रिपोर्ट:प्रकाश कपरुवाण।
जोशीमठ। उत्तराखंड के संस्कृत महाविद्यालयों व संस्कृत विद्यालयों के लिए शासन के एक नए आदेश ने राज्य के संस्कृत छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर दिया है।पहले राज्य के संस्कृत महाविद्यालयों का वर्गीकरण कर उन्हें उच्च व माध्यमिक स्तर का बनाया अब महाविद्यालयों को समाप्त कर उन्हें माध्यमिक व जूनियर स्तर का बना डाला,जिसके कारण संस्कृत महाविद्यालयों मे शास्त्री”वीए”व आचार्य”एमए”कक्षाओं मे अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का भविष्य ही अंधकारमय हो गया है।दरअसल पूर्व मे शासन ने राज्य के संस्कृत महाविद्यालयों का उच्च व माध्यमिक स्तर का वर्गीकरण कर पृथक-पृथक संचालित करने का आदेश निर्गत किया,जिसके क्रम मे राज्य के 31 संस्कृत महाविद्यालयों के महाविद्यालयों की श्रेणी मे रखा गया और महाविद्यालयों मे अध्यापन के लिए योग्य अहर्ता के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति भी संस्कृत निदेशालय द्वारा की गई।लेकिन सचिव संस्कृत शिक्षा द्वारा 16 अक्टूबर 2023 को जारी आदेश के बाद ये महाविद्यालय अब उत्तरमध्यमा”ईंटरमीडीएट स्तर”,पूर्व मध्यमा”हाईस्कूल स्तर” तथा प्रथमा “जूनियर स्तर”के होंगें।सीमान्त जनपद चमोली की ही बात करें तो इस नए आदेश के बाद श्री बद्रीनाथ वेद वेदांग स्नातकोत्तर संस्कृत महाविद्यालय अब श्री बद्रीनाथ वेद वेदांग संस्कृत उत्तर मध्यमा विद्यालय”इंटर स्तर”होगा। इसी प्रकार 1008 स्वामी सचिदानंद सरस्वती संस्कृत महाविद्यालय मंडल अब संस्कृत पूर्व मध्यमा”हाईस्कूल स्तर” का हो जाएगा, जबकि कमेड़ा,नंदप्रयाग, थाला चंद्रशिला, सटियाणां, व किमोठा के संस्कृत महाविद्यालय व विद्यालय अब संस्कृत प्रथमा”जूनियर स्तर” के होंगें। राज्य के अन्य जनपदों मे संचालित संस्कृत महाविद्यालय/विद्यालयों का भी इसी प्रकार वर्गीकरण कर दिया गया है। जिसे लेकर संस्कृत शिक्षकों मे भारी आक्रोष है,संस्कृत विद्यालय-महाविद्यालय शिक्षक संघ ने इस आदेश को संस्कृत छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताते हुए यथाशीघ्र आदेश को निरस्त करने की मांग की है।संघ के प्रदेश संयोजक द्रवेश्वर प्रसाद थपलियाल के अनुसार राज्य के अंतर्गत संचालित सभी संस्कृत महाविद्यालय व विद्यालय राज्य गठन से पूर्व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के अधीन संचालित होते थे। राज्य गठन के बाद उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय परिनियमावली के अनुरूप संचालित महाविद्यालयों के लिए निर्धारित उच्च योग्यता/अहर्ता के आधार पर उत्तराखंड संस्कृत निदेशालय स्तर से विधिवत शिक्षकों की नियुक्ति हुई।थपलियाल ने कहा कि अब इन महाविद्यालयों को माध्यमिक व जूनियर स्तर का बना दिया है, जिसके कारण इन महाविद्यालयों मे शास्त्री-वीए एवं आचार्य-एमए कक्षाओं मे अध्ययनरत छात्रों के भविष्य पर भी संकट उत्पन्न हो गया है।संस्कृत शिक्षक संघ के प्रदेश संयोजक श्री थपलियाल ने आक्रोष व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृत महाविद्यालयों को इंटरमीडिएट,हाईस्कूल व जूनियर बना दिए जाने के बाद उच्च कक्षाओं मे अध्ययनरत छात्र-छात्राओं के पठन पाठन व परीक्षाओं की स्थिति क्या होगी? शारदीय अवकाश के बाद शास्त्री-वीए व आचार्य-एमए के छात्र-छात्राएं किन महाविद्यालयों मे जाएंगे और इनकी व्यवस्था कौन करेगा?उन्होंने कहा कि आजादी से पूर्व से संचालित संस्कृत महाविद्यालयों को शासन ने हठधर्मिता दिखाते हुए इंटरमीडिएट, हाईस्कूल व जूनियर हाईस्कूल करने का जो निर्णय लिया है वह सरासर गलत व वेबुनियाद निर्णय है और शासन को हर हाल मे यह निर्णय वापस लेना ही होगा।