थराली से हरेंद्र बिष्ट।
एक बार फिर से राज्य के सैनिक बाहुल्य गांवों में सुमार सवाड़ गांव में स्थापित वीर सैनिकों को समर्पित सैन्य स्मारक पर श्रद्वासुमन अर्पित करने एवं देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगा देने वाले वीर सैनिकों की यादों को चीरस्थाई बनाएं रखने के लिए 7 दिसंबर से आयोजित हो रहे 15वें अमर शहीद मेले के लिए सवाड़ गांव सज धजकर अतिथियों के स्वागत के लिए तैयार हो गया हैं।
देवाल ब्लाक के सवाड़ गांव के पूर्व सैनिकों,सैन्य विधवाओं, सेना में कार्यरत सैनिकों के साथ ही सवाड़ गांव के अन्य लोगों ने कुछ ब्लाक के जनप्रतिनिधियों के सहयोग से सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित सवाड़ गांव में 2008 में पहला अमर शहीद सैनिक मेले की सुरूआत की गई। जिसके बाद तमाम उतार चढ़ावों के बावजूद शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए मेला आयोजन किया जाता रहा और आज छोटे स्तर से शुरू किया गया शहीद मेला 15 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। मेले के आयोजन को लेकर गांव में खाशा उत्साह भी देखा जा रहा हैं।
इस बार तीन दिनों तक चलेगा मेला
पिछले वर्षों तक शहीद मेला एक या दो दिन चलता था। इस बार कमेटी ने मेले को तीन दिनों तक चलने का निर्णय लिया है।मेला 7 से 9 दिसंबर तक चलेगा।इस मेले को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के द्वारा राजकीय मेले के रूप में घोषित करने की कार्रवाई शुरू करने पर क्षेत्रीय जनता में काफी अधिक खुशी बनी हुई हैं।
आलम सिंह बिष्ट
अध्यक्ष शहीद मेला कमेटी
सवाड़
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प्रथम विश्व युद्ध से आज तक अग्ररणीय रहे सवाड़ के रणबांकुरे
सवाड़ गांव के रणबांकुरों का इतिहास उपलब्ध भरा हुआ हैं।1914 से 1919 के बीच हुए प्रथम विश्व युद्ध में यहां के 22 रणबांकुरों ने,1939 से 1945 के बीच हुए द्वितीय विश्व में 38, पेशावर कांड में 14 वीर सैनिकों ने भाग लिया। जबकि आजादी की लड़ाई में 18 स्वतंत्रता सेनानियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। इसके अलावा जब-जब भी देश के ऊपर खतरें के बादल मंडराएं यहां के जवान हमेशा अग्रिम पंक्ति पर खड़े रहे। इस गांव के वीर जवानों की विरता से अंग्रेज इस कदर प्रभावित हुए कि उन्होंने सवाड़ गांव को ही वीरों की भूमि बताते हुए पूरे गांव को सलाम करते हुए एक शिलापट्ट ग्रामीणों को सौंप, जोकि आज इस गांव में बने शहीद स्मारक पर स्थापित किया गया हैं।