के अध्यक्ष कुंवर सिंह बिष्ट, जिला पंचायत सदस्य कृष्णा बिष्ट,युवक मंगल दल अध्यक्ष देवेन्द्र सिंह, महिपाल सिंह,हीर पहाड़ी, कृपाल सिंह, बलवंत सिंह सहित 30 लोगों का जत्था उत्सव डोली को वेदनी तक ले गया और वापस लाएं। वेदनी से जात कर वापस लौट वांण गांव के लाटू भक्तों ने गैरोलीपातल में लाटू की विशेष पूजा कर वापस वांण पहुंचे। जबकि नंदा की उत्सव डोली अपने वापसी के पहले पड़ाव बांक गांव पहुंची। बुधवार को डोली ल्वाणी गांव के प्रवास पर रहेगी।